अगर युद्ध हुआ तो भारत के सामने कितने दिन टिक पाएगा पाकिस्तान... आंकड़ों ने खोली पूरी पोल

सौरव कुमार

India Pakistan Force Data: 22 अप्रैल 2025 के आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि रद्द कर पाकिस्तान पर दबाव बढ़ाया. पाकिस्तान ने 'एक्ट ऑफ वॉर' की धमकी दी, लेकिन उसकी आर्थिक बदहाली, सैन्य कमजोरी और आंतरिक संकट उसे भारत से युद्ध लड़ने में पूरी तरह अक्षम बनाते हैं.

ADVERTISEMENT

NewsTak
social share
google news

India Pakistan Force Data: 22 अप्रैल 2025 को भारत में हुए आतंकवादी हमले ने देश को झकझोर कर रख दिया. 28 निर्दोष नागरिकों की जान लेने वाली इस कायराना हरकत के पीछे एक बार फिर पाकिस्तान का नाम सामने आया. इसके जवाब में भारत सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए पांच बड़े फैसले लिए, जिनमें सबसे अहम था – "सिंधु जल संधि को रद्द करने का निर्णय". भारत के इस फैसले से बौखलाए पाकिस्तान ने अगली ही सुबह बयान जारी कर दिया कि "अगर भारत ने पानी रोका तो इसे 'Act of War' माना जाएगा."

पाकिस्तान के इस बयान ने 1971 के हालातों की याद दिला दी, जब भीख मांगने के बाद भी जब भारत नहीं झुका, तो युद्ध हुआ और 93 हजार पाकिस्तानी सैनिकों को सरेंडर करना पड़ा था. सवाल अब ये है कि क्या पाकिस्तान वाकई भारत से युद्ध झेलने की स्थिति में है...

सिंधु जल समझौता और नया विवाद

सिंधु नदी जल समझौता (1960) भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे का एक ऐतिहासिक समझौता है, जिसके तहत सिंधु, झेलम, और चिनाब नदियों का पानी पाकिस्तान को और सतलज, ब्यास, रावी का पानी भारत को आवंटित किया गया. 22 अप्रैल 2025 के आतंकी हमले के बाद, भारत ने इस समझौते को रद्द करने का फैसला लिया और साफ किया कि आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया जाएगा. जिसे पाकिस्तान ने युद्ध की धमकी के साथ जवाब दिया. पाकिस्तान की प्रतिक्रिया ने 24 अप्रैल 2025 को पाकिस्तान ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि पानी रोकना 'एक्ट ऑफ वॉर' होगा.

यह भी पढ़ें...

1971 की तरह पाकिस्तान फिर 'भीख' पर उतर आया

1971 में राष्ट्रपति याहिया खान ने अमेरिका के राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को पत्र लिखकर रोना रोया था कि भारत बांग्लादेश की आजादी के समर्थन में मुक्तिवाहिनी को सहायता दे रहा है, जो उनके अनुसार "युद्ध छेड़ने" के बराबर था. परिणामस्वरूप पाकिस्तान ने भारत पर हमला किया, लेकिन 13 दिनों के भीतर भारत ने उन्हें ऐसा करारा जवाब दिया कि 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया और बांग्लादेश का उदय हुआ.

आज 2025 में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है. पाकिस्तान फिर से 'एक्ट ऑफ वॉर' का नारा लगा रहा है, जबकि उसकी आंतरिक स्थिति खुद नाजुक दौर से गुजर रही है.

ये भी पढ़ें: पहलगाम हमले के बाद पाकिस्तान दे रहा शिमला समझौते को तोड़ने की धमकी, क्या इतनी अहम है ये ट्रीटी? जानिए सबकुछ

पाकिस्तान की आर्थिक हालत

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था इस समय गंभीर संकट से गुजर रही है, जिससे उसकी युद्ध की धमकियां महज खोखले दावे बनकर रह गई हैं. 2021 में जहां एक अमेरिकी डॉलर की कीमत 153 पाकिस्तानी रुपये थी, वहीं 2025 तक यह बढ़कर 281 रुपये से अधिक हो गई है, जो मुद्रा की भारी कमजोरी को दर्शाता है. महंगाई और गरीबी की हालत भी चिंताजनक है क्योंकि दिसंबर 2024 में महंगाई दर 29% तक पहुंच गई थी, जो फरवरी 2025 में गिरकर 1.5% पर आ गई. हालांकि यह गिरावट किसी राहत का संकेत नहीं है, बल्कि आर्थिक मंदी और बाजार में मांग की भारी कमी को दर्शाती है. पाकिस्तान में स्थिति इतनी खराब है कि 40% से अधिक आबादी गरीबी रेखा के नीचे जीवन जीने को मजबूर है.

इसके अलावा, पाकिस्तान पूरी तरह से आईएमएफ जैसे बाहरी कर्जदाताओं पर निर्भर हो गया है, जबकि 2025 में उसकी विकास दर महज 2.7% रहने का अनुमान है. अगर युद्ध जैसी स्थिति आती है, तो आर्थिक बोझ और भी बढ़ जाएगा. उदाहरण के लिए, कारगिल युद्ध के दौरान भारत रोजाना लगभग 1400 करोड़ रुपये खर्च कर रहा था, जबकि पाकिस्तान 370 करोड़ रुपये का दैनिक खर्च उठा रहा था. आज के महंगाई भरे माहौल में यह खर्च कई गुना बढ़ जाएगा, जिसे पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था झेलने में पूरी तरह असमर्थ है.

भारत बनाम पाकिस्तान: कौन कितना ताकतवर?

1971 के युद्ध में पाकिस्तान की करारी हार और 93,000 सैनिकों का आत्मसमर्पण इतिहास के पन्नों में दर्ज है. आज भी भारत की सैन्य ताकत पाकिस्तान पर भारी पड़ती है.

सेना की संख्या और प्रशिक्षण

अगर सेना की संख्या और प्रशिक्षण की बात करें तो भारत के पास 15 लाख सक्रिय सैनिक हैं, जो 15,000 किलोमीटर से अधिक लंबी सीमा की रक्षा करते हैं. भारतीय सेना न केवल संख्या में बड़ी है, बल्कि अनुशासन, प्रशिक्षण और अत्याधुनिक उपकरणों के मामले में भी काफी आगे है. दूसरी ओर, पाकिस्तान के पास 6.5 लाख सैनिक हैं, जो 6,700 किलोमीटर की सीमा की सुरक्षा करते हैं, लेकिन भ्रष्टाचार और राजनीतिक हस्तक्षेप ने उसकी सैन्य क्षमता को कमजोर कर दिया है.

आर्टिलरी और मिसाइल क्षमता

आर्टिलरी और मिसाइल के मोर्चे पर भी भारत की स्थिति कहीं बेहतर है. भारत के पास K9 वज्र, धनुष और ATAGS जैसी आधुनिक तोपें हैं, वहीं ब्रह्मोस (500 किमी रेंज) और अग्नि-5 (5000+ किमी रेंज) जैसी घातक मिसाइलें मौजूद हैं. इसके अलावा S-400 और आकाश जैसे अत्याधुनिक हवाई रक्षा प्रणालियां भी भारत की ताकत में इजाफा करती हैं. इसके मुकाबले पाकिस्तान के पास पुरानी M109A5 तोपें और सीमित SH15 गन हैं, जबकि उसकी बाबर और शाहीन मिसाइलों की रेंज 300 से 2500 किलोमीटर के बीच है. पाकिस्तान का चीनी HQ9 और LY80 हवाई रक्षा सिस्टम बालाकोट और ईरान के हमलों के समय नाकाम साबित हो चुका है.

टैंक शक्ति में भारत की बढ़त

टैंक फोर्स की तुलना करें तो भारत के पास T-90 भीष्म, अर्जुन और T-72 अजय जैसे आधुनिक तीसरी पीढ़ी के करीब 3,800 टैंक हैं. पाकिस्तान के पास मात्र 2,600 टैंक हैं, जिनमें से अधिकांश फर्स्ट और सेकंड जनरेशन के हैं. पाकिस्तान का अल-खालिद टैंक भी भारत के T-90 टैंकों के सामने कमजोर साबित होता है.

वायुसेना में भी भारत का दबदबा

वायुसेना के मामले में भी भारत को बढ़त हासिल है. भारत के पास सुखोई-30 MKI (260), राफेल (36), तेजस (35) और मिराज 2000 (46) जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमान हैं, और अब भारत ने F-35 विमानों की खरीद प्रक्रिया भी शुरू कर दी है. दूसरी ओर, पाकिस्तान के पास JF-17 (150), पुराने F-16 (75) और 50 साल से भी पुराने मिराज 3/5 विमान हैं, जिनके रखरखाव में आर्थिक संकट के कारण कठिनाई हो रही है.

नौसेना में भारत का वर्चस्व

जहां तक नौसेना की बात है, भारत की समुद्री शक्ति भी पाकिस्तान से कहीं ज्यादा मजबूत है. भारत के पास विमानवाहक पोत, पनडुब्बियां और अत्याधुनिक युद्धपोतों का एक विशाल बेड़ा है, जो समुद्री सीमाओं की प्रभावी सुरक्षा सुनिश्चित करता है.

पाकिस्तानी सेना: लड़ाकू फौज नहीं, रियल एस्टेट कंपनी!

पाकिस्तानी फौज का फोकस सैन्य तैयारियों से ज्यादा कमर्शियल बिजनेस चलाने पर है. आज पाकिस्तानी सेना के पास 50 से अधिक कमर्शियल प्रोजेक्ट्स हैं और वह देश की जीडीपी के लगभग 10% हिस्से की संपत्ति पर कब्जा जमाए बैठी है. बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और टैक्स चोरी के मामले भी सामने आ चुके हैं, जिन्हें पेंडोरा पेपर्स जैसी अंतरराष्ट्रीय जांच रिपोर्टों ने उजागर किया है. सीधी बात करें तो पाकिस्तानी सेना के बड़े अधिकारी मालामाल होते जा रहे हैं, जबकि आम सैनिकों के हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं, जिससे सेना की वास्तविक युद्ध क्षमता पर भी गहरा असर पड़ा है

पाकिस्तान की 'एक्ट ऑफ वॉर' धमकी एक खोखला दावा है, जो उसकी आर्थिक और सैन्य कमजोरियों के सामने बेमानी लगता है. भारत ने हमेशा शांति की वकालत की है, लेकिन आतंकवाद और आक्रामकता के खिलाफ उसका रुख कड़ा रहा है. सिंधु जल समझौते को रद्द करना भारत का रणनीतिक कदम है, जिसका जवाब पाकिस्तान के पास केवल शब्दों में है. जैसा कि इतिहास गवाह है, भारत न केवल अपनी रक्षा करने में सक्षम है, बल्कि क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी प्रतिबद्ध है.

यह खबरें भी पढ़ें: 
पहलगाम हमले के बाद भारत ने पानी में उतारा अपना जंगी जहाज INS विक्रांत, मिनटों में साफ हो जाएगा पाक!
पहलगाम अटैक में पाकिस्तान शामिल..भारत के हाथ लगे ये अहम सबूत! सामने आई बड़ी जानकारी

 

    follow on google news
    follow on whatsapp