बारामती में पवार vs पवार की लड़ाई, ननद और भौजाई में कौन मारेगा बाजी, जानिए समीकरण
तीन बार की सांसद सुले फिर बारामती से चुनाव लड़ रही हैं. जबकि सुनेत्रा बारामती में शैक्षिक, औद्योगिक और सामाजिक क्षेत्रों में सक्रिय रहती हैं और पहली बार चुनावी मैदान में उतरी हैं.
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Maharashtra Loksabha Elections: लोकसभा चुनाव में आज तीसरे चरण का मतदान हो रहा है. आज 11 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 93 सीटों के लिए मतदान चल रहा है. जिनमें गुजरात की 25, कर्नाटक की 14, महाराष्ट्र की 11, उत्तर प्रदेश की 10, मध्य प्रदेश की नौ, छत्तीसगढ़ की सात, बिहार की पांच, पश्चिम बंगाल और असम की चार-चार और गोवा की दो सीटें शामिल है.
महाराष्ट्र में तीसरे चरण के चुनाव में सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. महाराष्ट्र की बारामती उन वीआईपी सीटों में से एक है जिसको लेकर काफी चर्चा रहती है. इसबार यहां से चुनाव दिलचस्प हो गया है क्योंकि इस सीट पर ननद-भौजाई के बीच सियासी लड़ाई देखने को मिल रही है. यानी की इस सीट पर एनसीपी शरद गुट से शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले और एनसीपी अजीत गुट से अजीत पवार की पत्नी सुनित्रा पवार मैदान में है. तीन बार की सांसद सुले फिर यहां से चुनाव लड़ रही हैं. जबकि सुनेत्रा बारामती में शैक्षिक, औद्योगिक और सामाजिक क्षेत्रों में सक्रिय रहती हैं और पहली बार चुनावी मैदान में उतरी हैं. आइए जानते हैं क्या कहते हैं यहां के सियासी समीकरण.
अब बारामती का चुनावी गणित भी जान लीजिए
बारामती लोकसभा सीट पर लड़ाई 'पवार बनाम पवार' से भी परे है. 22 लाख मतदाताओं वाले इस निर्वाचन क्षेत्र में 80 और 90 के दशक की स्थिति और अब की स्थिति में बहुत बदलाव हो गया है. 2000 की शुरुआत से बारामती लोकसभा की जनसांख्यिकी भी तेजी से बदली है. ग्रामीण प्रकृति वाली बारामती लोकसभा सीट ने पुणे शहर का विस्तार शुरू होने के बाद अपना स्वरूप बदल लिया. 2009 के परिसीमन के बाद बारामती में शहरी क्षेत्र भी आ गए है. जैसे बारामती लोकसभा में हडपासर विधानसभा क्षेत्र है जिसमें 5 लाख से अधिक मतदाता हैं और 2014 से यहां बीजेपी की मजबूत पकड़ मानी जाता है. 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में हडपसार ने NDA उम्मीदवार को सबसे अधिक बढ़त दी थी.
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किसका पलड़ा है भारी?
बारामती में हडपसर सहित 6 विधानसभा क्षेत्र है जिनमें से भोर और पुरंदर में 2019 में कांग्रेस ने जीत हासिल की, लेकिन यहां शिवसेना की भी ठीक-थक स्थिति है. 2019 में इंदापुर और बारामती विधानसभा राकांपा ने जीती और दोनों निर्वाचन क्षेत्र अब NCP-अजित पवार के पास हैं और हड़पसर और दौंड बीजेपी के पास है. दौंड सीट पर कुछ सौ वोटों के साथ NCP उम्मीदवार के खिलाफ बीजेपी ने जीत दर्ज की थी. इन आंकड़ों को देखें तो अजित पवार ने सुप्रिया सुले पर बढ़त बना ली है लेकिन शरद पवार का भावनात्मक कनेक्ट होने से उन्हें बारामती विधानसभा क्षेत्र में अपनी पकड़ खोनी पड़ सकती है, इसी क्षेत्र की बदौलत 2014 और 2019 में सुप्रिया सुले को भारी बढ़त मिली थी, जिससे वह विरोधियों को पीछे छोड़ने में कामयाब हो सकीं थीं.
2019 में क्या था इस सीट के नतीजे
पिछले आम चुनाव की बात करें तो इस सीट से एनसीपी की सुप्रिया सुले को जीत मिली थी. उन्हें 6,86,714 वोट मिले थे. उनका वोटिंग प्रतिशत 52.95 फीसदी था. 2014 के लोकसभा चुनाव में भी सुप्रीया सुले ने यहां से जीत हासिल की थी. उन्हें 5, 21, 562 वोट मिले थे. एनसीपी शरद गुट की कैंडिडेट सुप्रिया सुले ने लगातार यहां से दो बार चुनाव जीता है. सुप्रीया इस सीट से तीन बार सांसद चुनी गई हैं.
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वैसे कुल मिलाकर देखें तो बारामती में पवारों की लड़ाई बहुत दिलचस्प होने वाली है. यह लड़ाई न केवल यह तय करेगी कि, वर्तमान में बारामती का बॉस कौन है? बल्कि इस लड़ाई से महाराष्ट्र की सियासत किस ओर रुख करेगी इसकी दिशा भी तय होगी.
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