भुवनेश्वर में सियासी चमत्कार दिखाने के लिए राहुल ने यासिर नवाज को उतारा, कौन है ये युवा नेता?

रूपक प्रियदर्शी

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Loksabha Elections 2024: नवीन पटनायक छठी बार भी अपनी सत्ता बरकरार रख पाएंगे या नहीं? बीजेपी नवीन पटनायक का सिंहासन हिला पाएगी या नहीं? 25 साल से सूखे का सामना कर रही कांग्रेस वापसी कर पाएगी? ओडिशा में चुनाव लड़ने वाली तीनों पार्टियों के सामने यही सवाल है, यही टारगेट है. ऐसा लग रहा था बीजेडी और बीजेपी अलायंस करके कांग्रेस के साथ मिलकर खेल कर देगी, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, ये कांग्रेस के लिए पॉजिटिव शुरुआत है.

कांग्रेस नई शुरूआत के साथ चुनाव में उतरी है. इसी मकसद से कांग्रेस ने यंग तुर्क यासिर नवाज को ओडिशा की सबसे प्रतिष्ठित सीट भुवनेश्वर पर उतारा है . बी.टेक की डिग्री ले चुके यासिर नवाज 4 साल से ओडिशा में कांग्रेस की छात्र यूनिट NSUI के अध्यक्ष हैं. 

कांग्रेस का एक्सपीरियंस और युवा वाला एक्सपेरिमेंट

ओडिशा से कांग्रेस ने जिन 9 सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं उसमें एक्सपीरियंस और फ्रेश उम्मीदवारों का कॉम्बिनेशन है. बालासोर से श्रीकांत जेना जैसे बेहद अनुभवी उम्मीदवार हैं तो यासिर नवाज जैसे युवा को भुवनेश्वर से टिकट मिला है. यासिर नवाज राहुल गांधी की नई खोज हैं जिन्होंने NSUI से राजनीति शुरू की. कन्हैया कुमार भी राहुल की ऐसी ही खोज हैं जो NSUI जैसे यूथ संगठन के नेशनल इन्चार्ज हैं और यासिर नवाज ओडिशा में NSUI के अध्यक्ष हैं.

28 साल पहले मिली थी जीत

भुवनेश्वर ओडिशा की राजधानी है जहां से चुनाव जीते कांग्रेस को 28 साल हो चुके हैं. 1996 में आखिरी बार जेबी पटनायक के दामाद सौम्य रंजन पटनायक कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीते थे. 1997 से बीजेडी ने भुवनेश्वर में एकछत्र राज किया. बीजेडी के प्रसन्न कुमार पाटनी 2019 तक हर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचते रहे. 2019 में नवीन पटनायक ने प्रसन्न पाटनी का टिकट काटकर पूर्व आईपीएस और मुंबई के पुलिस कमिश्नर रहे अरुप पटनायक को चुनाव लड़ने का प्रयोग किया लेकिन आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आईं बीजेपी की अपराजिता सारंगी ने सीट जीतकर धमाल मचा दिया. 2014 में तो कांग्रेस की जमानत जब्त हो गई थी और 2019 में कांग्रेस लड़ी ही नहीं. 2024 में कांग्रेस भुवनेश्वर से लड़ भी रही है और जीतने का इरादा भी है. 

यासिर को मिलेगी कड़ी चुनौती

हालांकि 30 साल के यासिर नवाज का पहला चुनाव बहुत कठिन है. एक तो पार्टी की हालत गड़बड़ है. ऊपर से मुकाबला है बीजेपी की अपराजिता सारंगी से. अपराजिता सारंगी 2019 में भुवनेश्वर से चुनाव जीती थीं. ओडिशा कैडर की पूर्व आईएएस अफसर हैं और ओडिशा में बीजेपी की ओर से बड़ी फेस हैं. माना जा रहा है कि ओडिशा में बीजेपी सरकार बनाने की स्थिति में हुई तो अपराजिता सारंगी सीएम की दावेदार भी होंगी. यासिर के सामने दूसरा उम्मीदवार भी बड़ा है. बीजेडी ने पायलट के करियर से राजनीति में आए मनमथ राउत्रे को उम्मीदवार बनाया है. राउत के पिता सुरेश राउत्रे भुवनेश्वर की विधानसभा सीट से विधायक हैं. 

यासिर नवाज ने ऐसे समय कांग्रेस से राजनीति शुरू की जब पार्टी सोई हुई थी. पिछले 5 साल में यासिर ने सरकार के खिलाफ कई आंदोलन चलाए. आंदोलनों से ही उन्होंने कांग्रेस हाईकमान की नजर में जगह पाई. ईनाम में भुवनेश्वर जैसी सीट से टिकट मिला. बीजेपी और बीजेडी के भ्रष्टाचार गिनाकर यासिर नवाज अपने और कांग्रेस के लिए बस एक चांस मांग रहे हैं. 

हालांकि उनके सामने एक दिक्कत इंडिया गठबंधन में शामिल लेफ्ट पार्टियां भी हैं. 2019 में कांग्रेस ने सीपीएम के लिए भुवनेश्वर सीट छोड़ी थी लेकिन इस बार न केवल गठबंधन तोड़ दिया बल्कि लेफ्ट को भरोसे में भी नहीं लिया. ओडिशा में कांग्रेस अकेले लड़ेगी और लेफ्ट को लड़ना है तो अकेले लड़ना होगा.

 

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