Rajasthan Politics: शिक्षा मंत्री मदन दिलावर की विधानसभा में मांगी माफी, बोले- 'मैं भी आदिवासी हूं, मैंने जो कहा उसका खेद है'
Rajasthan Politics: आदिवासी समाज को लेकर की गई टिप्पणी पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर (Madan Dilawar) ने विधानसभा में माफी मांगी है. दिलावर ने कहा, "आदिवासी समाज समाज का अभिन्न अंग है. इनके बारे में नकारात्मक भाव मैं नहीं मानता हूं.
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Rajasthan Politics: आदिवासी समाज को लेकर की गई टिप्पणी पर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर (Madan Dilawar) ने विधानसभा में माफी मांगी है. प्रश्नकाल की कार्यवाही के दौरान उन्होंने कहा, "मैं जानता भी हूं और मैंने परिवारवालों से भी पूछा था. मैं भी आदिवासी हूं, मेरे पिताजी शाहबाद के सहरिया क्षेत्र में मेरे दादाजी वैगरहा सब..सीताबाड़ी के जगलों में निवास करते थे, वहीं उनका मकान था और इसलिए आदिवासी समाज के लिए मेरे मन में बहुत सम्मान का भाव है. मैं ये भी जानता हूं कि महाराणा प्रताप ने स्वतंत्रता बरकरार रखने के लिए अकबर से लड़ाई लड़ी. उनका आदिवासियों ने सहयोग किया और उनका साथ देने से सफलता प्राप्त हुई.
विधानसभा में मांगी माफी
दिलावर ने आगे कहा, "मैं यह भी जानता हूं कि जब भगवान राम वनवास गए तब उनको सहयोग करने वाले आदिवासी थे और भगवान राम ने शबरी माता के घर पर जाकर झूठे बेर खाए". दिलावर ने कहा, "आदिवासी समाज समाज का अभिन्न अंग है. इनके बारे में नकारात्मक भाव मैं नहीं मानता हूं. विपक्ष या किसी आदिवासी बंदू को..जो मेरी जाति के हैं, उनको मेरे शब्दों से कोई कष्ट हुआ हो तो मैं खेद प्रकट करता हूं".
इस बयान के बाद हुआ था विवाद
शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने अपने एक बयान में कहा था कि जो आदिवासी खुद को हिंदू नहीं मानते उन्हें डीएनए टेस्ट करवा लेना चाहिए कि उनका बाप कौन है. जिसके बाद मामला काफी गरमा गया और आदिवासी पार्टी ने इस बयान पर आपत्ति जताते हुए मदन दिलावर से माफी मांगने को कहा गया. इसके बाद आदिवासी पार्टी की ओर से विरोध प्रदर्शन किया गया और शिक्षा मंत्री से इस्तीफा की मांग रखी.
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BAP सासंद ने ब्लड सैंपल भी घर पहुंचाया
जयपुर में BAP सासंद राजकुमार रोत ने बीते दिनों पहले समर्थकों के साथ मदन दिलावर के घर ब्लड सैंपल पहुंचाया था. वहीं पूरे मामले को लेकर शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने पहले भी आदिवासी समाज से माफी मांग चुके हैं. हाल ही में उन्होंने कहा ता कि इस देश में रहने वाले सभी लोग आदिवासी हैं और आदिवासी सबसे श्रेष्ठ हैं.