Muharram 2024: मुहर्रम के महीने में सिंधिया राजघराने का क्या है ताजियों से कनेक्शन, जुड़ा है 200 साल पुराना रोचक इतिहास
Muharram 2024: सिंधिया घराने द्वारा हर साल महाराज बाड़े पर स्थित पद्मा विद्यालय परिसर प्रांगण के परिसर में ताजिए रखे जाते हैं. 10 दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम में किसी भी एक दिन सिंधिया घराने का एक सदस्य ताजिए की सेहराबंदी करने के लिए पहुंचता है.
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Muharram 2024: बात तकरीबन 200 साल पुरानी है, जब सिंधिया रियासत काल में माहौल बिगड़ने लगा था. हिंदू और मुसलमानों के बीच मतभेद होने लगे थे. यह बात जब तत्कालीन सिंधिया घराने के महाराज माधवराव सिंधिया प्रथम के कानों तक पहुंची, तो उन्होंने ऐसा कुछ कर दिया, कि हिंदू मुस्लिम के दिलों में एक बार फिर से सांप्रदायिक एकता की लहर दौड़ गई.
इस घटनाक्रम के बारे में बताने से पहले हम मौजूदा दौर की बात करते हैं. सिंधिया घराने द्वारा हर साल महाराज बाड़े पर स्थित पद्मा विद्यालय परिसर प्रांगण के परिसर में ताजिए रखे जाते हैं. 10 दिन तक चलने वाले इस कार्यक्रम में किसी भी एक दिन सिंधिया घराने का एक सदस्य ताजिए की सेहराबंदी करने के लिए पहुंचता है. गुरुवार की शाम को ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महा आर्यमन सिंधिया भी इसी परंपरा के तहत पदमा विद्यालय परिसर में पहुंचे और यहां उन्होंने ताजियों पर सेहरा बंदी की.
सिंधिया परिवार द्वारा यह ताजिए रखने का रिवाज कब से शुरू हुआ? इस बात की जानकारी महादजी सिंधिया एकता सद्भावना समिति के सदस्य और सिंधिया घराने के करीबी बाल खांडे ने एमपी तक को दी. बालखांडे ने बताया, कि तकरीबन 200 साल पहले जब ग्वालियर में माधव राव सिंधिया प्रथम ग्वालियर रियासत के महाराज हुआ करते थे, उस वक्त हिंदू मुसलमानों के बीच मतभेद होना शुरू हो गए थे और माहौल बिगड़ने लगा था.
ऐसे शुरू हुई सिंधिया राजघराने की ओर से ताजिए रखने की परंपरा
सामाजिक सद्भाव बिगड़ने की बात की जानकारी जब माधवराव प्रथम को मिली, तो उन्होंने हिंदू मुस्लिम एकता को कायम रखने के लिए ताजिए रखने की शुरुआत की. माधव राव सिंधिया प्रथम द्वारा महाराज बाड़े पर (जहां अभी वर्तमान में पदमा विद्यालय है) उसी स्थान पर ताजिया रखवाए गए. खुद माधवराव सिंधिया प्रथम इन ताजियों पर सेहराबंदी करने के लिए पहुंचे. महाराज द्वारा ताजिए रखे जाने पर प्रजा में एक अलग ही संदेश गया और हिंदू मुस्लिम एकता को बल मिला.
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इसके बाद से सिंधिया घराने द्वारा हर साल ताजिए रखे जाने लगे. 200 साल पहले शुरू हुई यह परंपरा आज भी उसी तरह कायम है. हर साल सिंधिया घराने की तरफ से पदमा विद्यालय परिसर में ताजिए रखे जाते हैं और सिंधिया घराने का कोई भी एक सदस्य ताजियों की सेहरा बंदी करने के लिए पहुंचता है. हिंदू मुस्लिम एकता को बढ़ावा देने के लिए माधव सिंधिया प्रथम द्वारा जो पहल की गई थी, उसका असर आज भी दिखाई देता है. यही वजह है कि सिंधिया घराने द्वारा रखवाए गए ताजिया कार्यक्रम में मुसलमान भाइयों के साथ हिंदू भाई भी देखे जा सकते हैं.