राजस्थान में कब होगा मंत्रिमंडल विस्तार? सुगबुगाहट तेज, 6 मंत्री ले सकते हैं शपथ!
Rajasthan Cabinet Expansion: राजस्थान की भजनलाल सरकार में जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना बढ़ गई है. छत्तीसगढ़ के बाद अब राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई हैं.
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Bhajanlal Cabinet Reshuffle: राजस्थान की भजनलाल सरकार में जल्द ही मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना बढ़ गई है. छत्तीसगढ़ के बाद अब राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं तेज हो गई हैं. हालांकि यह विस्तार आगामी विधानसभा सत्र के बाद हो सकता है. जानकारी के मुताबिक, मंत्रिमंडल में छह नए मंत्रियों को शामिल किया जा सकता है.
6 मंत्रियों को दिलवाई जा सकती है शपथ
भारत के संविधान के अनुसार, किसी राज्य सरकार में मंत्रियों की संख्या राज्य की विधान सभा के कुल सदस्यों की 15% से ज्यादा नहीं हो सकती. इसका मतलब है कि राजस्थान की विधानसभा में 200 सदस्य हैं, तो उस राज्य के मुख्यमंत्री सहित ज्यादा-से-ज्यादा 30 लोग मंत्री पद की शपथ ले सकते हैं. वर्तमान में राजस्थान सरकार में मुख्यमंत्री सहित 24 मंत्री हैं और अब अटकले हैं शेष 6 रिक्त पदों पर नए मंत्रियों को जोड़ा जा सकता है.
दिल्ली दौरों से बढ़ी अटकलें
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पिछले 23 दिनों में तीन बार दिल्ली का दौरा कर चुके हैं. इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और अन्य वरिष्ठ नेताओं की सक्रियता से भी मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज हो गई हैं. माना जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व जल्द ही इस पर अंतिम फैसला ले सकता है.
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सभी गुटों को साधने की कोशिश
लगभग पौने दो साल पहले सत्ता में आई भाजपा सरकार अब अपने बचे हुए कार्यकाल में गुटबाजी से बचना चाहती है. इसलिए उन लोगों को मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है जो पार्टी में नाराज चल रहे हैं. जिसका फायदा पार्टी को आगामी चुनावों में मिल सकता है.
पार्टी ने हाल ही में संगठन और राजनीतिक नियुक्तियों में भी सभी गुटों को तरजीह दी गई है. RSS के करीबी माने जाने वाले पूर्व प्रदेशाध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी को राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष बनाया गया. वहीं, वसुंधरा राजे गुट से जुड़े अशोक परनामी को तिरंगा यात्रा और विभाजन विभीषिका अभियान का संयोजक नियुक्त किया गया.
मंत्रियों को संगठन में लाने के संकेत
भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौड़ ने हाल ही में संकेत दिए थे कि कुछ मंत्रियों को संगठन में जिम्मेदारी दी जा सकती है. उन्होंने कहा, "संगठन सर्वोपरि है. सत्ता संगठन से बनती है. जरूरत पड़ने पर कार्यकर्ताओं को सत्ता या संगठन में कहीं भी भेजा जा सकता है." हालांकि, मौजूदा मंत्रियों को हटाने की बजाय नए चेहरों को शामिल करने पर ज्यादा जोर है.