Rajasthan Politics: बीजेपी में बड़े बदलाव की आहट, दिल्ली पहुंचे राठौड़-पूनिया, किसे मिलेगी बड़ी जिम्मेदारी?

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Rajasthan Politics: बीते 2 दिनों में सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ की दिल्ली में अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की हुई. वहीं सीएम भजनलाल शर्मा ने भी पीएम मोदी से मुलाकात की. जानकारी के अनुसार सीएम भजनलाल से दिल्ली में 11 सीटों पर हार की रिपोर्ट सौंपी हैं.

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Rajasthan Politics: राजस्थान में लोकसभा चुनाव में बीजेपी की 11 सीटों पर हार के बाद प्रदेश के बड़े नेताओं की दिल्ली में लगातार मुलाकात जारी है. वहीं प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव की भी चर्चाएं हो रही हैं. बीते 2 दिनों में सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ की दिल्ली में अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की हुई. वहीं सीएम भजनलाल शर्मा ने भी पीएम मोदी से मुलाकात की. जानकारी के अनुसार सीएम भजनलाल से दिल्ली में 11 सीटों पर हार की रिपोर्ट सौंपी हैं.

वहीं प्रदेश में देवी सिंह भाटी के बयान के बाद मामला और गरमा गया है. माना जा रहा है राजेंद्र राठौड़ डैमेज कंट्रोल के लिए दिल्ली अमित शाह से मिलने पहुंचे हैं. वहीं सतीश पूनिया को लेकर भी चर्चाएं है कि उन्हें फिर से बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है. विधानसभा चुनाव में सतीश पूनिया और राजेंद्र राठौड़ को हार का सामना करना पड़ा था, जिसके बाद दोनों साइडलाइन नजर आ रहे हैं. 

सतीश पूनिया बनेंगे प्रदेशाध्यक्ष

प्रदेश में बीजेपी की हार के बाद संगठन में बदलाव की लगातार चर्चाएं हो रही है. वहीं बुधवार को सतीश पूनिया की राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात भी हुई. जिसके बाद कयास लगाए जाने लगे हैं कि पूनिया को फिर से राजस्थान की कमान सौंपी जा सकती है. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सतीश पूनिया को अध्यक्ष पद से हटा दिया था और सीपी जोशी को इसकी कमान सौंपी थी. लेकिन पूनिया की विधानसभा चुनाव में हार हो गई थी. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जाट समुदाय का साथ नहीं मिला, जिसके चलते उन्हें नुकसान उठाना पड़ा. ऐसे में बीजेपी पूनिया को अध्यक्ष बनाकर अपनी गलती सुधार सकती है. 

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राठौड़ को भी मिलेगी अहम जिम्मेदारी?

चुनाव से पहले गुजरात के नेता पुरुषोत्तम रूपाला के बयान से राजपूत समाज खफा नजर आया. इसका असर राजस्थान में लोकसभा चुनाव में दिखा. राजस्थान में जाट समाज के बाद राजपूत समाज बीजेपी से नाराज रहा, जिसके चलते बीजेपी को लोकसभा चुनाव में नुकसान भी झेलना पड़ा. अब कयास लगाए जा रहे हैं कि बीजेपी राठौड़ को संगठन में शामिल कर राजपूत के आक्रोश को शांत कर सकती है. आपको बता दें विपक्ष में रहते हुए जाट-राजपूत की इस जो़ड़ी ने गहलोत सरकार को खूब घेरा था. गुलाबचंद कटारिया के राज्यपाल बनाए जाने के बाद राजेंद्र राठौड़ नेता प्रतिपक्ष और सतीश पूनिया उपनेता प्रतिपक्ष रहे थे.

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