सुप्रीम कोर्ट में बाबा रामदेव को हाथ जोड़ क्यों मांगनी पड़ी माफी? पूरा मामला जान लीजिए

अभिषेक

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Patanjali Case: आयुर्वेद बनाम एलोपैथ और भ्रामक विज्ञापन मामले में आज एकबार फिर से सुप्रीम कोर्ट(SC) में सुनवाई हुई. इस मामले पर सुनवाई जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने की. आज की सुनवाई में SC के सामने बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण भी पेश हुए. सर्वोच्च अदालत ने इन दोनों को जमकर फटकार लगाई. पिछली सुनवाई में SC ने अदालत के आदेश की अवमानना मामला पर सुनवाई की थी, जिसमें रामदेव और बालकृष्ण  को अगली सुनवाई में पेश होने का आदेश दिया गया था. इसके साथ ही SC ने भ्रामक विज्ञापन न छापने के लिए एक हलफनामा भी दाखिल करने के लिए कहा था. आइए आपको बताते हैं कोर्ट में आज क्या-क्या हुआ, इसके साथ ही जानिए कि बाबा रामदेव और बालकृष्ण की कंपनी पतंजलि पर क्या हैं आरोप. 

पहले जानिए कोर्ट में क्या-क्या हुआ?

सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, रामदेव और बालकृष्ण को दो हलफनामे दाखिल करने चाहिए थे लेकिन एक ही किया गया है दूसरा दाखिल नहीं किया गया है. कोर्ट को जानकारी मिली कि 21 नवंबर के कोर्ट के आदेश के बाद रामदेव और बालकृष्ण ने अगले दिन प्रेस कांफ्रेंस की और माफी मांगी. इसपर कोर्ट ने कहा कि, आपकी माफी पर्याप्त नहीं थी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही थी और पतंजलि विज्ञापन छापे जा रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा आपका मीडिया विभाग आपसे अलग नहीं है, आपने ऐसा क्यों किया जबकि आपको नवंबर में चेतावनी दी गई थी. इसके बावजूद आपने प्रेस कॉफ्रेंस किया. SC ने बाबा रामदेव को फटकार लगाते हुए साफ-साफ कहा कि, आप देश की सेवा करने का बहाना मत बनाइए और कोर्ट के आदेश को गंभीरता से लीजिए. कोर्ट ने कहा, आप चाहे जितने ऊंचे हों, कानून आपसे ऊपर है और कानून की महिमा सबसे ऊपर है. इसपर रामदेव के वकील ने कहा कि भविष्य में ऐसा नहीं होगा. पहले जो गलती हो गई, उसके लिए हम माफी मांगते हैं. वहीं रामदेव ने भी सुप्रीम कोर्ट से हाथ जोड़ कर माफी मांगी. 

कोर्ट ने क्या दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला की दो जजों की बेंच ने स्वामी रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि के दिव्य फार्मेसी के खिलाफ ड्रग्स एंड मेडिकल एक्ट के उल्लंघन के आरोपों के जवाब के लिए नोटिस जारी किया. इसके साथ ही आयुष मंत्रालय और उत्तराखंड सरकार के संपदा विभाग को भी नोटिस जारी किया गया. नोटिस में एक हफ्ते के भीतर जवाब मांगा गया है. अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होगी. 

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अब पूरा मामला जान लीजिए 

पतंजलि कंपनी के ऐलोपैथी यानी अंग्रेजी दवाओं के माध्यम से इलाज के खिलाफ विज्ञापनों को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. 27 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी. तब कोर्ट ने 'गुमराह करने वाले' विज्ञापनों के लिए पतंजलि आयुर्वेद को फटकार लगाते हुए पतंजलि और आचार्य बालकृष्ण को अवमानना नोटिस जारी किया था. तीन सप्ताह के अंदर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया था, लेकिन सुनवाई होने तक इसका जवाब नहीं दिया गया. 

फिर 19 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्ला की पीठ ने सुनवाई की. पीठ ने पतंजलि को फटकार लगाते हुए उसके विज्ञापन प्रकाशित करने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया. साथ ही अगली सुनवाई पर स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण दोनों को कोर्ट में हाजिर होने को भी कहा था. इसके बाद 21 मार्च को पतंजलि आयुर्वेद के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने सुप्रीम कोर्ट से बिना शर्त के माफी मांग ली थी. तब उन्होंने कोर्ट से कहा कि, कंपनी भ्रामक विज्ञापनों के लिए 'खेद व्यक्त करती है'. उन्होंने ये भी कहा कि, 'हम यह सुनिश्चित करेंगे कि, भविष्य में ऐसे विज्ञापन जारी नहीं किए जाएं.'

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