कौन हैं रामनिवास रावत, जिन्होंने कर दी ग्वालियर-चंबल में कांग्रेस से बगावत? किस बात से थे नाराज!
MLA Ramniwas Rawat joins BJP: मध्य प्रदेश में एक तरफ जहां लोकसभा चुनाव की सरगर्मी तेज है तो वहीं दूसरी तरफ दलबदल भी बड़ी तेजी से हो रहा है. इसी कड़ी में कांग्रेस को अब ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में भी झटका लगता दिखाई दे रहा है.
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MLA Ramniwas Rawat joins BJP: मध्य प्रदेश में एक तरफ जहां लोकसभा चुनाव की सरगर्मी तेज है, वहीं दूसरी तरफ दलबदल भी बड़ी तेजी से हो रहा है. लगभग हर रोज कांग्रेस नेता बीजेपी का दामन थाम रहे हैं. बीते दिन इंदौर में तो कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय कांति बम ने ही दलबदल कर लिया और उम्मीदवारी से अपना नामांकन वापस ले लिया. इस क्रम में विजयपुर विधानसभा सीट से विधायक और दिग्विजय सिंह के खास रामनिवास रावत ने आज बीजेपी का दामन थाम लिया है. उनके कांग्रेस छोड़ने को लेकर करीब एक महीने से अटकलों का बाजार गर्म था.
पिछले दिनों राजगढ़ में आयेाजित एक सभा के दौरान खुद दिग्विजय सिंह की मौजूदगी ने रामनिवास रावत ने कांग्रेस न छोड़ने की बात कही थी. तो वहीं अब उन्होंने कांग्रेस को अलविदा कह दिया है. दिग्विजय सरकार में मंत्री रहे रावत को अब बीजेपी में ही आगे राजनीति मुफीद नजर आ रही है. यही कारण है कि सालों पुरानी कांग्रेस को छोड़कर उन्होंने बीजेपी का दामन थाम लिया है.
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कौन हैं रामनिवास रावत और क्यों छोड़ रहे कांग्रेस?
रामनिवास रावत विजयपुर सीट से 6 बार के विधायक हैं. इसके अलावा दिग्विजय सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं, इसके अलावा तो वहीं पूर्व में कांग्रेस से ही सांसदी का चुनाव भी पूर्व केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के के सामने लड़ चुके हैं. प्रदेश की राजनीति में अपना दबदबा बनाने वाले रामनिवास ओबीसी नेता के रूप में बड़ा चेहरा हैं और वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उनकी नाराजगी का मुख्य कारण कांग्रेस आलाकमान द्वारा अनदेखी और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ना बनाया जाना भी माना जा रहा है.
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रामनिवास रावत के भाजपा में जाने की खबरों ने विजयपुर से लेकर श्योपुर तक के भाजपा और कांग्रेस नेताओं में खलबली मचा दी है, क्योंकि उनके जाने के बाद लोकसभा चुनाव में नए समीकरणों का बनना तय माना जा रहा है.
BJP में जाने से रावत को क्या फायदा?
कांग्रेस से 6 बार के विधायक और पूर्व प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत भाजपा में जाने के बाद एक अलग कद के नेता के रूप में उभरेंगे. सूत्र बताते हैं कि सरकार में उनकी भूमिका भी तय हो गई है और वह मोहन कैबिनेट में शामिल होकर अपना कद स्वाभाविक रूप से बड़ा करने वाले हैं. पहले भी रावत दिग्गी सरकार में मंत्री पद पर रह चुके हैं और वर्ष 2003 से भाजपा की सरकार रहने के बाद से वे विपक्ष में ही बैठे रहे थे. कमलनाथ सरकार आने के बाद भी उन्हें कोई पद नहीं दिया गया. यही कारण है कि उनकी नाराजगी दिनों-दिन बढ़ती गई.
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