दशहरा रैली: भागवत ने 2024 के चुनाव को लेकर दिए कई संदेश, इस दिन का RSS के लिए क्या है महत्व?

देवराज गौर

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने नागपुर के रेशिमबाग मैदान में विजयदशमी के अवसर पर स्वयंसेवकों को संबोधित किया, मुख्य अतिथि के तौर पर मशहूर गायक शंकर महादेवन मौजूद रहे.
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने नागपुर के रेशिमबाग मैदान में विजयदशमी के अवसर पर स्वयंसेवकों को संबोधित किया, मुख्य अतिथि के तौर पर मशहूर गायक शंकर महादेवन मौजूद रहे.
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RSS News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के मुख्यालय नागपुर में हर साल की तरह इस बार भी दशहरा रैली का आयोजन हुआ. RSS की स्थापना 1925 में दशहरे के ही दिन हुई थी. संघ ने इस बार अपना 98वां स्थापना दिवस मनाया है. आरएसस के पथ संचलन के बाद संघ प्रमुख मोहन भागवत का भाषण भी हुआ. इस भाषण के खास मायने होते हैं. संघ प्रमुख की बातें इस संगठन की दशा-दिशा तो तय करते ही हैं, बीजेपी की सियासत पर भी इसका असर पड़ता है. इस बार मोहन भागवत ने अपनी स्पीच में 2024 के चुनाव से पहले कई इशारे किए हैं. आइए जानते हैं भागवत ने क्या कुछ खास कहा…

क्या राम मंदिर बनेगा 2024 के चुनाव का सबसे बड़ा एजेंडा?

मोहन भागवन ने अपनी दशहरा स्पीच में अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का जिक्र प्रमुखता से किया. उन्होंने अयोध्या में अगले साल 22 जनवरी को होने वाली रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर बात की. मोहन भागवत ने कहा, ‘हम देखने वाले है कि अब राम चंद्र जी अपने घऱ में प्रवेश करने वाले है. हम सभी वहां नहीं जा सकते . लेकिन पूरे देश में छोटे छोटे मंदिरों में भी वातावरण बनाएं. और खुशियां मनाएं.’ बीजेपी भी राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के इस कार्यक्रम को देशव्यापी स्तर पर मनाने की तैयारी में है. यानी यह तय है कि 2024 के चुनाव में राम मंदिर का बनना भी एक अहम मुद्दा रहेगा.

अंबेडकर का जिक्र क्यों?

मोहन भागवत ने अपनी स्पीच में दो बार संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अंबेडकर का जिक्र किया. भागवत ने संघ कार्यकर्ताओं को सलाह दी कि उन्हें संविधान सभा में अंबेडकर के दिए गए दो भाषण जरूर पढ़ने चाहिए. मोहन भागवत ने जोर दिया कि समाज को बांटने वाली ताकतों को ध्यान में रखना है और भावनाएं भड़काने की कोशिशों की पहचान करनी है. उन्होंने लोगों को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले भावनाएं भड़काकर वोट हासिल करने की कोशिशों के प्रति आगाह किया. भागवत ने लोगों से देश की एकता, अखंडता, पहचान और विकास को ध्यान में रखते हुए मतदान करने का आह्वान किया.

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दरअसल पिछले महीनों में देश के कई हिस्सों में जातिगत जनगणना और नए सिरे से आरक्षण की वकालत जोर पकड़ रही है. महाराष्ट्र में भी मराठा आरक्षण को लेकर नए आंदोलन की जमीन तैयार हो रही है. पीएम मोदी जातिगत जनगणना की विपक्ष की मांग को हिंदुओं को बांटने की साजिश तक करार दे चुके हैं. ऐसे में मोहन भागवत की एकजुटता की बात को भी इस नई सियासत से जोड़कर देखा जा सकता है.

मोदी सरकार की पीठ भी थपथपाई

मोहन भागवत ने जी-20 में अफ्रीकी संघ को शामिल किए जाने की घोषणा को मील का पत्थर बताया. साथ ही भारत के नेतृत्व में भारत को विश्व में जगह मिलने का भी जिक्र किया. इसे संघ की तरफ से मोदी सरकार की तारीफ के रूप में भी देखा जा रहा है. यह इशारा है कि सरकार को संघ की पूरी बैकिंग है.

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मणिपुर हिंसा में विदेशी तत्व शामिल होने की बात

मोहन भागवत ने मणिपुर हिंसा पर भी बात की और इसे विदेशी ताकतों की साजिश तक बताया. इसे भी मणिपुर मसले पर मोदी सरकार को संघ की क्लीनचिट के रूप में देखा जा रहा है. भागवत ने कहा कि केंद्र की इतनी मजबूत सरकार होने के बावजूद ऐसी कौन सी ताकतें हैं जो नफरत और हिंसा भड़काने की कोशिश कर रही हैं? संघ प्रमुख ने मार्क्सवादी राजनीति को भी निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि कुछ लोग खुद को सांसकृतिक मार्क्सवादी कहते हैं लेकिन उन्होंने कब से मार्क्स को भुला रखा है. देश की शिक्षा और संस्कृति को खराब करने के लिए मीडिया और शिक्षा जगत में यह अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा कि मार्क्सवादी दुनिया की सभी शुभ चीजों का विरोध करते हैं.

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दशहरे के दिन हेडगेवार ने की थी संघ की स्थापना

आपको बता दें कि केशवराव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में दशहरे के दिन ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना की थी. आरएसएस के कार्यकर्ताओं की संख्या 90 लाख से ज्यादा मानी जाती है और इस हिसाब से इसे दुनिया का सबसे बड़ा संगठ कहा जाता है. आरएसएस के करीब 75 आनुषांगिक और सहायक संगठन हैं. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी), विश्व हिंदू परिषद (विहिप), भारतीय मजदूर संघ और राष्ट्र सेविका समिति उन्हीं में से एक हैं. आरएसएस सरस्वती शिशु मंदिर और विद्या भारती जैसे शैक्षणिक संस्थान भी पूरे देश में चलाता है

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