वन नेशन वन इलेक्शन पर रिपोर्ट से पता चल गया कि देश में एक साथ कैसे होंगे चुनाव, जानें खास बातें

अभिषेक

'वन नेशन वन इलेक्शन’ पर बनी समिति ने ये सिफारिश की है कि, पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का चुनाव एक साथ कराया जाए. दूसरे चरण में नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव होंगे.

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One Nation One Election: एक देश एक चुनाव यानी वन नेशन वन इलेक्शन पर बनाई गई पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली कमेटी ने अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है. इसके बाद एक बार फिर देश में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ यानी ‘एक देश, एक चुनाव’ को लेकर चर्चा तेज हो गई है. केंद्र सरकार भी इसे लागू करने के लिए मूलभूत ढांचा तैयार करने को लेकर काफी ऐक्टिव दिख भी रही है. इसके लिए रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर 2023 को हाई लेवल कमेटी बनाई गई थी. तभी से यह कमेटी देश में 'वन नेशन वन इलेक्शन’ की संभावनाओं पर काम कर रही थी. इस कमेटी ने 18626 पन्नों की अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपी है. देखना ये होगा कि, केंद्र सरकार अब इस रिपोर्ट को कैसे लागू करती है. आइए आपको बताते हैं इस रिपोर्ट में देश में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के लिए क्या सुझाव दिए गए हैं. 

इस कमेटी ने देश में एक देश, एक चुनाव के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट दी है जिसमें लोकसभा चुनाव और राज्यों के चुनाव को एकसाथ कराने के लिए प्रावधान दिए गए हैं. इसके साथ ही ऐसा करने के लिए संविधान में कौन-कौन से संशोधन करने होंगे, इसे भी विस्तार से बताया गया है. 

सभी चुनावों को एकसाथ कराने के लिए ये हैं प्रावधान 

देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनावों को एकसाथ कराने का तरीका कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में बताया है. रिपोर्ट में ये कहा गया है कि, लोकसभा के चुनावों के बाद संसद की पहली बैठक के दिन भारत के राष्ट्रपति लोकसभा में इसके लिए उपबंध करते हुए अधिसूचना जारी कर सकते हैं. उसी तारीख को निर्धारित तिथि मानी जाएगी. इस निर्धारित तिथि के बाद सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति के समय तक होगा. इसके बाद लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभाओं का चुनाव एकसाथ आयोजित किए जाएंगे. समिति ने इसके लिए एक कार्यान्वयन कमेटी के गठन की भी सिफारिश की है. 

पहले लोकसभा और विधानसभा के चुनाव हो पाएंगे साथ

'वन नेशन वन इलेक्शन’ पर बनी समिति ने ये सिफारिश की है कि, पहले चरण में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं का चुनाव एक साथ कराया जाए. दूसरे चरण में नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव होंगे. समिति की अनुशंसा है कि इन चुनावों में ऐसा तालमेल बिठाया जाए कि, नगर पालिकाओं और पंचायतों का चुनाव लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव होने के सौ दिनों के भीतर हो जाएं. 

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एक साथ चुनावों के लिए बनेगी एकल मतदाता सूची और पहचान पत्र 

देश में लोकसभा, राज्यविधान सभाओं के साथ-साथ पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनाव को एक साथ कराने में सक्षम बनाने के लिए समिति ने एक मतदाता पहचान पत्र बनाने की सिफारिश की है. इस एकल मतदाता सूची बनाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 324A, अनुच्छेद 325, 243K और 243ZA के साथ ही संविधान के भाग IX के अनुसूची VII में संशोधन करने की आवश्यकता होगी. पंचायतों और नगर पालिकाओं के एक साथ चुनाव कराने के लिए आवश्यक संविधान संशोधन में राज्यों की विधानसभा की सहमति की जरूरत पड़ेगी जबकि लोकसभा और विधानसभा के चुनावों को एकसाथ कराने के लिए इसकी आवश्यकता नहीं होगी. 

पांच साल से पहले सरकार गिर जाने पर क्या होगा?

समिति की सिफारिश है कि, अगर किसी राज्य या केंद्र में त्रिशंकु सदन, अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी भी स्थिति में जब सरकार गिर जाती है तब नए सिरे से चुनाव कराकर नए सदन का गठन करने का प्रावधान है. अगर लोकसभा के लिए ऐसा होता है तो चुनाव लोकसभा की बाकी बची हुई अवधि के लिए होगा न कि पांच सालों के लिए. जबकि पहले ये प्रावधान था कि चुनाव पांच सालों के कार्यकाल के लिए होता था. वहीं अगर राज्य विधानसभाओं के लिए नए सिरे से चुनाव होते हैं, तो विधानसभा की अवधि लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति तक जारी रहने का प्रावधान है. इस प्रावधान को भी लागू करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 83 (संसद के सदनों की अवधि) और अनुच्छेद 172 (राज्य विधानमंडलों की अवधि) में संशोधन करना होगा. हालांकि यह संविधान संशोधन नहीं होगा लेकिन इसमें राज्यों के समर्थन की आवश्यकता होगी.

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