‘राइट टू हेल्थ’ बिल पर बवाल, प्राइवेट हॉस्पिटल बंद रखकर डॉक्टर्स बोले- पहले इमरजेंसी के मापदंड हो तय

दिनेश बोहरा

Right to health bill: राजस्थान की गहलोत सरकार राइट टू हेल्थ बिल लाने की तैयारी में है. वहीं दूसरी ओर इस बिल के विरोध में डॉक्टर्स का विरोध लगातार जारी है. शनिवार को बाड़मेर में प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने अपने हॉस्पिटल बंद रखकर सरकार के इस बिल का विरोध जताया. एक तरफ जहां प्राइवेट […]

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Right to health bill: राजस्थान की गहलोत सरकार राइट टू हेल्थ बिल लाने की तैयारी में है. वहीं दूसरी ओर इस बिल के विरोध में डॉक्टर्स का विरोध लगातार जारी है. शनिवार को बाड़मेर में प्राइवेट हॉस्पिटल के डॉक्टर्स ने अपने हॉस्पिटल बंद रखकर सरकार के इस बिल का विरोध जताया. एक तरफ जहां प्राइवेट लेबोरेट्रीज, सोनोग्राफी सेंटर, एक्सरे सेंटर समेत डेंटल क्लिनिक संघ ने भी अपने सेंटर बंद रखकर प्राइवेट डॉक्टर्स के इस स्ट्राइक को समर्थन दिया. वहीं दूसरी ओर सरकारी अस्पतालों के चिकित्सक भी शनिवार को 2 घंटे पेड़ डाउन हड़ताल पर रहे.

प्राइवेट डॉक्टर्स का कहना है कि सरकार ने इस बिल के प्रावधानों में कोई संशोधन नहीं किया तो मजबूरन संचालकों को प्राइवेट अस्पताल बंद करने पड़ेंगे. यह प्राइवेट चिकित्सा संस्थानों के लिए काला कानून है.

शनिवार शाम राइट टू हेल्थ बिल के खिलाफ इक्ट्ठा हुए सरकारी और प्राइवेट चिकित्सकों ने कलेक्ट्रेट पहुंचकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा. प्राइवेट अस्पताल की ओर से हरीश जांगिड़ ने बताया कि सरकार जो बिल लाने की तैयारी कर रही है, वह आधा अधूरा बिल है. सरकार ने घोषणा तो की है लेकिन मरीजों के इलाज के लिए कोई मापदंड तैयार नहीं किया है और ना ही सीनियर डॉक्टर्स से किसी तरह की राय ली है.

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मरीज के इलाज का पैसा कौन और कैसे देगा, सरकार ने ऐसा कोई प्रावधान तय नहीं किया है. अस्पताल में आने वाले मरीजों के लिए इमरजेंसी की क्या गाइडलाइन होगी, यह भी अभी तक साफ नहीं है. अगर, यह बिल लागू हो गया तो सारे प्राइवेट क्लीनिक बंद हो जाएंगे और निजी अस्पतालों में मिलने वाली सुविधाएं मरीजों को नहीं मिलेगी.

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