मध्य प्रदेश कांग्रेस में कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के बीच ये क्या चल रहा है?

देवराज गौर

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बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए बीरेंद्रे रघुवंशी के लिए टिकट को लेकर दिग्गी और कमलनाथ में छिड़ा मुंह जबानी विवाद
बीजेपी छोड़ कांग्रेस में शामिल हुए बीरेंद्रे रघुवंशी के लिए टिकट को लेकर दिग्गी और कमलनाथ में छिड़ा मुंह जबानी विवाद
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विधानसभा चुनाव 2023ः मध्य प्रदेश में चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस की टॉप लीडरशिप के बीच ही कुछ कन्फ्यूजन की स्थिति दिख रही है. कांग्रेस की पहली लिस्ट में कुछेक नामों को लेकर विवाद की स्थिति है. इसी बीच बीजेपी ने कमलनाथ का एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें वह कह रहे हैं दिग्विजय सिंह, जयवर्धन के कपड़े फाड़ें. उधर दिग्विजय सिंह ट्विटर पर कभी धैर्य रखने की सलाह दे रहे हैं, तो कभी कमलनाथ संग अपने पुराने रिश्ते की दुहाई दे रहे हैं. ऐसा क्या विवाद हो गया, आइए समझते हैं.

क्या है विवाद

असल में शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कांग्रेस ने अपने 144 उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की. इसमें शिवपुरी सीट को लेकर विवाद हुआ. एक नेता हैं बीरेंद्र रघुवंशी. कोलारस से विधायक. रघुवंशी 2018 में बीजेपी के टिकट पर अपना चुनाव जीते थे. उन्होंने अगस्त महीने में ही बीजेपी छोड़ कांग्रेस जॉइन कर ली थी. वह कांग्रेस के टिकट पर शिवपुरी से चुनाव लड़ना चाहते थे. यहां से टिकट मिल गया केपी सिंह को. सिंह अभी पिछोर से कांग्रेस के सिटिंग विधायक हैं.

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केपी सिंह को शिवपुरी से टिकट मिलने के बाद रघुवंशी के समर्थकों ने कमलनाथ से सवाल किए. इसी बीच बीजेपी ने एक वीडियो जारी किया. इसमें पीसीसी चीफ कमलनाथ कहते हुए नजर आ रहे हैं कि दिग्विजय सिंह और जयवर्धन के कपड़े फाड़िए. कमलनाथ ने कहा कि टिकट को लेकर मिस-अंडरस्टैंडिंग हो रही है. इसी बीच टिकट न मिलने पर बीरेंद्र रघुवंशी ने सोशल मीडिया पर अपना एक वीडियो जारी किया है. वह कहते नजर आ रहे हैं कि मुझे कुचक्रों के जाल में फंसाया गया है. मुझे उम्मीद है कि शीर्ष नेतृत्व जल्दी ध्यान देगा.

डैमेज कंट्रोल करते नजर आए दिग्विजय सिंह

इसी विवाद को डैमेज कंट्रोल करते हुए दिग्विजय सिंह ने एक्स पर लिखा “जब परिवार बड़ा होता है तो सामूहिक सुख और सामूहिक द्वंद्व दोनों होते हैं. समझदारी यही कहती है कि बड़े लोग धैर्यपूर्वक समाधान निकालें. ईश्वर भी उन्हीं का साथ देते हैं जो मन और मेहनत का मेल रखते हैं.” अपने दूसरे ट्वीट में वह कमलनाथ से 1980 के पारिवारिक रिश्ते की दुहाई दे रहे हैं. तीसरी पोस्ट में वह पूरे थ्रेड में टिकट बंटवारे की पूरी नीति समझा रहे हैं. यानी ऐसा लग रहा है कि मामला कुछ तो बिगड़ा जरूर है.

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अब कांग्रेस के सामने बड़ा सवाल यह है कि अगर दिग्गज नेता कमलनाथ और दिग्विजय के रिश्तों पर छाए बादल नहीं छंटे, तो चुनाव का क्या होगा?

 

 

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