राजस्थान की बेटी दीपिका मिश्रा को मिला पहला गैलेंट्री अवॉर्ड, यूं बचाई थी 47 लोगों की जान
Rajasthan: कोटा की दीपिका मिश्रा ने देशभर में राजस्थान का नाम रोशन कर दिया. दीपका को वीरता पुरस्कार दिया गया है. वह पहली महिला विंग कमांडर हैं, जिन्हें गैलेंट्री अवॉर्ड दिया गया है. कोटा में 1984 को सुनील मिश्रा के घर में जन्मी दीपिका आज पूरे प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में वीरता पुरस्कार […]
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Rajasthan: कोटा की दीपिका मिश्रा ने देशभर में राजस्थान का नाम रोशन कर दिया. दीपका को वीरता पुरस्कार दिया गया है. वह पहली महिला विंग कमांडर हैं, जिन्हें गैलेंट्री अवॉर्ड दिया गया है. कोटा में 1984 को सुनील मिश्रा के घर में जन्मी दीपिका आज पूरे प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में वीरता पुरस्कार पाने वाली पहली महिला विंग कमांडर बनी है. इन्होंने LKG से ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई कोटा में रहकर ही पूरी की. 12वीं कक्षा आर्मी स्कूल पास की और उसके बाद NCC में दाखिला लिया. कोटा जेडीबी गवर्नमेंट कॉलेज से स्नातक की डिग्री हासिल की. कोटा में माइक्रोलाइट उड़ाने में भी इन्हें पुरस्कार मिल चुका था. दीपिका ने महज 21 वर्ष की उम्र में वर्ष 2005 में एयर फोर्स बतौर विंग कमांडर ज्वॉइन किया.
2 बच्चों की मां की जिम्मेदारी भी निभा रही है दीपिका
दीपिका के पति भी एयरफोर्स में विंग कमांडर के पद पर कार्यरत हैं, जो हरियाणा राज्य के पंचकूला से हैं. इतना ही नहीं दीपिका अपनी ड्यूटी के साथ अपने दो बच्चों को भी संभालती हैं. दीपिका के 6 वर्ष का लड़का और 12 वर्ष की एक लड़की है. हेलीकॉप्टर पायलट दीपिका मिश्रा को मध्य प्रदेश में बाढ़ राहत अभियान के समय ‘अदम्य साहस’ का प्रदर्शन करने के लिए इस अवॉर्ड से नवाजा गया है. नई दिल्ली में आयोजित एक समारोह में उन्हें यह पदक दिया गया. जैसे ही परिवार को अपनी बेटी को वीरता पुरस्कार मिलने की खबर लगी परिवार में खुशियां छा गई.
मध्यप्रदेश में आपदा राहत कार्य में किया था अद्भुत कार्य
02 अगस्त 2021 को मध्य प्रदेश में आकस्मिक बाढ़ आने पर विंग कमांडर दीपिका मिश्रा को आपदा राहत अभियान की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. बिगड़ते मौसम के बावजूद उन्होंने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का मुकाबला किया और उसी शाम प्रभावित क्षेत्र में पहुंचने वाली पहली ऑफिसर बनीं. उन्होंने अपनी अद्भुत बहादुरी का प्रदर्शन करते हुए सड़कों, खेतों और मैदानों में फंसे हुए लोगों को एयर लिफ्ट कर बाढ़ के पानी से सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया. 8 दिनों तक चले इस अभियान में उन्होंने महिलाओं और बच्चों समेत करीब 47 लोगों की जान बचाई.
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