चुप रहने वाले मनमोहन ने जब अपनी शायरी से विपक्ष को कर दिया था 'मौन', सुषमा स्वराज भी नहीं रोक पाईं अपनी हंसी
संसद में चर्चा के दौरान डॉ. मनमोहन सिंह ने मिर्जा गालिब के शेर से बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "हमको उनसे वफा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफ़ा क्या है.
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Manmohan Singh Shayari: पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का निधन भारतीय राजनीति के एक युग का अंत का माना जा रहा है. 2004 से 2014 तक लगातार 10 वर्षों तक प्रधानमंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह को देश में आर्थिक सुधारों का जनक माना जाता है. अपने शांत और सौम्य स्वभाव के कारण वे पक्ष और विपक्ष दोनों के प्रिय थे. उनकी शायरी के जरिए दिए गए राजनीतिक जवाब आज भी संसद के यादगार पलों में शामिल हैं.
सुषमा स्वराज और मनमोहन सिंह के बीच शेरो-शायरी
संसद में चर्चा के दौरान डॉ. मनमोहन सिंह ने मिर्जा गालिब के शेर से बीजेपी पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "हमको उनसे वफा की है उम्मीद, जो नहीं जानते वफ़ा क्या है."इस पर तत्कालीन बीजेपी नेता सुषमा स्वराज ने भी शायरी में जवाब देते हुए कहा, "तू इधर उधर की न बात कर, ये बता कि काफिला क्यों लुटा." इसके जवाब में मनमोहन सिंह ने कहा था- ''माना के तेरी दीद के काबिल नहीं हूं मैं, तू मेरा शौक तो देख मेरा इंतजार तो देख." आज के दिन दोनों के बीच हुई ये शेरो-शायरी का वीडियो काफी वायरल हो रहा है.
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मनमोहन सिंह के सम्मान में राष्ट्रीय शोक
गुरुवार को डॉ. मनमोहन सिंह के निधन के बाद केंद्र सरकार ने सात दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया. उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. शुक्रवार को सभी सरकारी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए हैं. इसके साथ ही केंद्रीय मंत्रिमंडल की एक विशेष बैठक बुलाई गई है, जिसमें पूर्व प्रधानमंत्री को श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी.
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देश के आर्थिक सुधारों के जनक
डॉ. मनमोहन सिंह को भारत में आर्थिक सुधारों का जनक माना जाता है. 1991 में बतौर वित्त मंत्री उन्होंने देश को उदारीकरण की राह पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान भी उन्होंने देश को आर्थिक और सामाजिक मोर्चे पर नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. उनकी विरासत भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में हमेशा अमिट रहेगी.