इस शहर के फॉरेस्ट ऑफिसरों से जज साहब भी रहते हैं परेशान, जाहिर हुई विशेष न्यायाधीश की पीड़ा

विकास दीक्षित

MP News: मध्यप्रदेश के गुना जिले के फॉरेस्ट ऑफिसरों की मनमानी के शिकार आम लोग ही नहीं बल्कि न्याय करने बैठे जज साहब तक हो रहे हैं. जी हां, यह पीड़ा जाहिर हुई एक विशेष न्यायाधीश की जब वे फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से जुड़े पेंडिंग मामलों के निराकरण के लिए एक मीटिंग ले रहे थे. न्यायालय […]

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MP News: मध्यप्रदेश के गुना जिले के फॉरेस्ट ऑफिसरों की मनमानी के शिकार आम लोग ही नहीं बल्कि न्याय करने बैठे जज साहब तक हो रहे हैं. जी हां, यह पीड़ा जाहिर हुई एक विशेष न्यायाधीश की जब वे फॉरेस्ट डिपार्टमेंट से जुड़े पेंडिंग मामलों के निराकरण के लिए एक मीटिंग ले रहे थे. न्यायालय द्वारा  “समाधान आपके द्वार” कार्यक्रम के जरिए वन विभाग के पेंडिंग मामलों का निपटारा करने की कोशिश की जा रही थी लेकिन मौके पर रेंजर ही समय पर नहीं पहुंचे, तब जज साहब का गुस्सा फूट पड़ा.

विशेष न्यायाधीश राकेश शर्मा ने कहा कि वन विभाग के अधिकारियों को फोन लगाओ तो फोन नहीं उठाते. DFO से लेकर SDO का व्यवहार बेहद गैर जिम्मेदाराना रहता है. अधिकारियों का ये रवैया ठीक नहीं है. विशेष न्यायाधीश राकेश शर्मा ने टिप्पड़ी करते हुए कहा कि कई जिलों में ये स्थिति है.

उन्होंने कहा कि खुद कलेक्टर वन विभाग के इस लापरवाह रवैये को लेकर हाथ जोड़ते हैं. जज ने कहा कि दरअसल वन विभाग के अधिकारी फोन उठाना ही नहीं चाहते. वन विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारी एक जैसे हैं. वन विभाग का रिजल्ट जीरो के बराबर है, जो हम जैसे वरिष्ठ अधिकारियों का फोन नहीं उठाते, वे पब्लिक का क्या काम करते होंगे.

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समाधान आपके द्वार कार्यक्रम के जरिए निपटाए जा रहे हैं पेंडिंग प्रकरण
दरअसल न्यायालय द्वारा “समाधान आपके द्वार” कार्यक्रम से वर्षों से पेंडिंग पड़े प्रकरणों को सुलझाने के लिए पुलिस,रिवेन्यू,वन विभाग ,बिजली विभाग की संयुक्त बैठक ली गई थी. लेकिन बैठक के दौरान वन विभाग के रेंजर विवेक चौधरी काफी देर से मीटिंग में पहुंचे. विशेष न्यायाधीश राकेश शर्मा ने रेंजर से प्रकरणों के निराकरण के बारे में पूछा तो वे जवाब नहीं दे पाए. नाराज होकर न्यायाधीश ने वन विभाग की लापरवाही को लेकर रेंजर को समझाइश दी. लेकिन विभाग के लचर रवैए को लेकर वरिष्ठ अधिकारियों को भी टारगेट पर लिया गया.

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