महाकुंभ: सुंदर साध्वी निकली मॉडल तो भड़के संत, बोले- धर्माचार्य के रथ पर बैठाना गलत संदेश

बृजेश उपाध्याय

Mahakumbh Sundar Sadhvi: शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उनके फेसबुक पोस्ट पर लिखा गया- धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक प्रवृति है.

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तस्वीर: सोशल मीडिया.
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Mahakumbh Mela Updates: महाकुंभ में एक से बढ़कर एक साधु-सन्यासियों की कहानियां सामने आईं. उसमें सबसे ज्यादा चर्चा में रहीं हर्षा रिछारिया. सन्यासी के रूप में निरंजनी अखाड़े के साधु-संतों के साथ वो रथ पर सवार होकर छावनी प्रवेश पर निकलीं. यही नहीं वे अखाड़े के साथ अमृत स्नान का हिस्सा भी बनीं. बालों में नकली जटाएं लगाकर, भगवा पहनकर हर्षा कम उम्र की सबसे सुंदर साध्वी के रूप में चर्चा में रहीं. पता चला हर्षा एक मॉडल, एक्ट्रेस और एंकर हैं. ये बातें सामने आईं तो संत इस बिफर गए. 

शांभवी पीठाधीश्वर स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने इसपर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उनके फेसबुक पोस्ट पर लिखा गया- धर्म को प्रदर्शन का हिस्सा बनाना खतरनाक प्रवृति है. किसी माडल को धर्माचार्य के रथ पर बैठाना समाज के लिए गलत संदेश है. जिस प्रकार एक आचार्य महामंडलेश्वर अपने रथ पर मॉडल को बैठाकर अमृत स्नान के लिए गए, यह अच्छी बात नहीं है.

उन्होंने कहा कि साधु-संत त्याग की वृति के होते हैं, वे लोग भोग की वृति के हैं. लोगों की आस्था धीरे-धीरे संतों के प्रति कम हो रही है. श्रद्धालु यहां संगम में स्नान करने के लिए आये थे. उन लोगों ने स्नान किया और अपने-अपने घरों की ओर प्रस्थान कर गये. साधु-संत उनकी धार्मिक भावनाओं के साथ खिलवाड़ न करें. 

ऐसे संतों के खिलफ कार्रवाई का अनुरोध 

 स्वामी आनंद स्वरूप महाराज ने चारों शंकराचार्यों, जूना अखाड़ा के संरक्षक स्वामी हरि गिरि, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविन्द्र पुरी और तमाम धर्माचार्यों से अनुरोध किया है कि वे लोगों की आस्था के साथ खिलवाड़ करने वाले कथित साधु-संतों के खिलाफ कार्रवाई करें. यदि ऐसा नहीं हुआ तो साधु-संतों के प्रति लोगों की आस्था कमजोर हो जायेगी. जिसका दुष्परिणाम हम सबको झेलना पड़ेगा.

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अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष की आई प्रतिक्रिया 

एनबीटी में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी ने कहा कि वह (रिछारिया) हमारे अखाड़े के एक महामंडलेश्वर से दीक्षा लेने आई थीं. वह मॉडल हैं और सोशल मीडिया में सुर्खियों में रहती हैं.  रिछारिया रामनामी वस्त्र पहनी थीं. परंपरा है कि जब सनातन का कोई आयोजन होता है लोग भगवा पहनते हैं. इसमें कोई अपराध नहीं है.  परंपरा ये भी है कि कोई 1 दिन, 5 दिन तो कोई 7 दिन के लिए साधु होता है. 

महानिर्वाणी अखाड़े के महंत रवींद्र पुरी ने मॉडलिंग वाले साधुओं पर कटाक्ष करते हुए कहा कि गधा बाघंबर ओढ़ ले तो बाघ नहीं हो सकता. मन में संन्यास नहीं तो सिर्फ कपड़े पहनने से संत थोड़े हो सकता है कोई. 

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