राजस्थान में डॉग बाइट और आवारा जानवरों से बढ़ते खतरे पर हाईकोर्ट ने दिखाई सख्ती, नगर निकायों को जारी किए कड़े निर्देश

न्यूज तक

राजस्थान में डॉग बाइट और आवारा पशुओं का के बढ़ते खतरे को देखते हुए हाईकोर्ट ने नगर निकायों को कड़े निर्देश जारी किए हैं. काेर्ट ने कहा कि हर नगर निगम हेल्पलाइन नंबर और ईमेल आईडी जारी करे, जिससे की आवारा जानवरों से को लेकर लोग शिकायतें दर्ज करा सकें.

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दिल्ली में कुत्तों के लेकर आदेश के बाद अब सुप्रीम कोर्ट के बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने भी राज्य में बढ़ते आवारा कुत्तों और अन्य पशुओं के खतरे पर कड़ा रुख अपनाया है. कोर्ट ने सरकार और नगर निकायों को कई अहम निर्देश जारी किए हैं. बता दें कि सोमवार यानी 11 अगस्त को मामले की सुनवाई  जस्टिस कुलदीप माथुर और जस्टिस रवि चिरानिया की खंडपीठ कर रही थी. 

दरअसल,  हाईकोर्ट ने जोधपुर शहर में आवारा कुत्तों और जानवरों के लोगों पर हमले की खबरों पर 31 जुलाई को स्वतः संज्ञान लिया था. इस दौरान कोर्ट ने सहयोग के लिए सीनियर एडवोकेट डॉ. सचिन आचार्य, एडवोकेट प्रियंका बोराणा और हेली पाठक को न्याय मित्र नियुक्त किया था.

न्याय मित्रों ने कोर्ट में क्या बताया?

सुनवाई के दौरान कोर्ट में न्याय मित्रों ने अपना पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि नागरिकों की सुरक्षित आवाजाही सुनिश्चित करना नगर निगमों, राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण और अन्य संबंधित एजेंसियों का वैधानिक दायित्व है. इसके बावजूद अधिकारियों की घोर लापरवाही और कर्तव्यों का ठीक से पालन न करने के कारण आवारा पशुओं के हमले और काटने की घटनाओं में कई गुना बढ़ोतरी हुई है. न्यायमित्र ने कहा कि इससे आम जनता की जान को तो खतरा हो रहा है, लेकिन राज्य की छवि भी खराब हो रही है. खासकर तब जब राजस्थान में देश से ही दुनिया भर से भी पर्यटक घूमने आते हैं.

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एम्स जोधपुर की शिकायत पर भी कार्रवाई

एम्स जोधपुर ने 10 अगस्त 2025 को न्यायमित्र प्रियंका बोराना को पत्र भेजकर परिसर में आवारा कुत्तों की समस्या और मरीजों व स्टाफ पर हमलों की घटनाओं की जानकारी दी. कोर्ट ने इस शिकायत को गंभीरता से लिया और इसे रिकॉर्ड में शामिल किया. 

हाईकोर्ट के मुख्य निर्देश

  • डॉग शेल्टर और गौशालाओं की रिपोर्ट: नगर निगमों को अगली सुनवाई तक विस्तृत रिपोर्ट पेश करनी होगी.
     
  • स्टाफ और मैनपावर विवरण: पशु पकड़ने वाली टीम, डॉक्टरों और अन्य कर्मचारियों की जानकारी कोर्ट में देनी होगी.
     
  • विशेष अभियान: शहर की सड़कों से आवारा पशुओं को हटाने के लिए विशेष ड्राइव चलाई जाएगी.
     
  • कानूनी कार्रवाई: अगर कोई नगर पालिका के कर्मचारियों को आवारा जानवरों को हटाने से रोकता है तो उसके खिलाफ संबंधित कानून के तहत एफआईआर दर्ज होगी.
     
  • शिकायत तंत्र: हर नगर निगम हेल्पलाइन नंबर और ईमेल आईडी जारी करेगा, जिस पर आवारा जानवरों से को लेकर शिकायतें दर्ज करा सकें.
     
  • फीडिंग पॉलिसी: आवारा पशुओं को खाना केवल निगम संचालित शेल्टर या गौशालाओं में ही दिया जा सकेगा.
     
  • संवेदनशील स्थानों पर प्राथमिकता: एम्स जोधपुर और जिला न्यायालय परिसर से तुरंत आवारा पशुओं को हटाया जाएगा.
     
  • हाईवे गश्त: राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर नियमित गश्त कर आवारा पशुओं को हटाया जाएगा.

2024 में 3 लाख से ज्यादा डॉग बाइट के मामले

कोर्ट ने राज्य सरकार और निकायों को 8 सितंबर तक आवश्यक रिपोर्ट व कार्रवाई का विवरण पेश करने का निर्देश दिया है. अदालत ने साफ कर दिया कि इस मामले में ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी. बता दें कि प्रदेश में 2024 में डॉग बाइट के 3 लाख से ज्यादा मामले सामने आए थे

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