MP में एक घंटे की मीटिंग के दौरान अधिकारी खा गए 13 किलो काजू-बादाम और 2Kg घी, 24,000₹ बिल आया तो खुली पोल!

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Madhya Pradesh: शहडोल जिले में 'जल गंगा संवर्धन' अभियान के तहत हुए एक कार्यक्रम में आला अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर महज एक घंटे में 13 किलो काजू-बादाम और 2 किलो घी का सेवन किए जाने का मामला सामने आया है.

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Madhya Pradesh: एक बार फिर मध्य प्रदेश में सरकारी खर्चों को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं. शहडोल जिले में 'जल गंगा संवर्धन' अभियान के तहत हुए एक कार्यक्रम में आला अधिकारियों द्वारा कथित तौर पर महज एक घंटे में 13 किलो काजू-बादाम और 2 किलो घी का सेवन किए जाने का मामला सामने आया है. इस 'शाही दावत' पर सरकारी खजाने से कुल ₹24,000 से अधिक का बिल बना है.

यह मामला तब सामने आया है जब शहडोल जिले में ही 4 लीटर पेंट के लिए 165 मजदूरों का बिल निकालने का एक और चौंकाने वाला मामला सुर्खियों में था. अब 'जल गंगा संवर्धन' अभियान के नाम पर हुई इस कथित फिजूलखर्ची ने सरकारी कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

क्या है पूरा मामला?

मध्य प्रदेश सरकार ने मई महीने में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए 'जल गंगा संवर्धन' अभियान शुरू किया था. इस अभियान के तहत प्रदेश के सभी गांवों में प्रशासन और ग्रामीणों द्वारा जल संरक्षण पर चौपाल लगाने का लक्ष्य रखा गया था. हालांकि, शहडोल जिले के गोहपारू जनपद की ग्राम पंचायत भदवाही में आयोजित एक ऐसी ही जल चौपाल में जो हुआ, वह जल संरक्षण से कहीं अधिक 'अफसरों की मेहमाननवाजी' जैसा प्रतीत होता है.

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पंचायत रजिस्टर में दर्ज खरीदारी के बिल के अनुसार, इस चौपाल में 5 किलो काजू, 5 किलो बादाम, 3 किलो किशमिश, 30 किलो नमकीन, 20 पैकेट बिस्कुट, 6 किलो दूध और 5 किलो शक्कर का इस्तेमाल हुआ. चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकारियों को 2 किलो घी भी पिलाया गया. इस 'मेहमाननवाजी' पर ₹19,010 का बिल बनाया गया. इसके अतिरिक्त, ₹5,260 का एक और बिल निकाला गया, जिसमें घी को विशेष रूप से शामिल किया गया है. कुल मिलाकर, इस एक घंटे के कार्यक्रम पर सरकारी खजाने पर ₹24,270 का बोझ पड़ा.

सवाल सरकारी खर्च पर

यह घटना ऐसे समय में हुई है जब गांवों के कुएं, तालाब और नाले सूखे पड़े हैं और जल संरक्षण की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक महसूस की जा रही है. ऐसे में जल संरक्षण के नाम पर अधिकारियों की मेज पर काजू-बादाम और घी की भरमार पर सवाल उठना स्वाभाविक है.

इस पूरे मामले पर शहडोल जिला पंचायत की प्रभारी सीईओ मुद्रिका सिंह ने कहा है कि जल गंगा संवर्धन कार्यक्रम का आयोजन हुआ था, जिसमें अधिकारी और ग्रामीण दोनों शामिल थे. उन्होंने स्वीकार किया कि चाय-नाश्ते और खाने की व्यवस्था की गई थी, लेकिन काजू, बादाम, किशमिश जैसे बिलों का मामला उनके संज्ञान में आया है और इसकी जांच कराई जाएगी.

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