जगदीप धनखड़ के इस्तीफे की असली वजह! सियासी तूफान से पहले 21 जुलाई को राज्यसभा में क्या हुआ था?

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21 जुलाई की रात 9:25 बजे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा दे दिया. आधिकारिक बयान में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया. लेकिन विपक्ष का दावा है कि मामला सिर्फ स्वास्थ्य का नहीं है.

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संसद के मॉनसून सत्र का पहला दिन यानी 21 जुलाई 2025 बेहद हंगामेदार रहा. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक तो आम थी, लेकिन इस बीच अचानक उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का इस्तीफा आने से देश की राजनीति में भूचाल आ गया. 

हर तरफ हर तरफ इस इस्तीफे की पीछे की वजह पूछी जा रही है. आखिर ऐसा क्या हुआ कि धनखड़ को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा? क्या यह केवल स्वास्थ्य कारणों से लिया गया फैसला था, या इसके पीछे कोई गहरी सियासी वजह थी? 

मॉनसून सत्र का हंगामेदार आगाज

संसद के मॉनसून सत्र की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन से हुई. उन्होंने राष्ट्रहित में एकता की बात कही और संसद की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने की अपील की. लेकिन जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्ष ने सरकार पर हमला बोल दिया. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि उन्हें बोलने से रोका गया, जबकि सत्ता पक्ष के मंत्रियों को खुलकर बोलने का मौका दिया गया. 

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सत्र के दौरान कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, जिसमें हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव, ऑपरेशन सिंदूर और बिहार में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण जैसे विषय शामिल थे. लेकिन दिन खत्म होते ही उपराष्ट्रपति धनखड़ का इस्तीफा हो गया. 

स्वास्थ्य या सियासत?

21 जुलाई की रात 9:25 बजे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अचानक इस्तीफा दे दिया. आधिकारिक बयान में उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया. लेकिन विपक्ष का दावा है कि मामला सिर्फ स्वास्थ्य का नहीं है. कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि धनखड़ पूरे दिन स्वस्थ और सक्रिय दिखे. वे बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठकों में शामिल हुए और विपक्षी नेताओं से भी मिले. फिर अचानक इस्तीफे का फैसला चौंकाने वाला है. 

जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, "धनखड़ जी को अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए, लेकिन यह इस्तीफा किसी बड़ी वजह की ओर इशारा करता है." उन्होंने यह भी बताया कि धनखड़ ने 22 जुलाई को BAC की बैठक और न्यायपालिका से जुड़े कुछ अहम ऐलान की तैयारी की थी. फिर 21 जुलाई की शाम को ऐसा क्या हुआ कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया?

इस्तीफे की असली वजह?

सूत्रों के मुताबिक, धनखड़ के इस्तीफे का कारण जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव हो सकता है. 21 जुलाई को धनखड़ ने पुष्टि की थी कि उन्हें जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव मिला है, जिस पर 50 से अधिक सांसदों के हस्ताक्षर हैं.

वहीं उन्हें जानकारी मिली की लोकसभा में भी ऐसा ही एक प्रस्ताव लाया गया, जिसमें बीजेपी सहित 152 सांसदों के हस्ताक्षर थे. इसके बाद उन्होंने सचिवालय को इसकी जांच के निर्देश दिए. जबकि राज्यसभा में जो प्रस्ताव लाया गया था उसमें सिर्फ विपक्षी द्वारा पेश किया गया था. 

कई जानकारों का मानना है कि धनखड़ का विपक्ष के प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार करना सत्ता पक्ष को पसंद नहीं आया. धनखड़ लंबे समय से न्यायिक सुधारों के समर्थक रहे हैं, और जस्टिस वर्मा का मामला उनके लिए अहम मौका था. लेकिन सरकार इस समय न्यायपालिका से टकराव से बचना चाहती थी. 

नड्डा का बयान 

सोमवार को राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान एक और वाक्या हुआ. ऑपरेशन सिंदूर पर बहस के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे बोल रहे थे, तभी बीजेपी नेता जेपी नड्डा ने टिप्पणी की, "जो मैं कहूंगा, वही रिकॉर्ड में जाएगा." विपक्ष ने इसे धनखड़ का अपमान माना. हालांकि, नड्डा ने बाद में सफाई दी कि उनकी टिप्पणी विपक्ष के लिए थी. 

इसके अलावा, BAC की दूसरी बैठक में जेपी नड्डा और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू की गैरमौजूदगी भी नाराजगी का कारण हो सकती है. कांग्रेस सांसद विवेक तन्खा ने कहा कि धनखड़ पूरे दिन हंसमुख अंदाज में कार्यवाही संचालित करते रहे, लेकिन दोपहर की घटनाओं ने उन्हें प्रभावित किया. 

सरकार की सलाह के बैगर लिया प्रस्ताव!

सूत्रों के मुताबिक, धनखड़ ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ प्रस्ताव को बिना सरकार से सलाह लिए स्वीकार किया, जिससे सत्ता पक्ष असहज हुआ. 21 जुलाई को ही सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ FIR की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी. ऐसे में धनखड़ का जल्दबाजी में कदम उठाना सरकार को ठीक नहीं लगा. 

उपराष्ट्रपति सचिवालय ने 21 जुलाई दोपहर 3:53 बजे एक पोस्ट में बताया था कि धनखड़ 23 जुलाई को जयपुर की यात्रा करेंगे. इससे साफ है कि इस्तीफे का फैसला आखिरी समय में लिया गया. 

विपक्ष का रुख

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने कहा ये इस्तीफा पूरी तरह अप्रत्याशित है. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, 'मैं आज शाम 5 बजे तक उनके साथ था, उस समय कई अन्य सांसद भी मौजूद थे. बाद में शाम 7 बजकर 30 मिनट पर मेरी उनसे फोन पर बातचीत भी हुई थी. निस्संदेह, उपराष्ट्रपति धनखड़ को अपनी सेहत को प्राथमिकता देनी चाहिए. लेकिन उनका यह पूरी तरह से अप्रत्याशित इस्तीफा बताता है कि मामला सिर्फ स्वास्थ्य तक सीमित नहीं है. हालांकि अभी अनुमान लगाने का समय नहीं है.'

इसके अलावा, कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा, "जगदीप धनखड़ ने अपनी सीमा पार की, जिसके कारण सरकार का उन पर से भरोसा उठ गया. जब सरकार का समर्थन खत्म हो गया, तो उन्हें पद छोड़ना ही पड़ा."

अब राज्यसभा में उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह अगले उपराष्ट्रपति चुने जाने तक कार्यवाहक अध्यक्ष के तौर पर काम करेंगे. नया उपराष्ट्रपति चुनने की कानूनी प्रक्रिया जल्द शुरू होगी. चुनाव आयोग को 19 सितंबर से पहले 60 दिनों के अंदर चुनाव कराना होगा. 

 
 
 
 

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