"ओम के पुराने कपड़े अल्ट्रेशन कराकर कौन पहनता था..." दूसरी बार स्पीकर बने बिरला के भाई के बयान पर हो गया था विवाद
लोकसभा स्पीकर पद के लिए ओम बिरला दूसरी बार चुने गए हैं. दो बार स्पीकर चुने जाने वाले वह दूसरे सांसद हैं. इससे पहले यह रिकॉर्ड बलराम जाखड़ के नाम था. लेकिन बिरला इस पद पर अपना दूसरा कार्यकाल भी पूरा कर लेते हैं, तो उनके नाम लगातार 2 बार लोकसभा का कार्यकाल पूरे करने वाले नेता के तौर पर एक रिकॉर्ड और दर्ज हो सकता है.
ADVERTISEMENT

लोकसभा स्पीकर पद के लिए ओम बिरला दूसरी बार चुने गए हैं. दो बार स्पीकर चुने जाने वाले वह दूसरे सांसद हैं. इससे पहले यह रिकॉर्ड बलराम जाखड़ के नाम था. लेकिन बिरला इस पद पर अपना दूसरा कार्यकाल भी पूरा कर लेते हैं, तो उनके नाम लगातार 2 बार लोकसभा का कार्यकाल पूरे करने वाले नेता के तौर पर एक रिकॉर्ड और दर्ज हो सकता है. इससे पहले बलराम जाखड़ ने साल 1980 से 1985 और 1985 से 1989 तक अपने दोनों कार्यकाल पूरे किए.
वहीं, बतौर अध्यक्ष पुराने और नए संसद भवन दोनों सदनों के संचालन करने वाले स्पीकर के तौर पर भी एक अनोखा रिकॉर्ड उनके नाम होगा. जाहिर तौर पर दूसरी बार स्पीकर चुने जाने के बाद उनके नाम कई अनूठे रिकॉर्ड दर्ज होंगे. ऐसे में उनके कई पुराने किस्से भी चर्चा में हैं. इस बीच इस बार के लोकसभा चुनाव की बात करें तो लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान बिरला के भाई का एक बयान काफी वायरल हुआ था. चुनावी कोटा लोकसभा सीट से बीजेपी के प्रत्याशी के तौर पर ओम बिड़ला (om birla) की चुनावी रैली में उनके भाई ने यह बयान दिया था.
ओम बिड़ला के भाई हरिकृष्ण बिड़ला ने कोटा सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी प्रहलाद गुंजल (prahlad gunjal) को लेकर आपत्तिजनक बयान दे दिया. हरिकृष्ण बिड़ला ने प्रहलाद गुंजल पर निशाना साधते हुए कहा कि ओम की चड्डी और मेरी मोटरसाइकिल 8200...नेतागिरी कर रहा है. अरे सिद्धांतों की बातें करने वालों, ओम बिड़ला के कपड़े पुराने हो जाते थे तो उसका अल्ट्रेशन कराकर कौन पहनता था.
"जिसने खिलाया है, उसकी थाली में छेद..."
बिड़ला के भाई ने यहां तक कह दिया था कि सिद्धांतों की बातें करने वाला पेट में छुरा नहीं मारता. जिसने खिलाया है, उसकी थाली में छेद नहीं करता. राजनीति में कुछ भी होता है, लेकिन चुनाव चुनाव के हिसाब से लड़ना चाहिए. पाकिस्तान-हिंदुस्तान की लड़ाई हो रही है क्या भईया? मतदाताओं का मान सम्मान रखो, इन मतदाताओं से मांगो वोट. मतदाता किसी के बाप का गुलाम नहीं होता है.