सचिन पायलट के पिता पर PM के दावे का कांग्रेस ने किया फैक्ट चेक! जानिए राजेश पायलट की कहानी

देवराज गौर

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कांग्रेस नेता सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट
कांग्रेस नेता सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट
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Story of Rajesh Pilot: राजस्थान के विधानसभा चुनावों में फिर एक बार कांग्रेस नेता सचिन पायलट और उनके दिवंगत पिता राजेश पायलट का जिक्र जोर शोर से हो रहा है. बुधवार को भीलवाड़ा के जहाजपुर में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस नेता स्व. राजेश पायलट का जिक्र करते हुए कांग्रेस पर हमला बोला.

पहले जान लीजिए क्या कहा नरेंद्र मोदी ने

कांग्रेस पर हमला बोलते हुए मोदी ने कहा कि, ‘कांग्रेस पार्टी में जो भी एक परिवार से टकराता है वो हमेशा के लिए खत्म हो जाता है. कांग्रेस का इतिहास है. अगर कांग्रेस में कोई भी सच बोले और सच बोलने के कारण इस परिवार को थोड़ी सी भी असुविधा हो जाए और थोड़ा भी कुछ चुभ जाए तो मान लेना उसकी राजनीति तो गड्ढे में गई. पूरी कांग्रेस में जिस-जिस ने इस परिवार के सामने कुछ भी कहा, कुछ भी बोला वो मरा समझो. राजेश पायलट जी ने एक बार कांग्रेस की भलाई के लिए इस परिवार को चुनौती दी थी. लेकिन वो चूक गए. ये परिवार ऐसा है कि राजेश जी को तो सजा दी ही दी, उनके बेटे (सचिन पायलट) को भी सजा देने में लगे हैं. राजेश पायलट तो नहीं रहे, उनकी खुन्नस बेटे पर भी निकाल रहे हैं.’

आखिर पीएम मोदी राजेश पायलट से जुड़े किस वाकए का जिक्र कर रहे थे? क्या कांग्रेस ने राजेश पायलट के किसी काम की सजा उनके परिवार और बेटे सचिन पायलट को दिया? इसपर सचिन पायलट क्या सोचते हैं? इन बातों को समझने के लिए अपने जमाने के दिग्गज कांग्रेस नेता राजेश पायलट की कहानी जानते हैं.

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कहानी सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट की

सचिन पायलट के पिता राजेश पायलट का असल नाम राजेश्वर प्रसाद सिंह बिधूड़ी था. उनका जन्म यूपी के ग्रेटर नोएडा वेस्ट में स्थित गांव वैदपुरा में हुआ था. बचपन में पिता के काम में हाथ बंटाया. घर-घर जाकर दूध बेचा. पढ़ने में मन लगता था और गरीबी से शिकायत थी तो सेना ज्वाइन कर ली. फिर एयरफोर्स में पायलट के लिए चुने गए. ट्रेनिंग दी कैप्टन रैल्फ ने. ये वही कैप्टन रैल्फ थे जिन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के अनुरोध पर उनके बेटे संजय गांधी को प्लेन उड़ाने की ट्रेनिग दी थी. बाद में इसी कड़ी की वजह से राजेश पायलट और संजय गांधी एक दूसरे के नजदीक आए.

पायलट उस समय दिल्ली में ही पोस्टेड थे. संजय गांधी से नजदीकी और राजनैतिक महात्वाकांक्षाओं की वजह से 13 साल की सेना की सेवा करने के बाद उन्होंने सेना से इस्तीफा दे दिया. लेकिन, राजनीति में एंट्री होती है टिकट मिलने से. पेंच फंसा. इंदिरा से मिलने गए, उत्तर प्रदेश के बागपत से चुनाव लड़ने की ख्वाहिश जाहिर की. इंदिरा चौंकी. बागपत तब के प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की सीट थी. यह जाटों का गढ़ था. पायलट ठहरे गुर्जर. इंदिरा ने दिलासा देकर वापस भेज दिया. जब सूची आई तो उसमें पायलट का नाम नहीं था.

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दिल्ली स्थित अपने आवास पर अपने पालतू कुत्ते के साथ बैठे राजेश पायलट
राजेश पायलट दिल्ली स्थित अपने आवास पर (फाइल फोटो, इंडिया टुडे)

एक रोज संजय गांधी के ऑफिस से फोन आया. मिलने पहुंचे तो संजय गांधी ने हाथ में पर्ची थमा कहा कि जाइए राजस्थान के भरतपुर से चुनाव लड़िए. इतना ही नहीं संजय ने उस रोज राजेश्वर प्रसाद सिंह बिधूड़ी को राजेश पायलट बना दिया. जब पर्चा भरा तो उसमें नाम था “राजेश पायलट”. राजेश ने अपना पहला चुनाव जीता और लोकसभा पहुंचे. अपने राजनैतिक करियर में पायलट ने 6 चुनाव लड़े. पहला भरतपुर से और बाकी दौसा से. दौसा को ही उन्होंने अपना गढ़ बनाया. गुर्जरों और किसानों के नेता बने.

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पायलट सिर्फ एक चुनाव हारे जब राजीव गांधी दोबारा अपनी दावेदारी पेश कर रहे थे 1989 में. इसके अलावा 1991, 1996, 1998, 1999 के चुनाव उन्होंने लगातार जीते. पायलट गिने चुने नेताओं में गिने जाते हैं जो संजय, राजीव और नरसिम्हा राव की गुड-बुक में रहे. राजीव गांधी और नरसिम्हा राव की सरकार में मंत्री भी बने.

राजीव गांधी की हत्या के बाद राजेश पायलट पार्टी में अपनी भूमिका तलाश रहे थे. उन्हें मौका मिला भी. 1997 में उन्होंने सीताराम केसरी के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ा. हारे. साथ में हारे शरद पवार भी. वो भी इस रेस में शामिल थे.

1999 में हार के बाद कांग्रेस सोनिया गांधी के नेतृत्व में खुद को संभालने की कोशिश में लगी थी. कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने सोनिया को अध्यक्ष बनाने का फैसला लिया. पार्टी के अंदर परिवारवाद की राजनीति को लेकर विरोध शुरू हो गया. सोनिया गांधी के विदेशी मूल होने का मुद्दा भी जोर-शोर से उठा. राजेश पायलट, शरद पवार और पीए संगमा ऐसे नेताओं में शामिल थे जो खुले तौर पर चुनौती दे रहे थे. पार्टी ने शरद पवार और पीए संगमा को बाहर का रास्ता दिखा दिया. पायलट अकेले पड़ गए. चुनाव हुए सोनिया अध्यक्ष बन गईं.

अगले बरस पायलट राजस्थान में अपने लोकसभा क्षेत्र में एक हवन में शामिल होने पहुंचे. कार से थे, कार बस से टकराई और दुर्घटना घट गई. वहां मौजूद लोगों ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया, लेकिन, अनहोनी घट चुकी थी. पायलट चल बसे थे.

प्रधानमंत्री मोदी शायद सोनिया गांधी और राजेश पायलट से जुड़े इसी सियासी किस्से का जिक्र अपने भाषण में कर रहे थे.

पर क्या कांग्रेस ने राजेश पायलट के परिवार को दी सजा?

पीएम मोदी की इन बातों का जवाब कांग्रेस ने दिया है. कांग्रेस ने प्रधानमंत्री के इस बयान को झूठ का पुलिंदा बताया है. कांग्रेस के मीडिया और प्रचार के चेयरमैन पवन खेड़ा ने कहा कि “मोदी ने ‘प्रधानमंत्री झूठ बोलो योजना’ को जारी रखते हुए बौखलाहट में झूठ का एक और पुलिंदा खोला है.” उन्होंने बयान जारी कर बताया है की राजेश पायलट ने सीताराम केसरी के खिलाफ चुनाव लड़ा था, और उस वक्त सोनिया गांधी सक्रिय राजनीति में नहीं थीं. कांग्रेस ने यह भी कहा है कि राजेश पायलट के निधन के बाद उनके बेटे केंद्र में मंत्री रहे. राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष बने और फिर वहीं के उपमुख्यमंत्री भी.

जब राजेश पायलट का सड़क दुर्घटना में निधन हुआ तो खाली हुई उनकी सीट पर कांग्रेस ने उनकी पत्नी रमा पायलट को लड़ाया गया. वह जीतीं और लोकसभा पहुंची. 2004 के लोकसभा चुनावों में उनके बेटे सचिन पायलट ने अपना पहला चुनाव अपने पिता की सीट से लड़ा और लोकसभा में पदार्पण किया.

मोदी के बयान पर सचिन पायलट क्या बोले?

पीएम मोदी के बयान पर सचिन पायलट का भी रिएक्शन आया है. उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता ने इंदिरा जी से प्रभावित होकर जनसेवा का रास्ता अपनाया. गांधी परिवार से दशकों से हमारे पारिवारिक संबंध हैं. वहीं किसी को मेरे वर्तमान और भविष्य की चिंता नहीं करनी चाहिए. इसकी चिंता मेरी पार्टी और जनता करेगी. ध्यान भटकाने के लिए इस तरह की बयानबाजी की जाती है. ऐसे बयान से लगता है बीजेपी बैकफुट पर है, क्योंकि अलग-अलग राज्यों में कांग्रेस जीत रही है. मुद्दों की बात करने से बीजेपी भागती है इसलिए बीजेपी ऐसे तथ्यहीन बयान देती है.’

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