कभी देश की सबसे ताकतवर सियासी नेताओं में रहीं शुमार, आज UP में सिर्फ एक MLA, कहानी मायावती की
मायावती ने 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई की हैं. राजनीति में प्रवेश से पहले वे दिल्ली के एक स्कूल में पढ़ाने के साथ-साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा(UPSC) के परीक्षाओं के लिये तैयारी भी करती थी.
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Mayawati 68th Birthday: बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती का आज 68 वां जन्मदिन है. मायावती देश के सबसे बड़े प्रदेश, उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रहीं हैं. भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी करने वाली मायावती, बहुजन नेता कांशीराम के संपर्क में आकर राजनीति में आ गई थी और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बन गई. देश में इस साल लोकसभा के चुनाव होने वाले है. विपक्ष ने सत्तारूढ़ बीजेपी के खिलाफ लड़ने के लिए INDIA अलायंस बनाया है. इस बीच मायावती के भी इसमे शामिल होने की चर्चा चल रही थी. हालांकि आज उन्होंने अपना रुख साफ करते हुए ये बता दिया हैं कि, वो किसी के साथ कोई गठबंधन नहीं करेंगी. आइए आपको बताते हैं मायावती के जीवन और उनके सियासी सफर के बारे में.
पहले जानिए मायावती की शुरुआती सफर के बारे में
मायावती का जन्म साल 1956 की 15 जनवरी को नई दिल्ली के में हुआ था. उनके पिता प्रभु दास गौतमबुद्ध नगर में एक डाकघर के कर्मचारी थे. मायावती के 8 भाई-बहन हैं. मायावती ने 1975 में दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कालेज से आर्ट्स में ग्रेजुएशन किया हुआ हैं. वहीं साल 1976 में उन्होंने मेरठ विश्वविद्यालय से बीएड और 1983 में दिल्ली विश्वविद्यालय से लॉ की पढ़ाई की हैं. मायावती राजनीति में प्रवेश से पहले दिल्ली के एक स्कूल में पढ़ाने के साथ-साथ भारतीय प्रशासनिक सेवा(UPSC) के परीक्षाओं के लिये तैयारी भी करती थी.
कांशीराम के साथ की थी राजनीति कैरियर का आगाज
साल 1977 में मायावती, बहुजन नेता कांशीराम के सम्पर्क में आई. इसी के बाद उन्होंने एक पूर्ण कालिक राजनीतिज्ञ बनने का फैसला ले लिया.कांशीराम ने साल 1984 में बहुजन समाजवादी पार्टी(बसपा) की स्थापना, मायावती पार्टी की स्थापना के लिए बनी कोर टीम का हिस्सा रहीं. चुनावी राजनीति में मायावती ने पहली बार साल 1989 में उत्तर प्रदेश की बिजनौर लोकसभा सीट से भारी वोटों से जीत हासिल की. इसके बाद साल 1994 ममें वे राज्यसभा के लिए चुनी गई. इसके बाद मायावती लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो गई. आपको बता दें कि, मायावती के समर्थक उन्हें ‘बहन जी’ के नाम से संबोधित करते है.
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साल 1995 में उत्तर प्रदेश में सियासी उलटफेर में मायावती प्रदेश की 12 वीं मुख्यमंत्री बन गई. सुचेता कृपलानी के बाद मायावती उत्तर प्रदेश की दूसरी महिला सीएम बनी थीं. इसके बाद मायावती प्रदेश की राजनीति में छा सी गई. बहुजनों ने उन्हें अपने नेता के तौर खूब पसंद किया. साल 2007 से 2012 तक चले उनके कार्यकाल में उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए जो उनकी राजनैतिक इच्छाशक्ति की दर्शाते है. मायावती इस बीच कई विवादों में भी रहीं. साल 2012 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के गाठों उन्हें हार के सामना करना पड़ा. इसके बाद से अबतक मायावती लगातार अपनी सियासी जमीन को खोती हुई ही नजर आई है.
क्या है मायावती की सियासी ताकत
मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी के उत्तर प्रदेश में 1 विधायक और 10 लोकसभा सांसद है. राज्यसभा में भी उनकी पार्टी से एक सदस्य है. इसके अलावा राजस्थान में भी उनकी पार्टी से 2 विधायक है. आपको बता दें कि बसपा ने उत्तर प्रदेश के पिछले विधानसभा चुनाव में 12.88 फीसदी वोट प्राप्त किए थे. वहीं 2019 के लोकसभा चुनाव में 3.67 फीसदी वोट पाए थे.
हाल ही में मायावती ने पार्टी के एक कार्यक्रम में अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना राजनैतिक वारिस घोषित किया था. अब देखना ये होगा कि, आगामी लोकसभा चुनाव में बुआ और भतीजा एकसाथ मिलकर क्या कमाल दिखा पाते है.
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