छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में एसीबी ने दाखिल की 1200 पेज की चार्जशीट, लखमा पर 64 करोड़ की कमाई समेत कई गंभीर आरोप 

न्यूज तक

Chhattisgarh liquor scam: छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में ACB ने 1200 पेज की चार्जशीट दाखिल की है, जिसमें पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा पर 64 करोड़ रुपये की अवैध कमाई सहित कई गंभीर आरोप लगाए गए हैं.

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छत्तीसगढ़ शराब घोटाले में कवासी लखमा पर आरोप, ACB की चार्जशीट
कवासी लखमा(फाइल फोटो)
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Chhattisgarh liquor scam: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है. आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी), रायपुर ने इस मामले में चौथा चार्जशीट दाखिल किया है. करीब 1200 पेज के इस चार्जशीट में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को मुख्य आरोपी बनाया गया है. यह चार्जशीट रायपुर के विशेष भ्रष्टाचार निरोधक कोर्ट में पेश की गई है. इस खबर ने पूरे राज्य में हलचल मचा दी है, क्योंकि जांच में सामने आए तथ्य चौंकाने वाले हैं. आइए, इस घोटाले की परतें खोलते हैं और समझते हैं कि आखिर क्या है पूरा मामला.

कवासी लखमा पर क्या हैं आरोप?

जांच में पता चला है कि 2019 से 2023 तक आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा ने अपने पद का जमकर दुरुपयोग किया. चार्जशीट के अनुसार, लखमा ने न केवल अपने संवैधानिक कर्तव्यों की अनदेखी की, बल्कि नीतिगत फैसलों में हस्तक्षेप किया, महत्वपूर्ण नियुक्तियों को प्रभावित किया और टेंडर प्रक्रिया में हेरफेर किया. इतना ही नहीं, उन्होंने नकद लेनदेन का एक समानांतर सिस्टम बनाया, जिसके जरिए आबकारी विभाग में भ्रष्टाचार का जाल बिछाया गया. 

जांच एजेंसियों का दावा है कि लखमा ने इस घोटाले से 64 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की. इसमें से 18 करोड़ रुपये की निवेश और खर्च से जुड़े दस्तावेजी सबूत भी मिले हैं. इस रकम का इस्तेमाल लखमा ने अपने और अपने परिवार के लिए संपत्ति जुटाने में किया.

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घोटाले का जाल: कैसे हुआ खेल?

शराब घोटाले को लखमा के संरक्षण में अंजाम दिया गया. इसमें विभागीय अधिकारी, ठेकेदार और उनके करीबी लोग शामिल थे. जांच में सामने आया कि तत्कालीन भूपेश बघेल सरकार में आईएएस अधिकारी अनिल टुटेजा, आबकारी विभाग के एमडी एपी त्रिपाठी और होटल कारोबारी अनवर ढेबर ने एक सिंडिकेट बनाकर इस घोटाले को अंजाम दिया. प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच में दावा किया गया है कि इस घोटाले की रकम 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा है. 

सुकमा कांग्रेस भवन और बंगला सीज

घोटाले की रकम का इस्तेमाल सुकमा में कांग्रेस भवन और एक बंगला बनाने में भी किया गया. इस आरोप के बाद दोनों संपत्तियों को सीज कर दिया गया है. ईडी ने इस मामले में एसीबी में प्राथमिकी (एफआईआर) दर्ज कराई थी, जिसके आधार पर जांच को और गति मिली.

कानूनी कार्रवाई और आगे की राह

चार्जशीट में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (2018 में संशोधित) की धारा 7 और 12, साथ ही आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471 और 120बी के तहत आरोप दर्ज किए गए हैं. यह मामला न केवल छत्तीसगढ़ की राजनीति में उथल-पुथल मचा रहा है, बल्कि यह भी सवाल उठा रहा है कि सत्ता में बैठे लोग कैसे अपने पद का दुरुपयोग कर सकते हैं.

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