बीजेपी के मस्जिद-मंदिर वाले खेल को CJI संजीव खन्ना ने दिया बड़ा झटका, जान लीजिए कैसे?
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का आदेश बीजेपी के लिए भी झटका बना है. मस्जिद-मंदिर वाली राजनीति के बैकग्राउंड में उसी की एजेंडा पॉलिटिक्स है. मस्जिद के नीचे मंदिर की खोज की मुहिम बीजेपी स्पॉन्सर्ड मानी जाती है. पार्टी से जुड़े ही ऐसी याचिकाएं लगाकर हंगामा मचाए हुए हैं.
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न्यूज़ हाइलाइट्स
चंद्रचूड़ के इस जजमेंट में करेक्शन करने लगे CJI संजीव खन्ना, बड़े फैसले देने के लिए जाने जाते हैं
सुप्रीम कोर्ट के जज रहते हुए भी संजीव खन्ना ने कई ऐसे फैसले दिए जो बीजेपी के लिए झटका साबित हुए
मस्जिदों के अंदर मंदिर ढूंढने की भगवा राजनीति देश की नई समस्या बन चुकी है. तेज मांग हो रही है कि कहीं तो स्टॉपेज लगे. सिंगल जज वाली निचली अदालतों की भूमिका सवालों के घेरे में आई. वाराणसी, मथुरा, धार होते हुए मामला संभल पहुंचा तो बड़ा कांड हो गया. हिंसा में चार जानें चली गईं. संभल की हिंसा के ठीक बाद अजमेर शरीफ दरगाह के नीचे भी हिंदू मंदिर की तलाश की याचिका मंजूर हो गई. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने बिलकुल सही समय पर दखल दिया तो मंदिर वाली राजनीति का गेम ही पलटने लगा.
संजीव खन्ना ने 11 नवंबर को चीफ जस्टिस का चार्ज संभाला. सुप्रीम कोर्ट के जज रहते हुए भी संजीव खन्ना ने कई केस में ऐसे फैसले लिए जो बीजेपी के लिए झटका साबित हुए. चीफ जस्टिस बनने के बाद पहला ऐसा जजमेंट आया है जिसका राजनीतिक असर होना है. मस्जिद-मंदिर वाला खेल पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के 2022 के जजमेंट से शुरू हुआ. जस्टिस संजीव खन्ना ने चंद्रचूड़ के जजमेंट को पलटा नहीं लेकिन ऐसा जजमेंट दिया जिसे चंद्रचूड़ वाले जजमेंट का पहला करेक्शन माना जा सकता है.
ये मैसेज गया कि अब कम से कम निचली अदालतों को आंख मूंदकर मस्जिद खोदने का आदेश देने से पहले सौ बार सोचना है. मस्जिद-मंदिर वाली राजनीति पर एक स्टॉप तो लगाया सुप्रीम कोर्ट ने.
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चीफ जस्टिस का आदेश बीजेपी के भी झटका बना है. मस्जिद-मंदिर वाली राजनीति के बैकग्राउंड में उसी की एजेंडा पॉलिटिक्स है. मस्जिद के नीचे मंदिर की खोज की मुहिम बीजेपी स्पॉन्सर्ड मानी जाती है. पार्टी से जुड़े ही ऐसी याचिकाएं लगाकर हंगामा मचाए हुए हैं. विरोध करना तो दूर, बीजेपी ने इस मुहिम को शह दी.
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ज्ञानवापी मस्जिद में मंदिर ढूंढने का केस
2022 में वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में मंदिर ढूंढने का केस सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था. तब चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने न केवल ज्ञानवापी मस्जिद में मंदिर की खोज के लिए सर्वे होने दिया बल्कि ये व्याख्या भी दी कि 1991 का प्लेसेस ऑफ worship एक्ट धार्मिक स्थल में सर्वे को नहीं रोकता. मई 2022 में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस पीएस नरसिम्हा राव की बेंच ने ज्ञानवापी केस की सुनवाई करते हुए कहा था कि किसी पूजास्थल का धार्मिक स्वरूप नहीं बदला जा सकता, लेकिन 1991 के Places of Worship Act की धारा 3 और 4 पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र का पता लगाने से नहीं रोकता.
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मतलब सर्वे करके ये पता किया जा सकता है कि मस्जिद के नीचे कोई मंदिर तो नहीं था या मंदिर तोड़कर मस्जिद तो नहीं बनी थी. उसी के बाद धड़ाधड़ मस्जिदों के नीचे मंदिर होने के दावे होने लगे.
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सुप्रीम कोर्ट ने संभल केस में मस्जिद कमेटी को हाईकोर्ट जाने को कहा
संभल की हिंसा के बाद जामा मस्जिद के सर्वे का केस मुस्लिम संगठन की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस पीएस नरसिम्हा राव की बेंच ने केस सुना. संभल कोर्ट में चल रही अदालती कार्रवाई पर रोक लगा दी. निचली अदालत के हाथ बांध दिए. सर्वे के खिलाफ याचिकाकर्ता संभल शाही जामा मस्जिद कमेटी को इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने को कहा है. सर्वे के आदेश के खिलाफ जामा मस्जिद कमेटी को निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चैलेंज करना होगा.
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'कमिश्नर सर्वे रिपोर्ट सार्वजिक नहीं करेंगे'
तब तक जो सर्वे हो चुका है उसकी रिपोर्ट सर्वे कमिश्नर सार्वजनिक नहीं करेंगे. सुप्रीम कोर्ट के पास सीलबंद जमा करेंगे. सुप्रीम कोर्ट के कड़े रुख के बाद संभल कोर्ट में होने वाली सुनवाई 8 जनवरी तक टल गई. कोर्ट कमिश्नर अपनी सर्वे रिपोर्ट पेश नहीं कर पाए. मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में जो याचिका दी है उस पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कुछ नहीं किया है. 6 जनवरी को सुनवाई होगी.
संजीव खन्ना के फैसले, बीजेपी को झटका!
संभल की अदालत ने 19 नवंबर को शाही जामा मस्जिद में सर्वे का आदेश दिया ताकि ये पता लग सके कि शिव मंदिर है या नहीं. मस्जिद कमेटी ने दावा किया कि उनका पक्ष सुना भी नहीं गया. जिस दिन कोर्ट का आदेश आया उसी दिन सर्वे शुरू हो गया. तनाव और हंगामा उसी समय शुरू हो गया था. फिर भी सबक नहीं लिया. सर्वे टीम 24 नवंबर को दोबारा सर्वे करने पहुंचीं तो हिंसा भड़क गई. संभल के हालात बेकाबू हो गए.
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने कई ऐसे जजमेंट में शामिल रहे जिससे बीजेपी को झटका लगा. चीफ जस्टिस बनने से पहले सबसे लेटेस्ट केस था इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम जिसपर चंद्रचूड़ की बेंच ने रोक लगाई थी. संजीव खन्ना उसी बेंच के जज थे. बीजेपी के बड़े विरोधी अरविंद केजरीवाल को जमानत देने वाले जज भी संजीव खन्ना थे.
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