महाविकास अघाड़ी में कौन है बड़ा भाई? सीएम फेस और सीट शेयरिंग को लेकर शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस के बीच 'उलझन'

अभिषेक शर्मा

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 Rahul Gandhi and Uddhav Thackeray.
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न्यूज़ हाइलाइट्स

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महाविकास अघाड़ी में सीट शेयरिंग के मुद्दे को उद्धव ठाकरे जल्द सुलझाना चाहते हैं.

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कांग्रेस फिलहाल इस मुद्दे पर इंतजार करने की रणनीति अपना रही है.

Mahavikas Aghadi: महाराष्ट्र में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं लेकिन अभी तक महाविकास अघाड़ी के घटक दलों में कई मुद्दो पर एक राय नहीं बन पाई है.  शिवसेना (यूबीटी) के राज्यसभा सांसद संजय राउत कांग्रेस के लेतलाली के रवैये से परेशान हैं और चुभने वाले बयान भी दे रहे हैं. दरअसल उद्धव ठाकरे की शिवसेना चाहती है कि कांग्रेस पार्टी सीएम फेस और सीट शेयरिंग के मुद्दे को जल्द सुलझाए लेकिन कांग्रेस की तरफ से इसे लेकर किसी तरह की कोई जल्दबाजी नहीं दिखाई जा रही है.

अब सवाल ये उठता है कि क्या महाविकास अघाड़ी के अंदर सब कुछ ठीक चल रहा है या नहीं. महाराष्ट्र की राजनीति को करीब से देखने वाले बता रहे हैं कि महाविकास अघाड़ी में लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद से ही कई तरह के मतभेद उभरकर सामने आ गए हैं. लोकसभा चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद से ही महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर से बड़ा भाई कौन? का मुद्दा उछल गया है. फर्क सिर्फ इतना है कि जब स्व. बाल ठाकरे शिवसेना को लीड करते थे, तब ये सवाल बीजेपी के साथ उनके गठबंधन को लेकर उठता था और अब जब उनके बेटे उद्धव ठाकरे नई शिवसेना को लीड कर रहे हैं तो ये सवाल कांग्रेस के साथ उनके गठबंधन में उठ रहा है.

दरअसल ये पूरा विवाद लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद ही सामने आया. महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने 21 सीटों पर, कांग्रेस ने 17 सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ा था. लेकिन जब रिजल्ट सामने आया तो उद्धव ठाकरे की शिवसेना सिर्फ 9 सीटें जीत सकी और कांग्रेस ने 13 सीटें जीती. यानी कम सीटों पर कांग्रेस ने चुनाव लड़ा और अधिक सीटों पर उसे जीत मिली. जबकि उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने अधिक सीटों पर चुनाव लड़ा और कम सीटों पर ही उसे जीत मिली.

इसके बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले ने बयान जारी कर खुद को महाविकास अघाड़ी में बड़ा भाई तक घोषित कर दिया था. लेकिन विवाद बढ़ने पर उद्धव ठाकरे के साथ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पृथ्वीराज चव्हाड़ प्रेस कांफ्रेंस में आए और बड़ा भाई-छोटा भाई को दरकिनार कर सभी को बराबर का साथी बताया था. लेकिन जिस तरह से सीट शेयरिंग को लेकर उद्धव ठाकरे के बार-बार अनुरोध के बाद भी कांग्रेस कोई एक स्टैंड नहीं ले रही है, उससे राजनीतिक पंडित अंदाजा लगा रहे हैं कि इस मुद्दे पर महाविकास अघाड़ी में तनाव पनपना शुरू हो गया है.

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आखिर सीट शेयरिंग पर बात बन क्यों नहीं रही है?

मुंबई तक की पत्रकार अनुजा इस पूरे विवाद पर करीब से नजर रखे हुए हैं. वे बताती है कि महाराष्ट्र में विधानसभा की कुल 288 सीटें हैं. शिवसेना (यूबीटी) 115 से 125 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है तो वहीं कांग्रेस भी 110 से 120 सीटें चाह रही है. बात सिर्फ मुंबई की करें तो यहां पर विधानसभा की कुल 36 सीटें हैं जिसमें से उद्धव ठाकरे की शिवसेना 20 से 22 सीटें मांग रही है और वहीं कांग्रेस भी यहां 18 सीटों पर उम्मीदवार खड़े करना चाहती है.

शरद पवार की एनसीपी की तरफ से सीट शेयरिंग को लेकर विशेष कोई डिमांड अब तक सामने नहीं आई है. मुंबई में वे सिर्फ 7 सीटें चाहते हैं लेकिन महाराष्ट्र के दूसरे रीजन में उनकी डिमांड भी सम्मानजनक संख्या लेने की है. किसको कितनी सीटें मिल पाएंगी, इसका फैसला उद्धव ठाकरे, शरद पवार और राहुल गांधी व कांग्रेस के दूसरे बड़े नेता मिलजुलकर ही कर सकते हैं. इसलिए संजय राउत बार-बार जल्द बैठक कर मामला सुलझाने की मांग कर रहे हैं लेकिन कांग्रेस का रवैया फिलहाल इंतजार करने का लग रहा है.

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संजय राउत ने अपने इस बयान से जताई थी नाराजगी

कांग्रेस के रवैये से संजय राउत नाखुश दिखे. उन्होंने बयान दिया कि ''कांग्रेस पार्टी बहुत व्यस्त है आजकल, फिर भी हमने आज बुलाया है कि मामला खत्म करना चाहिए. कांग्रेस के नेताओं को हमने बुलाया है, इतनी व्यस्तता है कांग्रेस नेताओं की कि तारीख पर तारीख दे रहे हैं. आज से तीन दिन के लिए उन्हें सीट बंटवारे पर बातचीत करने के लिए बुलाया है.'' खैर ये बातचीत शुरू तो हो गई है. लेकिन अभी तक शुरुआती बैठक और बातचीत से फिलहाल सीट शेयरिंग को लेकर कोई समाधान निकलकर सामने नहीं आया है.

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सीएम फेस को लेकर भी महाविकास अघाड़ी में हैं मतभेद

मुंबई तक की पत्रकार अनुजा बताती हैं कि शिवसेना (यूबीटी) चुनाव से पहले सीएम फेस घोषित कराना चाहती है. लेकिन शरद पवार की एनसीपी और कांग्रेस पार्टी का मानना है कि विधानसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद ही सीएम फेस पर बात होनी चाहिए. फिलहाल सभी घटक दलों को महाविकास अघाड़ी के बैनर तले ही चुनाव में जाना चाहिए. अब देखना होगा कि महाविकास अघाड़ी के अंदर सीट शेयरिंग और सीएम फेस के मुद्दे पर विवाद कब तक थम पाता है.

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