TMC ने की बीजेपी के खिलाफ शिकायत, एक्शन नहीं लेने पर कलकत्ता कोर्ट ने ECI को सुनाई खरी-खरी!

रूपक प्रियदर्शी

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Election Commission of India: चुनाव के समय देश का सारा पुलिस-प्रशासन चुनाव आयोग के अंडर आ जाता है. पॉलिटिकल पार्टियों को भी चुनाव आयोग के नियम, आदेश मानना होता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट चुनाव आयोग से ऊपर होते हैं. चुनाव आयोग की निष्पक्षता को लेकर विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है. चुनाव आयोग के खिलाफ विपक्ष के आरोपों को मजबूती मिली है कलकत्ता हाईकोर्ट से. एक केस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट जज ने चुनाव आयोग को फेल कह दिया. 

कलकत्ता हाईकोर्ट ने ECI को सुनाई खरी-खरी

बीजेपी के खिलाफ शिकायत के मामले में ढीला-ढाला रवैया अपनाने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग को रगड़ दिया. हाईकोर्ट ने कहा कि बीजेपी के खिलाफ तृणमूल की शिकायतों के मामले में चुनाव आयोग बुरी तरह फेल रहा. कड़े कमेंट के साथ हाईकोर्ट ने वो आदेश भी जारी किया जो चुनाव आयोग को करना चाहिए था. 

बीजेपी ने TMC के खिलाफ चलाए अपमानजनक विज्ञापन

कलकत्ता हाईकोर्ट के जज जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य की अदालत में तृणमूल कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ याचिका लगाई थी. शिकायत ये थी कि चुनाव में बीजेपी ने तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ अपमानजनक विज्ञापन चलाए. तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग से शिकायत की थी लेकिन आयोग ने एक्शन नहीं लिया. ममता की पार्टी ने हाईकोर्ट में शिकायत कर दी तो बीजेपी के साथ-साथ चुनाव आयोग की भी जमकर खिंचाई हो गई. 

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बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक हाईकोर्ट ने बीजेपी को आदेश दिया है कि वो तृणमूल के खिलाफ किसी भी प्रकार के अपमानजनक विज्ञापन प्रकाशित नहीं कर सकती. जिस विज्ञापन की शिकायत तृणमूल कांग्रेस ने हाईकोर्ट से की थी उसे हाईकोर्ट जज ने न केवल अपमानजनक माना बल्कि आदर्श आचार संहिता, प्रेस काउंसिल की गाइडलाइन, तृणमूल कांग्रेस के अधिकारों के साथ-साथ नागरिकों के निष्पक्ष चुनाव के अधिकार का भी उल्लंघन माना. 

ममता के खिलाफ लड़ रही बीजेपी को कोर्ट से झटका

हाईकोर्ट का आदेश ममता से लड़ रही बीजेपी के लिए करारा झटका है. उसे तृणमूल कांग्रेस के खिलाफ विज्ञापन रोकने होंगे. बीजेपी ने विवादित विज्ञापन में सनातनी विरोधी तृणमूल कहा था. बीजेपी ने चुनाव से एक दिन पहले और चुनाव के दिन साइलेंस पीरियड वाला नियम तोड़कर विज्ञापन छपवाए थे. कोर्ट ने मीडिया संगठनों से भी कहा है कि उन्हें उम्मीदवार या पार्टी के खिलाफ अनवेरिफाइड फैक्ट्स वाले विज्ञापन नहीं छापने चाहिए.

4 मई को तृणमूल कांग्रेस ने चुनाव आयोग से बीजेपी के विज्ञापनों की शिकायत की थी. शिकायत में कहा गया कि बीजेपी ने बंगाल के कुछ क्षेत्रीय समाचार पत्रों में विज्ञापन दिया है, जो अपमानजनक, झूठे और वोटरों से धार्मिक आधार पर वोट करने की अपील करते थे. तृणमूल के हाईकोर्ट में केस फाइल करने तक चुनाव आयोग ने कुछ नहीं किया. 18 मई को चुनाव आयोग ने बीजेपी नेताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किया. हाईकोर्ट ने माना कि चुनाव आयोग तय समय में बीजेपी के खिलाफ तृणमूल की शिकायतों का निपटारा करने में फेल रहा. कोर्ट के लिए जरूरी हो गया है कि वो स्टे ऑर्डर पास करे.

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चुनाव आयोग पर विपक्ष के गंभीर आरोप

चुनाव आयोग के बारे में हाईकोर्ट ने जो कहा वैसा ही कुछ सुनने के लिए विपक्ष के कान तरसते हैं. ईवीएम से लेकर वोटिंग का डेटा देने में देरी तक विपक्ष की चुनाव आयोग से लड़ाई चल रही है. विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग में सुनवाई नहीं होती. पीएम मोदी के बयानों की शिकायतों पर चुनाव आयोग ने ऐसा कोई एक्शन नहीं लिया जिससे विपक्ष संतुष्ट होता.

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जिस हाईकोर्ट ने तृणमूल को राहत देने वाला आदेश जारी किया उसी कोर्ट के जज होते अभिजीत गांगुली. जज रहते हुए अभिजीत गांगुली ने ममता सरकार के खिलाफ कई आदेश दिए. चुनाव से ठीक पहले अभिजीत गांगुली इस्तीफा देकर अचानक राजनीति में आए और बीजेपी में शामिल हो गए. अभिजीत गांगुली को बीजेपी ने तमलुक सीट से टिकट दिया. 

ममता के खिलाफ आपत्तिजनक बयान देने के आरोपों से घिरे अभिजीत गांगुली. एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें वो पूछते सुने जा रहे हैं कि ममता बनर्जी आपकी कीमत क्या है? 10 लाख? तृणमूल कांग्रेस ने इसकी भी शिकायत चुनाव आयोग से की. जवाब में चुनाव आयोग ने अभिजीत गांगुली को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है.

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