मोदी, BJP और संघ अचानक क्यों करने लगे राम मंदिर की बात, क्या इससे 2024 में मिलेगा वोट?

अभिषेक

CSSP के फेलो संजय कुमार ने कहा कि बिहार में जारी हुई जातिगत सर्वे के आंकड़ों से बीजेपी की जमीन हिलती नजर आ रही है. पिछले 10 वर्षों के बीजेपी के शासन में भी लूपहोल नजर आ रहे हैं.

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Narendra Modi with Ram Mandir Trust Members
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अयोध्या में बन रहा राम मंदिर में अगले साल 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. इसके लिए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट पीएम मोदी के पास न्यौता लेकर गया. मोदी ने इस न्यौते को स्वीकार कर लिया है. मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) चीफ मोहन भागवत, दोनों की ही दशहरा स्पीच में राम मंदिर की चर्चा जोर शोर से रही. बीजेपी संगठन ने यूपी समेत देशभर में राम मंदिर के लिए त्योहारी माहौल बनाने में जुट गया है. सवाल यह है कि आखिर अचानक बीजेपी राम मंदिर के मामले को बड़ा क्यों बना रही है? क्या बीजेपी को उम्मीद है कि 2024 के चुनाव में भी राम मंदिर का मुद्दा उसे वोट दिलाएगा? क्या ये विपक्ष की जातिगत जनगणना की मांग वाली राजनीति का काट है?

जुलाई के अंत और अगस्त की शुरुआत में पीएम मोदी ने नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) के सांसदों की बैठक ली थी. तब सूत्रों के हवाले से खबर आई कि पीएम मोदी ने कहा कि 2024 में सिर्फ राम मंदिर के भरोसे नहीं रहें. तब उन्होंने कहा था कि लोगों से मिलें, जो नाराज हैं उन्हें मनाएं. फिर दो महीनों में ऐसा क्या बदला कि बीजेपी अपनी परंपरागत राम मंदिर और हिंदुत्व की पॉलिटिक्स की तरफ लौटती दिख रही है.

राम मंदिर का मुद्दा कितना वोट दिलाएगा?

इस साल अगस्त में इंडिया टुडे और सी-वोटर्स का मूड ऑफ द नेशन सर्वे आया. इस सर्वे में लोगों से पूछा गया कि अगर आप बीजेपी को वोट करेंगे तो इसकी वजह क्या होगी? सिर्फ 14 फीसदी लोगों ने वजह में हिंदुत्व के ऑप्शन को चुना. लोगों से पूछा गया कि एनडीए सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि क्या मानते हैं? सर्वे में महज 11 फीसदी ने अयोध्या के राम मंदिर और काशी विश्वनाथ कॉरिडोर को उपलब्धि बताया. सर्वे में पीएम मोदी की लोकप्रियता और विकास के कार्यों से जुड़े ऑप्शन इनपर भारी पड़े. फिर भी बीजेपी का राम मंदिर की ओर शिफ्ट क्यों?

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क्या विपक्ष के जातिगत जनगणना की मांग से बदल गए मुद्दे?

हमने इस पूरे मामले को समझने के लिए सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ सोसाइटी एंड पॉलिटिक्स (CSSP) के फेलो प्रोफेसर संजय कुमार से बात की. संजय कुमार ने कहा कि बिहार में जारी हुई जातिगत सर्वे के आंकड़ों से बीजेपी की जमीन हिलती नजर आ रही है. पिछले 10 वर्षों के बीजेपी के शासन में भी लूपहोल नजर आ रहे हैं. विपक्ष ने इन्हीं को ध्यान में रखते हुए इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (INDIA) बनाया. यह गठबंधन ही फिलहाल विपक्ष की सबसे बड़ी उपलब्धि है.

प्रोफेसर संजय कुमार कहते हैं, ‘कांग्रेस अपनी सरकार वाले राज्यों में पुरानी पेंशन स्कीम(OPS) को बहाल कर रही है. इससे भी बीजेपी पर दवाब बढ़ता जा रहा है. किसानों के मुद्दे, बेरोजगारी, महंगाई के मुद्दे सब मिलकर आगामी चुनावों में बीजेपी के लिए मुश्किलें खड़े करते नजर आ रहे है. बीजेपी राष्ट्रवाद और समाजवाद के मुद्दे से इसे टैकल करने की कोशिश कर रही है, लेकिन मुझे लगता है कि मतदाता भी चतुर है.’

कुल मिलाकर हमारे एक्सपर्ट संजय कुमार का मानना है कि जातिगत जनगणना और OPS से जुड़े मुद्दे बीजेपी के लिए चैलेंज हैं. संभवतः बीजेपी राम मंदिर और हिंदुत्व के नैरेटिव में इन्हीं मुद्दों का हल तलाश रही है.

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