MP में TAX की मार: चुनाव के बाद हो जाएं बड़े झटके के लिए तैयार, सरकार के लिए वोट दिया है, अब पैसे भी दो

एमपी तक

Tax increase in MP: मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव चार चरणों में 13 मई तक संपन्न हो गए. राज्य सरकार के बाद केंद्र सरकार को चुनने के लिए लोगों ने मताधिकार का उपयोग किया. लेकिन अब चुनाव के बाद कर वृद्धि के रूप में एक बड़े झटके के लिए भी एमपी की जनता को तैयार रहना होगा.

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MP latest News: मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव चार चरणों में 13 मई तक संपन्न हो गए. राज्य सरकार के बाद केंद्र सरकार को चुनने के लिए लोगों ने मताधिकार का उपयोग किया. लेकिन अब चुनाव के बाद कर वृद्धि के रूप में एक बड़े झटके के लिए भी एमपी की जनता को तैयार रहना होगा. दरअसल मध्यप्रदेश सरकार लोकसभा चुनाव समाप्त होते ही सभी नगरीय निकाय क्षेत्रों में टैक्स बढ़ाने का निर्णय ले चुकी है.

अब आपको संपत्ति कर, पेयजल, सीवेज, सफाई की सुविधाएं लेने के लिए संबंधित निकायों को अधिक टैक्स देना होगा. इसके लिए 4 जून के बाद सभी नगरीय निकायों में प्रस्ताव लाकर कर वृद्धि कर दी जाएगी. दरअसल केंद्र सरकार ने भी राज्य सरकार को साफ निर्देश दे दिए हैं कि उन्हें अपने नगरीय निकायों को आत्मनिर्भर बनाना होगा, इसलिए अब केंद्रीय अनुदान के भरोसे ना रहें. इसी कारण नगरीय निकाय लोकसभा चुनाव के बाद कर वृद्धि करने जा रहे हैं.

इसकी शुरूआत भी हो चुकी है. इंदौर ने बीते रोज ही प्रस्ताव लाकर संपत्ति कर बढ़ा दिया है. यहां 12 से 61 फीसदी तक संपत्ति कर में वृद्धि की गई है. जिसे लेकर इंदौर में कांग्रेस पार्षदों ने खासा विरोध दर्ज कराया है और जन आंदोलन करने की चेतावनी तक दी है. इंदौर के बाद शेष नगरीय निकायों में यह कर वृद्धि लोकसभा चुनाव के बाद की जाएगी.

किस तरह होगी कर वृद्धि?

संपत्ति कर का निर्धारण पिछले दो साल में कलेक्टर गाइडलाइन में हुई बढोत्तरी के आधार पर होगी. पानी, सीवेज, कचरा प्रबंधन के शुल्क में वृद्धि उन पर हो रहे खर्च के अनुपात में होगी. केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय ने चार साल पहले ही मप्र सहित सभी राज्यों को निर्देश दिए थे कि सफाई, पानी, सीवेज पर होने वाला शत प्रतिशत खर्च नागरिकों से वसूल किया जाए. इसके बाद मध्यप्रदेश सरकार ने तीन साल का स्लैब बनाकर नगरीय निकायों को दिया था लेकिन बाद में यह लागू नहीं हो पाया था और अभी तक यह पेंडिंग बना हुआ था.

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लेकिन अब चुनाव बाद नगरीय निकाय इसे लेकर निर्णय लेंगे और करों में वृद्धि कर आम जनता से हर सुविधा का बढ़ा हुआ कर वसूल करेंगे. राज्य सरकार इसके लिए हर शहर के महापौर और नगर पालिका अध्यक्ष को यह निर्णय लेने के लिए तैयार करेगी लेकिन जहां बीजेपी के महापौर और पार्षद हैं, वहां तो यह निर्णय हो जाएंगे लेकिन जिन निकायों में महापौर और पार्षद कांग्रेस के हैं, वहां क्या हालात निर्मित होते हैं, यह आने वाला वक्त बताएगा.

मध्यप्रदेश में कितने हैं नगरीय निकाय?

मध्यप्रदेश में कुल 413 नगरीय निकाय हैं. इनमें 99 नगर पालिकाएं हैं. 298 नगर परिषद हैं. 16 नगर निगम हैं. बात यदि सिर्फ नगर निगम क्षेत्रों की करें तो वर्तमान हालात में 12 नगर निगम में बीजेपी के महापौर हैं, 3 नगर निगम में कांग्रेस के महापौर हैं और एक नगर निगम में आम आदमी पार्टी की महापौर हैं. जाहिर है कि कांग्रेस के कब्जे वाले नगर निगम में कर वृद्धि कर पाना राज्य सरकार के लिए मुश्किल रहने वाला है और एक जबरदस्त राजनीति देखने को मिल सकती है.

आने वाले वक्त में पंचायत और नगरीय निकायों के भी चुनाव मध्यप्रदेश में होंगे. ऐसे में कर वृद्धि आने वाले समय में बड़ा चुनावी मुद्दा बन सकता है. लेकिन फिलहाल मध्यप्रदेश की जनता को कर वृद्धि के लिए तैयार हो जाना चाहिए. इंदौर में सरकार ने ट्रेलर दिखा दिया है और अब मध्यप्रदेश के दूसरे शहरों की बारी है.

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