Russia का RIC पर बड़ा बयान, India-China आएंगे एक साथ ?

आयुष मिश्रा

रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अचानक से एक पुराना लेकिन बहुत ही अहम मुद्दा उठाया है-RIC, यानी Russia-India-China त्रिकोण और यह कोई आम बयान नहीं है. रूस ने खुलेआम कहा है कि क्यों न RIC ग्रुप को फिर से ज़िंदा किया जाए, जिसे 2020 के बाद से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था.

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रूस ने एक ऐसा बयान दे दिया है जिसने ग्लोबल पॉलिटिक्स को झकझोर कर रख दिया है. रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने अचानक से एक पुराना लेकिन बहुत ही अहम मुद्दा उठाया है-RIC, यानी Russia-India-China त्रिकोण और यह कोई आम बयान नहीं है. रूस ने खुलेआम कहा है कि क्यों न RIC ग्रुप को फिर से ज़िंदा किया जाए, जिसे 2020 के बाद से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था. लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या ये संभव है? क्या चीन और भारत एक ही टेबल पर बैठ सकते हैं जब चीन पाकिस्तान को PL-15 मिसाइल जैसे हथियार दे रहा है? और क्या रूस की ये कोशिश दरअसल NATO को घेरने की एक चाल है? चलिए, विस्तार से बात करते हैं.

दरअसल, ये एक strategic dialogue platform था, जिसकी पहली मीटिंग हुई थी St. Petersburg में, जहाँ भारत के चीन के राष्ट्रपति और रूस एक साथ आए थे. उस मीटिंग को आज भी ब्रिक्स की नींव माना जाता है. आज जब ब्रिक्स एक ग्लोबल ब्लॉक बन चुका है, उसमें भी सबसे मजबूत तीन पिलर यही हैं – इंडिया, रूस और चाइना. लेकिन 2020, गलवान की घटना ने सब कुछ बदल दिया. भारत और चीन के बीच तनाव इस कदर बढ़ा कि RIC की कोई भी हाई लेवल मीटिंग दोबारा नहीं हो सकी.

रूस को अचानक RIC याद क्यों आ गया? 

दरअसल, अमेरिका और रूस के रिश्ते इस वक्त इतिहास के सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं. यूक्रेन युद्ध, नाटो विस्तार, और अब डॉनल्ड ट्रंप के बयानों ने माहौल और खराब कर दिया है. ट्रंप कह रहे हैं कि अगर मैं राष्ट्रपति होता, तो रूस आज नहीं बचता और रूस कह रहा है कि हमें अमेरिका की कोई ज़रूरत नहीं. इस स्थिति में रूस चाहता है कि वो एशिया के दो सबसे बड़े देशों, भारत और चीन को साथ लेकर एक नया फ्रंट तैयार करे जो NATO को बैलेंस कर सके. यानी पश्चिम के खिलाफ एक नया पोल बनाना, एक एशियन धुरी.

 क्या भारत और चीन फिर से एक ही टेबल पर आ सकते हैं? 

दरअसल, रूस के Foreign Minister लावरोव का दावा है कि भारत और चीन के रिश्ते बेहतर हो रहे हैं, और पश्चिमी ताकतें इन्हें आपस में लड़वाना चाहती हैं. पर क्या ये सच है? दरअसल, 2024 में पाकिस्तान ने भारत पर जो मिसाइलें दागीं, वो सारी Chinese origin की थीं. PL-15 मिसाइल, जो बियॉन्ड विज़ुअल रेंज मिसाइल मानी जाती है, वो भारत पर इस्तेमाल हुई, लेकिन फेल हो गई. भारत के पास अब उन मिसाइलों का स्क्रैप है, जिसे जापान, अमेरिका और यहां तक कि फ्रांस भी स्टडी करना चाहते हैं क्योंकि वो जानना चाहते हैं, चाइनीज टेक्नोलॉजी की असली ताकत क्या है और चीन का जवाब बड़ा अजीब था ये एक्सपोर्ट वर्जन था, जिसे हम डिफेंस एक्सिबिशन में दिखा चुके हैं.

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 क्या RIC का मकसद NATO को घेरना है? 

दरअसल, रूस की ये बात बिल्कुल साफ है कि वो चाहता है कि भारत और चीन एक साथ आएं ताकि पश्चिमी देशों के प्रभाव को बैलेंस किया जा सके. इस साल इंडियन ओशन में एक बड़ा नौसैनिक युद्धाभ्यास होने वाला है जिसमें यूरोपीय देश, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड और स्पेन शामिल होंगे. रूस को लग रहा है कि NATO धीरे-धीरे इंडो-पैसिफिक में अपनी पकड़ बना रहा है और यही वजह है कि वो चाहता है कि RIC फिर से खड़ा हो, और एक नया अलायंस बने, NATO के जवाब में. रूस के लिए ये सपना बहुत अच्छा है. पर ज़मीनी सच्चाई यह है कि भारत और चीन के बीच विश्वास की बहुत बड़ी खाई है. पाकिस्तान को JF-17 फाइटर जेट्स देना, PL-15 मिसाइलें देना और अब रिपोर्ट्स हैं कि चीन J-35 फिफ्थ जनरेशन फाइटर जेट्स भी पाकिस्तान को दे सकता है. ऐसे में RIC का रिवाइवल एक दूर की कौड़ी लगता है.

अगर चीन को RIC को दोबारा ज़िंदा करना है, तो सबसे पहले उसे एक बात साफ करनी होगी . पाकिस्तान को मिलिट्री सपोर्ट बंद किया जाए. तभी भारत और चीन एक साथ आ सकते हैं. वरना RIC, BRICS या SCO , कोई भी प्लेटफॉर्म अपनी असली पोटेंशियल तक नहीं पहुंच पाएगा. 

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