ड्रैगन फ्रूट की खेती कर कमाल कर रहा है ये किसान, हर महीने कमा रहा 1 लाख रुपये
Rajasthan News: कहते हैं कुछ करने की तमन्ना अगर मन में हो तो क्या कुछ नही किया जा सकता. ऐसा ही उदाहरण राजस्थान के राजसमंद में देखने को मिला है. जिले की देलवाडा पंचायत समिति के छोटे से गांव घोडच में महेन्द्र प्रताप सिंह ने चटटानों पर कुछ ऐसा कमाल कर दिखाया कि हमें भी […]
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Rajasthan News: कहते हैं कुछ करने की तमन्ना अगर मन में हो तो क्या कुछ नही किया जा सकता. ऐसा ही उदाहरण राजस्थान के राजसमंद में देखने को मिला है. जिले की देलवाडा पंचायत समिति के छोटे से गांव घोडच में महेन्द्र प्रताप सिंह ने चटटानों पर कुछ ऐसा कमाल कर दिखाया कि हमें भी उनके पास जाना पडा. उन्होंने प्राइवेट जॉब छोड़कर अपनी जन्मभूमि पर ही ऐसा करिश्मा कर दिखाया कि आज उनके मेहनत को हर कोई सलाम कर रहा है. महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि वह 6.5 बीघा जमीन पर ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं जिससे उन्हें सालाना 12 लाख रुपये की आमदनी हो रही है.
महेन्द्र प्रताप सिंह ने 1997 में प्राइवेट जॉब से अपनी करियर की शुरुआत की. उसके बाद 2017 तक अलग अलग फिल्ड में काम किया. 2003 से 2013 तक उन्होंने हैदराबाद की आईसीएफएआई यूनिवर्सिटी में एरिया मैनेजर के रूप में काम किया. उसके बाद उन्होंने उदयपुर में उदयगढ होटल को संभाला ओर आखिर कार उनका मन इससे भी उब गया और 2018 में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का मानस बनाया.
ये काम उनके लिए इतना आसान नही था क्योंकि जो साढ़े चार बीघा जमीन उनके पास थी उसमें से 60 प्रतिशत जमीन पहाडी और 40 प्रतिशत जमीन समतल थी. भूमि तैयार करने के लिए पहले करीब सवा महीने तक जेसीबी से पहाड की कटिंग कर पूरे खेत को तीन स्टेप में बनाया. इस क्षेत्र में इस तरह की खेती नहीं होने के कारण उनके सामने कई चुनौतिया आईं. उन्होंने अपने स्तर पर रिसर्च शुरू किया. बुक, यूट्यूब, वेब साइटों को खंगाला. उसके बाद उनको प्रांरभिक जानकारी यह मिली की इस खेती में मिटटी ओर पानी का कोई बड़ा इश्यू नहीं है. इसके बाद उनके इरादे और पक्के हो गए. खेती के बेसिक आइडिया के लिए वो पहले गुजरात और महाराष्ट्र गए. वहा ड्रैगन फ्रूट की खेती देख कर आए लेकिन उनको उससे संतुष्टि नहीं मिली.
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उसके बाद 2018 में ही महेंद्र प्रताप थाईलैंड गए जहां पर ड्रैगन फ्रूट की खेती देखकर आए. वहां 12 दिन उनको रुकना पड़ा जिसके लिए उन्हें 65000 रुपये खर्च करने पड़े. वहां से लौटने के बाद इस खेती को बडे स्तर पर देखने के लिए फिलिपींस गए. यहां उन्होंने एक बाइक हायर की और ट्रांसलेटर को साथ में रखकर बडे़-बड़े 11 फार्म देखे. फिलिपींस में उन्होंने ड्रैगन फ्रूट के प्रोडक्ट की जानकारी मिली. ड्रैगन फ्रूट से आइसक्रीम, ज्यूस, ब्रैड, बिस्किट, वाइन, क्रीम, साबून बनाए जाने की बात उनको पता चली. इसके बाद वो वियतनाम भी गए जहां पर बडे स्तर पर ड्रैगन फ्रूट के फार्म देखे. वियतनाम में दुनिया के 90 प्रतिशत ड्रैगन की पैदावार होती है.
डेढ़ साल तक की कड़ी मेहनत के बाद महेन्द्र प्रताप सिंह को अपने पोधों पर फूल खिलते दिखाई दिए. बस उसके बाद उनका कारवा चल पड़ा. महेन्द्र प्रताप सिंह बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट का सीजन जुलाई से दिसम्बर माह तक चलता है और शुरुआत में एक पौधे से 3 किलो ड्रैगन फ्रूट प्राप्त होता है. जब यह पौधा 5 साल का हो जाता है तो एक पौधे से 8 किलो तक के फ्रूट प्राप्त होते हैं. महेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि अभी वो अपना व्यापार ऑनलाइन कर रहे हैं जिसमें 350 रुपये प्रति किलो के हिसाब से उनके फ्रूट बिक रहे हैं और ऑर्डर आते ही वो पैकेजिंग कर फ्रूट को ग्राहक तक भेज देते हैं. अभी उनका फ्रूट राजस्थान, मुम्बई व अहमदाबाद में बिक रहा है.
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