कौन है लॉरेंस बिश्नोई, बाबा सिद्दीकी मर्डर के बाद अब कनाडा पुलिस ने क्यों लिया नाम?
जेल से लॉरेंस बिश्नोई की पूरी गैंग ऑपरेट होती है. इंडिया से लेकर कनाडा तक उसका खौफ है. उसकी कहानी भी अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम जैसी ही है.
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लॉरेंस बिश्नोई... जो खुद को समाजसेवी बताता है. फेसबुक बायो में लिखता है डिफरेंट स्टाइल में समाजसेवा और अपना आदर्श मानता है भगत सिंह को. पंजाब के कॉन्स्टेबल के घर जन्म हुआ अच्छी परवरिश मिली. पंजाब यूनिवर्सिटी में छात्र नेता रहा, वकालत की पढ़ाई की, जिसके दम पर या तो वो वकील बनता या ज्यूडिशियरी की तैयारी कर कहीं जज की कुर्सी पर बैठकर न्याय कर रहा होता, लेकिन आज वो ऐसा गैंगस्टर बन गया जो जेल में बैठकर जिसे मारना चाहता है..उसे मरवा देता है.
जेल से उसकी पूरी गैंग ऑपरेट होती है. इंडिया से लेकर कनाडा तक उसका खौफ है. उसकी कहानी भी अंडरवर्ल्ड डॉन दाउद इब्राहिम जैसी ही है. अब सवाल ये कि आखिर क्यों एक छात्र नेता इतना खतरनाक गैंगस्टर बन गया है. चर्चित चेहरा के इस खास एपिसोड में कहनी लॉरेंस बिश्नोई और उसकी हनक की.
बाबा सिद्दीकी की मौत के बाद महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे कड़ी कार्रवाई का दावा कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ विपक्षी कांग्रेस लॉरेंस को लेकर सरकार को घेर रही है... निशाने पर है बीजेपी, क्योंकि जिस साबरमती जेल में लॉरेंस बंद है, वो जेल गुजरात में है और गुजरात में बीजेपी की ही सरकार है, जहां बैठकर लॉरेंस अपना पूरा गिरोह चला रहा है. लेकिन सवाल ये कि आखिर जेल से कैसे लॉरेंस चलाता है अपना गिरोह?
लॉरेंस गुजरात की साबरमती जेल में बंद है, लेकिन उसका नेटवर्क देश के कई राज्यों के साथ विदेश में कनाडा, अमेरिका, पाकिस्तान और दुबई तक फैल चुका है. 50 से ज्यादा मुकदमे हैं, लेकिन सजा किसी भी केस में नहीं हुई है. हर अपराधी जेल से बाहर निकलना चाहता है, लेकिन लॉरेंस बिश्नोई ऐसा अपराधी है, जो जमानत के लिए अपील भी नहीं करता. न तो उसका कोई वकील ही कभी अदालत में पेश होता है. क्योंकि लॉरेंस को लगता है कि बाहर के मुकाबले में जेल में बैठकर अपराध करना ज्यादा आसान है.
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कनाडा पुलिस ने लगाए ये आरोप
कहा जाता है कि लॉरेंस खालिस्तानियों को भी खत्म करना चाहता है. जेल में बैठकर लॉरेंस कनाडा में रह रहे खालिस्तानियों का खात्मा करने पर तुला है. हाल ही में रॉयल कनेडियन माउंटेड पुलिस ने आरोप लगाए हैं कि भारत सरकार के एजेंट्स कनाडा में आतंक फैलाने के लिए लॉरेंस बिश्नोई गैंग के साथ मिलकर काम कर रहे हैं. यहां सीधे-सीधे लॉरेंस बिश्ननोई का नाम लिया गया.
ऐसे नाम पड़ा लॉरेंस
छात्र नेता से गैंगस्टर बना ये लड़का हमेशा ऐसा नहीं था. लारेंस बिश्नोई का जन्म 12 फरवरी 1993 को पंजाब के फिरोजपुर में हुआ. उसके पिता हरियाणा पुलिस में कॉन्स्टेबल थे. बेटा गौरा-चिट्टा था तो मां ने नाम रखा लॉरेंस. पिता ने बाद में सरकारी नौकरी छोड़ खेती-बाड़ी करने का फैसला किया. लॉरेंस ने 12वीं तक की पढ़ाई अबोहर जिले से की. इसके बाद वो चंडीगढ़ के डीएवी कॉलेज में पढ़ाई करने चला गया. लॉरेंस ने अपनी कॉलेज की पढ़ाई पंजाब यूनिवर्सिटी से की और एलएलबी की डिग्री ली.
पढ़ाई के दौरान उसने छात्र राजनीति में हाथ आजमाने के लिए अपना एक संगठन बनाया. नाम दिया सोपू यानी कि स्टूटेंड ऑर्गनाइजेशन ऑफ पंजाब यूनिवर्सिटी. इस संगठन के बैनर तले लॉरेंस बिश्नोई ने साल 2010 में डीएवी में छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव लड़ा. उसके विपक्ष में दो और ग्रुप थे. उदय सह और डग का ग्रुप, जिससे लॉरेंस चुनाव हार गया. इस हार के कुछ ही महीनों के बाद 11 फरवरी 2011 को लॉरेंस बिश्वोई और उदय सह-डग का ग्रुप आमने-सामने टकरा गया. फायरिंग भी हुई और कहा गया कि लॉरेंस बिश्नोई ने अपनी हार का बदला लेने के लिए ये फायरिंग की है. ये पहली बार था जब लॉरेंस के खिलाफ को कोई मुकदमा दर्ज हुआ.
जेल में हुईं ये मुलाकातें
लॉरेंस पीछे मुड़कर नहीं देखा. पिछले 12-13 साल में पंजाब पुलिस के एक कॉन्सटेबल के बेटे ने देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में वो दहशत फैलाई कि आज की तारीख में उसके पास 700 शूटरों की एक फौज है, जो उसके एक इशारे पर किसी को भी मार सकती है. शुरू में लॉरेंस लूट, डकैती जैसे मामलों में जेल गया और जेल जाना लॉरेंस बिश्नोई को फायदे का सौदा साबित हुआ. यहीं उसकी मुलाकात गोल्डी बराड़ और कई दूसरे गैंगस्टर्स से हुई. जेल में रहते हुए उसका हथियार डीलर्स से संपर्क हुआ. जेल में रहते हुए लॉरेंस ने गैंगस्टर से नेता बने जसविंदर सिंह उर्फ रॉकी से दोस्ती की.
2016 में जयपाल भुल्लर नाम के गैंगस्टर ने रॉकी की हत्या करवा दी, जिसका बदला लेते हुए लॉरेंस ने 2020 में भुल्लर की हत्या करवा दी. साल 2021 में लॉरेंस बिश्नोई को मकोका के तहत दर्ज एक केस की सुनवाई के लिए राजस्थान के भरतपुर से दिल्ली की तिहाड़ जेल में शिफ्ट करवा दिया गया.
लॉरेंस बिश्नोई का नाम अबतक अपराध की दुनिया में स्थापित हो चुका था. उसके नाम से पंजाब से लेकर दिल्ली तक फिरौती मांगी जा रही थी. लेकिन लॉरेंस को सबसे ज्यादा शोहरत मिली मई 2022 में. जब पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला की गोली मारकर हत्या हुई तो इसकी जिम्मेदारी कनाडा में छिपे बैठे बिश्नोई के साथ गोल्ड़ी बराड़ ने ली. उसने दावा किया कि बिश्नोई गैंग ने मूसेवाला को मरवाया.
इसके बाद लॉरेंस ने नवंबर, 2023 में पंजाबी सिंगर गिप्पी ग्रेवाल के घर पर फायरिंग कराई. करणी सेना के अध्यक्ष सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की गोली मारकर हत्या करवाई और अब सलमान खान के करीबी और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी की मुंबई में उनके बेटे के ऑफिस के बाहर हत्या कराने का आरोप है. इससे पहले लॉरेन्स गैंग सलमान को निशाना बनाने की कई बार तैयारी कर चुका है. रेडी फिल्म की शूटिंग के दौरान भी सलमान खान के पनवेल स्थित फॉर्म हाउस की रेकी की गई थी.
गुजरात की हाई सिक्योरिटी बैरक में बंद है लॉरेंस
इस वक्त लॉरेंस साबरमती जेल की हाई सिक्योरिटी बैरक में बंद है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि पिछले सवा साल से लॉरेंस बिश्नोई को साबरमती जेल से निकालने पर रोक है, मतलब वो कोई भी जुर्म करे, उसकी Custodial Interrogation नहीं हो सकती है. इस हाई सिक्योरिटी बैरक में दिन में चार बार जेल प्रशासन और एटीएस सुरक्षा की निगरानी करती है. लॉरेंस बिश्नोई से किसी को मिलने की इजाज़त नहीं है.
बीते महीनों में सलमान खान के घर पर हुई फायरिंग के मामले में मुंबई पुलिस ने लॉरेंस बिश्नोई को रिमांड पर लिए जाने की कोशिश की थी, लेकिन लॉरेंस बिश्नोई की रिमांड की चेकिंग मुंबई पुलिस को नहीं मिली थी. जानकारों का कहना है कि 30 अगस्त 2023 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने CRPC की धारा 268(1) के तहत लॉरेंस को एक साल तक साबरमती जेल में रखने का आदेश दिया था. दिल्ली पुलिस से लेकर मुंबई पुलिस और कई राज्यों की पुलिस लॉरेंस बिश्नोई को रिमांड पर लेना चाहती है लेकिन अभी तक किसी को उसकी रिमांड नहीं मिली है.
लॉरेंस बिश्नोई गैंग की मॉडस ऑपरेंडी काफी संगठित और प्रभावी है. इसमें टारगेट किलिंग, सोशल मीडिया का इस्तेमाल, सिक्योर कम्युनिकेशन और इंटरस्टेट नेटवर्क का इस्तेमाल शामिल है. लॉरेंस भी जेल में रहकर VOIP यानी इंटरनेट से कॉल करता था, जिसे ट्रेस कर पाना बहुत मुश्किल होता है. बाकी गैंग्स की तरह लॉरेंस भी वारदातों को अंजाम देने के लिए नाबालिग लड़कों का इस्तेमाल करते हैं, जिनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं होता है.
ऐसे में वारदात को अंजाम देकर ये आसानी से भाग निकलते हैं. दूसरा पकड़े जाने के बाद भी इन्हें बाल सुधार गृह में डाल दिया जाता है, जहां से बालिग होकर छूट जाते हैं. तीसरा, इनको ऐप्स के जरिए सुपारी दी जाती है, ऐसे में पकड़े जाने के बाद ये लोग किसी का नाम नहीं बता पाते. ऐसे में फंसने की संभावना कम रहती है. आजकल कम उम्र के लड़के अपने महंगे शौक पूरा करने के लिए अपराध के दलदल में उतर जाते हैं.