विशेष: पश्चिमी मध्यप्रदेश और मालवा के इलाकों में शुरू हुआ ‘भगोरिया उत्सव’, भील जनजाति का है प्रमुख त्यौहार

नवेद जाफरी

ADVERTISEMENT

Bhagoriya Festival Bhil tribe Western Madhya Pradesh Malwa Zone
Bhagoriya Festival Bhil tribe Western Madhya Pradesh Malwa Zone
social share
google news

Bhagoriya Festival: मध्यप्रदेश में होली से 4 दिन पहले शुरू होने वाले भगोरिया महोत्सव की शुरूआत हो चुकी है. भील जनजाति का यह प्रमुख त्यौहार है. इस महोत्सव को बड़े ही धूमधाम से भील जनजाति के लोग मनाते हैं. यह महोत्सव मुख्य रूप से पश्चिमी मध्यप्रदेश और मालवा अंचल के इलाकों में मनाया जाता है. इसके अलावा मध्यप्रदेश में जहां-जहां पर भील जनजाति के लोग निवास करते हैं, वहां पर भगोरिया महोत्सव का आयोजन किया जाता है. भगोरिया महोत्सव सिर्फ त्यौहार ही नहीं है बल्कि यह आदिवासी संस्कृति और परंपरा का अनूठा उदाहरण है, जहां पर प्रेम, विवाह, व्यापार, आपसी संबंध, सामाजिक सद्भाव के विभिन्न रंग देखने को मिलते हैं. आईए जानते हैं क्या है भगोरिया महोत्सव और विश्वभर में इस महोत्सव की चर्चा क्यों होती है?.

आदिवासी संस्कृति को नजदीक से जानने वाले डॉ. जगमोहन द्विवेदी बताते हैं कि भगोरिया उत्सव भीलों का सामाजिक सांस्कृतिक पर्व के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों का प्रयास भी माना जाता है. यह होली के अवसर पर आयोजित होता है. होली के चार दिन पहले से और होली के चार दिन बाद तक कुल 8 दिन यह महोत्सव चलता है. इसका पहला भाग गुलालिया कहलाता है एवं अंतिम भाग को उजाड़िया कहते हैं.

इसमें भगोरा देवता की पूजा की जाती है. साथ ही विवाह योग्य युवक एवं युवतियां अपने जीवन साथी का चुनाव भी महोत्सव के दौरान करते हैं. इसके लिए ‘गोल गधेड़ों’ नाम का एक कार्यक्रम भी आयोजित होता है. जिसमें भगोरिया नृत्य के साथ-साथ एक प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. जिसमें भील युवक-युवतियां अपने जीवन साथी का चयन कर सकते हैं. इसके साथ ही भगोरिया हाट का आयोजन होता है.

ADVERTISEMENT

जिसमें भील जनजाति के लोग अपने दैनिक उपयोग की वस्तुएं खरीदते हैं. झाबुआ और अलीराजपुर का भगोरिया उत्सव विश्वभर में प्रसिद्ध है. भगोरिया उत्सव मुख्य रूप से रतलाम, धार, खंडवा, खरगोन, बड़वानी, झाबुआ, अलीराजपुर सहित पश्चिमी मध्यप्रदेश और मालवा अंचल के जिलों में बहुत बड़े पैमाने पर मनाया जाता है. भील जनजाति की सबसे अधिक आबादी इन्हीं क्षेत्रों में मौजूद है.

सीहोर जैसे जिलों में भी है भगोरिया महोत्सव की धूम
सीहोर मुख्य रूप से भोपाल संभाग में आता है लेकिन यहां भी अच्छी-खासी आबादी भील जनजाति की मौजूद है. जिले के आदिवासी अंचलों में भगोरिया की धूम देखने को मिल रही है, होली के पूर्व आदिवासी अंचलों में लगने वाले भगोरिया मेले में आदिवासियों की भीड़ उमड़ रही है. उत्साह उमंग के साथ आदिवासी ढोल मादक की थाप पर जमकर थिरक रहे है.

ADVERTISEMENT

ढ़ोल की थाप पर जमकर थिरके आदिवासी
आदिवासी लोक संस्कृति का प्रमुख त्यौहार भगोरिया पर्व आदिवासी क्षेत्रो में उत्साह और उमंग से मनाया जा रहा है. ढोल की मादक थाप पर आदिवासी ग्रामीण एवं युवा नाचते गाते नजर आ रहे है. भील जनजाति के लोग इस महोत्सव के दौरान विशेष नृत्य करते हैं. उनके इस नृत्य और संस्कृति को देखने विदेशों तक से लोग मध्यप्रदेश में आते हैं.

ADVERTISEMENT

सीहोर में भी मनाया जा रहा है महोत्सव
सीहोर की तहसील नसरुलागंज क्षेत्र के ग्राम भिलाई में होली से पूर्व हाट बाजार लगाया गय है. यहां पर भील जनजाति के लोग भगोरिया महोत्सव मनाते हुए दिख रहे हैं. यहां बारेला समाज का होली पूर्व लगने वाला भगोरिया मेला भी आकर्षण का केंद्र है.  बारेला आदिवासी समाज के लोग दूर-दूर ग्रामीण अंचलों से अपनी परंपरागत वेशभूषा में परिवार सहित पहुंच रहे हैं. मेले में नव युवक और युवतियां भी अपने जीवन साथी के चयन के लिए पहुंच रहे हैं.

विशेष: विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही दिखने लगेंगे मां बगलामुखी के दरबार में राजनेता! आखिर क्या है महत्व? जानें

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT