3 बच्चों को जन्म देकर नौकरी से हाथ धो बैठी शिक्षिका, 14 साल बाद गिरी गाज; अब कोर्ट का सहारा
MP News: मध्य प्रदेश के आगर मालवा में तीन बच्चों को जन्म देना एक शिक्षिका को भारी पड़ गया. इसके चलते 14 साल बाद आगर मालवा जिले के सरकारी स्कूल में पदस्थ शिक्षिका रहमत बानो की सेवा समाप्त कर दी गई है. अब शिक्षिका ने इसके खिलाफ कोर्ट जाने का फैसला कर लिया है. उनका […]
ADVERTISEMENT

MP News: मध्य प्रदेश के आगर मालवा में तीन बच्चों को जन्म देना एक शिक्षिका को भारी पड़ गया. इसके चलते 14 साल बाद आगर मालवा जिले के सरकारी स्कूल में पदस्थ शिक्षिका रहमत बानो की सेवा समाप्त कर दी गई है. अब शिक्षिका ने इसके खिलाफ कोर्ट जाने का फैसला कर लिया है. उनका कहना है कि जान को खतरा होने की वजह से उन्हें तीसरे बच्चे को जन्म देना पड़ा.
मामला आगर मालवा का है. रहमत बानो जिले के बजानगरी में शासकीय माध्यमिक विद्यालय में केमिस्ट्री टीचर के पद पर पदस्थ थीं. उनकी तीन संतानें हैं, जिसको लेकर गुरुवार को उन्हें सेवा समाप्ति का आदेश सौंपा गया. शासन के नियमानुसार 2001 संचालक लोक शिक्षण संभाग ने उन्हें सेवा मुक्ति का आदेश दिया है.
बोली-मुझे टारगेट किया
रहमत बानो गर मालवा जिले के बड़ोद की रहने वाली हैं. उन्होंने 2003 में संविदा वर्ग दो मे नौकरी ज्वाइन की थी. साल 2000 में बेटी रहनुमा, 2006 में बेटा मुशाहिद और साल 2009 में तीसरा बेटा मुसहर्राफ पैदा हुआ था. तीसरी संतान के पैदा होने के 14 साल बाद रहमत को सेवा मुक्ति का नोटिस दिया गया है. इसे लेकर उन्होंने कोर्ट जाने का फैसला किया है. रहमत बानो ने आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें खास टारगेट किया गया है, जबकि उनके साथ ही कई ऐसे कर्मचारी हैं जिनकी 2 से ज्यादा संतानें हैं.
यह भी पढ़ें...
टू चाइल्ड पॉलिसी के बारे में पता था, लेकिन…
शिक्षक रहमत बानो का कहना है कि “मुझे टू चाइल्ड पॉलिसी के बारे में जानकारी थी. लेकिन डॉक्टर ने गर्भपात करने से मना कर दिया था. गर्भपात करने की स्थिति मे मेरी जान को खतरा बताया था. इसीलिए हमने बच्चों को जन्म देने का फैसला किया. रहमत का कहना है कि अचानक से नौकरी चले जाने से उन पर पहाड़ गिर पड़ा है. नौकरी जाने से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. पति साईद बड़ोद मे उर्दू मदरसा मे काम करते हैं, ऐसे में बच्चों की जिम्मेदारी अकेले उनके ऊपर ही है. इस वजह से अब रहमत ने कोर्ट जाने का फैसला किया है.
रहमत बानो को 2001 में लागू की गई टू चाइल्ड पॉलिसी के तहत हटाया गया है. मध्यप्रदेश सिविल सेवा नियमों के मुताबिक अगर किसी को 2001 के बाद तीसरा बच्चा जन्मा है तो वह सरकारी नौकरी करने के पात्र नहीं है.
ये भी पढ़ें: इस शहर के जिला अस्पताल की ऐसी बदहाली, मरीज खुद ही ICU में पंखा-कूलर लाने को मजबूर