Kanha Tiger Reserve में 7 दिन तक रहेगी हाथियों की मौज, मिलेगी पूरी आजादी, पर ऐसा क्यों?
Kanha National Park: मंडला जिले के कान्हा टाइगर रिज़र्व में इन दिनों हाथी रिजुविनेशन कैंप चल रहा है. इस कैंप में पार्क के 18 में से 16 हाथियों को शामिल किया गया है. इस कैंप में हाथियों के ऊपर कोई बंधन नहीं होता. उनसे कोई काम भी नहीं लिया जाता है. यह मौका होता है […]
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Kanha National Park: मंडला जिले के कान्हा टाइगर रिज़र्व में इन दिनों हाथी रिजुविनेशन कैंप चल रहा है. इस कैंप में पार्क के 18 में से 16 हाथियों को शामिल किया गया है. इस कैंप में हाथियों के ऊपर कोई बंधन नहीं होता. उनसे कोई काम भी नहीं लिया जाता है. यह मौका होता है हाथियों के लिए पूरी आज़ादी और मन पसंद खाने की दावत का, इसके अलावा उन्हें रिलैक्स करने के लिए मसाज भी दिया जाता है. उनके नाखून और दांतों को तराशा जाता है. इस कैंप में हाथियों को वो सब दिया जाता है जो उन्हें पसंद आता है.
जानकारी के मुताबिक ‘कैंप में हाथियों की सुबह की शुरुआत नहाने से होती है. केम्प में हाथियों के पैर में नीम तेल तथा सिर में अरण्डी तेल की मालिश की जाती है. मालिश के बाद खाने का समय हो जाता है. खाने में उन्हें गन्ना, केला, मक्का, आम, अनानास, नारियल परोसा जाता है. खाने के बाद उन्हें जंगल में छोड़ दिया जाता है. दोपहर मेें हाथियों को जंगल से पुनः वापस लाकर एवं नहलाकर कैम्प मेें लाया जाता है. फिर इन्हे रोटी, गुड नारियल, पपीता खिलाकर उन्हें पुनः जंगल में छोड़ा जाता है.
हाथियों का किया जाता है पूरा चेकअब
कैंप प्रबंधन ने बताया कि ‘हम एक सप्ताह का एलीफैंट रिजुवेनेशन कैंप का आयोजन करते हैं. इस बार हमने 17 सितंबर से 23 सितंबर तक इसको आयोजित किया है. 17 सितंबर को इसका उद्घाटन किया गया और 23 तक हम लगातार विभिन्न गतिविधियां करते रहते हैं. इनमें मूल रूप से हमारे जो हाथी ड्यूटी में रहते हैं. उनके अवकाश का समय होता है. इस अवकाश के समय उनकी हेल्थ और बाकी सब पैरामीटर की जांच होती है.
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इसके साथ ही उनके महावत और चारा कटर होते हैं. उनके भी चेकअप होते हैं, क्योंकि मानसून सीजन में उनको दुर्गम क्षेत्रों में रखते हैं, तो उसमें से आने के बाद यदि उनको कोई बीमारी हो तो उसका इलाज हो सके और नई ऊर्जा से हमारे हाथी अपने-अपने काम पर चले जाते हैं.
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हाथियाें को दिया जाता है विशेष आहार
इस कैंप में दौरान हाथियाें के खान-पान पर विशेष ध्यान दिया जाता है. इन्हें फल और गन्ना विशेष रूप से होता है. इन्हे सोयाबीन व चना के मिश्रित आटे की रोटियां बना कर दी जाती है. उसके साथ ही उनको एंटीबायोटिक देते हैं. बाकी दिनों में यह जंगल में अपना आहार लेते है.