कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने महिला हित में लिया ऐतिहासिक फैसला, यहां मिलेगी अब पीरियड लीव

रूपक प्रियदर्शी

Karnataka Government: कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने महिला हित में एक बड़ा फैसला लिया है. कर्नाटक में अब महिलाओं को पीरियड लीव भी मिलेगी. सरकार ने इसे पहले निजी और फिर सरकारी सेक्टर की नौकरियों में लागू करने का निर्णय लिया है.

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CM Siddaramaiah and deputy D.K. Shivakumar at the Congress MLAs’ meeting in Bengaluru, Aug. 22
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कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने महिला हित में एक बड़ा फैसला लिया है.

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कर्नाटक में अब महिलाओं को पीरियड लीव भी मिलेगी.

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सरकार ने इसे पहले निजी और फिर सरकारी सेक्टर की नौकरियों में लागू करने का निर्णय लिया है.

Karnataka Government: कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार ने महिला हित में एक बड़ा फैसला लिया है. कर्नाटक में अब महिलाओं को पीरियड लीव भी मिलेगी. सरकार ने इसे पहले निजी और फिर सरकारी सेक्टर की नौकरियों में लागू करने का निर्णय लिया है. कर्नाटक में महिलाओं के पीरियड्स के दिनों में राहत के लिए सीएम सिद्धारमैया, डिप्टी सीएम डीके शिव कुमार ने साल में 6 दिन के मेंस्ट्रुअल यानी पीरियड लीव पॉलिसी लागू करने का फैसला किया है. सरकारी और प्राइवेट-दोनों तरह की नौकरी में पॉलिसी लागू होगी. पहले प्राइवेट सेक्टर की नौकरी में लागू किया जाएगा. बाद में सरकारी नौकरियों का नंबर आएगा. 

नियम बना है कि सरकारी विभागों और कंपनियों को महिला कर्मचारियों को पीरियड लीव देनी ही होगी. महिला कर्मचारी के पास ये तय करने का अधिकार होगा कि कब पीरियड लीव लेनी है. बंदिश बस इतनी है कि पीरियड्स के नाम पर 6 दिन से ज्यादा छुट्टी नहीं मिलेगी. पीरियड लीव, वीकली ऑफ और तमाम तरह के बाकी लीव से अलग होंगी. पीरियड लीव पेड होगी सैलरी से कोई डिडक्शन नहीं होगा. पीरियड लीव को कानूनी बनाने के लिए सरकार विधानसभा में बिल लाकर कानून बनाने जा रही है.

जून में सरकार ने लॉ प्रोफेसर डॉ. सपना मुखर्जी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई थी. सपना मुखर्जी कमेटी ने लंबे विचार विमर्श के बाद पीरियड लीव की सिफारिश सरकार को सौंपी. सरकार ने फटाफट लागू करने का एलान कर दिया. जुलाई में सुप्रीम कोर्ट ने भी ऐसी पॉलिसी बनाने को कहा था. सुप्रीम कोर्ट का लॉजिक ये था कि इससे कामकाजी महिलाओं का एफिशियंसी बढ़ेगी. सुप्रीम कोर्ट ने ये सलाह दी थी. कोई आर्डर नहीं था. इसी बहाने केंद्र समेत ज्यादातर राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट के कहने के बाद भी कुछ नहीं किया था.

स्मृति ईरानी पीरियड लीव को लेकर सहमत नहीं थीं

पिछले साल लोकसभा चुनाव से 6 महीने पहले दिसंबर 2023 में बड़ा हल्ला मचा था. स्मृति ईरानी के महिला एवं बाल विकास मंत्री होते हुए सरकार ने पीरियड लीव देने से मना कर दिया था. आरजेडी के सांसद मनोज झा ने राज्यसभा में सरकार से पीरियड लीव पॉलिसी के बारे में पूछा. महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने संसद में खड़े होकर पीरियड लीव के लिए पॉलिसी बनाने से साफ इनकार कर दिया.

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स्मृति ईरानी का लॉजिक था- पीरियड्स कोई अपंगता नहीं है. सरकार पेड पॉलिसी की कोई पॉलिसी नहीं लाएगी. महिलाओं को कुछ दिन पीरियड्स के चलते मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. इस तरह की लीव से महिला कर्मचारियों के साथ भेदभाव बढ़ेगा. स्मृति ईरानी ने ये सवाल भी उठाया कि किसी महिला के पीरियड के बारे में एम्प्लायर को क्यों पता होना चाहिए. 

कई बार पीरियड लीव को लेकर हो चुकी है दुनियाभर में बहस

भारत ही नहीं, दुनिया भर में इस पर डिबेट हो रही है. भारत सरकार ने मना कर दिया. मोदी सरकार के वक्त 2017, 2018, 2022 में पीरियड लीव का जिक्र कम से कम तीन बिल में हुआ. 2022 के बिल में तीन दिन के पेड पीरियड लीव की व्यवस्था बनाने की बात थी  लेकिन बिल ही पास ही नहीं हुआ. 

नई सरकार बनने पर 2024 में फिर मोदी सरकार से पीरियड लीव के बारे में संसद में सवाल पूछा गया. स्मृति ईरानी की जगह नई महिला एवं विकास मंत्री अन्नापूर्णा देवी ने लिखित जवाब में दोहराया कि पीरियड्स के लिए पेड लीव को लेकर फिलहाल किसी पॉलिसी पर विचार नहीं हो रहा है.

पूर्व में भी कुछ सरकारों ने की थी पीरियड लीव देने की कोशिश

32 साल पहले देश में पीरियड्स लीव देने की शुरूआत हुई थी. बिहार में लालू यादव की सरकार ने 1992 में महिला कर्मचारियों को महीने में 2 दिन की पीरियड लीव की व्यवस्था शुरू की थी. 2023 में केरल की लेफ्ट सरकार ने लड़कियों के लिए कॉलेज, यूनिवर्सिटी में पीरियड लीव की व्यवस्था की. 2020 में पीरियड लीव की डिबेट तेज हुई जब प्राइवेट कंपनी जोमैटो ने 10 दिन के का पीरियड लीव लागू किया. फिर स्विगी और बायजूज ने भी ऐसा सिस्टम बनाया. 

महिलाओं को पीरियड की पीड़ा हर महीने झेलनी पड़ती है. पीरियड तीन से पांच दिन तक हो सकते हैं. 2024 में ओडिशा में बीजेपी सरकार बनी तो एक दिन के पीरियड लीव का एलान हुआ. कर्नाटक सरकार ने भी साल में सिर्फ 6 दिन पेड लीव की व्यवस्था बनाई है. ये काफी नहीं है लेकिन जहां कुछ नहीं वहां 6 दिन ही सही.

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