'मोबाइल पर सोने का कवर..शरीर पर 6 करोड़ का गोल्ड', महाकुंभ में चर्चित हुए गोल्डन बाबा कौन हैं? 

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Maha Kumbh Golden Baba: संगम नगरी प्रयागराज के महाकुंभ से हर रोज नए-नए किरदार चर्चाओं में आ रहे हैं. मेले आ रहे साधु-संतों के अनोखे और अद्भुत स्वरूप श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं. अब चर्चाओं में आए हैं गोल्डन बाबा, जो लगभग 6 करोड़ रुपए की कीमत के सोने के आभूषण पहनकर चर्चित हैं.

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Maha Kumbh Golden Baba: संगम नगरी प्रयागराज के महाकुंभ से हर रोज नए-नए किरदार चर्चाओं में आ रहे हैं. मेले आ रहे साधु-संतों के अनोखे और अद्भुत स्वरूप श्रद्धालुओं के बीच चर्चा का विषय बने हुए हैं. अब चर्चाओं में आए हैं गोल्डन बाबा, जो लगभग 6 करोड़ रुपए की कीमत के सोने के आभूषण पहनकर चर्चित हैं. बाबा का कहना है कि उनका सोना केवल बाहरी चमक-दमक नहीं है, बल्कि उनके आध्यात्मिक जीवन और साधना का प्रतीक है.  

कौन हैं गोल्डन बाबा?  

गोल्डन बाबा का असली नाम एसके नारायण गिरी जी महाराज है. मूल रूप से केरल के निवासी बाबा वर्तमान में दिल्ली में निवास करते हैं. वे निरंजनी अखाड़ा से जुड़े हुए हैं और अपने अनोखे अंदाज के कारण महाकुंभ में श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं.  

4 किलो सोना, आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक  

गोल्डन बाबा लगभग 4 किलो सोना पहनते हैं, जिसकी कीमत लगभग 6 करोड़ रुपए आंकी गई है. जिनमें अंगूठियां, कंगन, घड़ी और एक सोने की छड़ी शामिल है. छड़ी पर देवी-देवताओं के लॉकेट लगे हैं, जो उनकी साधना और भक्ति का प्रतीक माने जाते हैं. बाबा का कहना है कि उनके हर आभूषण में आध्यात्मिक ऊर्जा निहित है. उनके सोने से सजे रूप को लोग दिखावे का साधन मानते हैं, लेकिन बाबा इसे साधना और गुरु के प्रति समर्पण बताते हैं.  

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गोल्डन बाबा की आध्यात्मिक यात्रा  

67 वर्षीय गोल्डन बाबा ने निरंजनी अखाड़ा के अध्यक्ष रवींद्र पुरी महाराज से दीक्षा ली थी और अखाड़े का हिस्सा बने. बाबा शिक्षा के क्षेत्र में भी योगदान दे रहे हैं. उनका मानना है कि धर्म और शिक्षा को साथ लेकर चलने से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है. मेले में बाबा जहां भी जाते हैं, उनकी झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ती है. लोग उन्हें प्यार से गोल्डन बाबा कहते हैं. बाबा के पास 6 सोने के लॉकेट हैं, जिनसे करीब 20 मालाएं बन सकती हैं. बाबा के मोबाइल पर भी सोने से बना हुआ कवर लगा है. बाबा का कहना है कि उनका यह सोने से सजा रूप केवल दिखावा नहीं है. यह उनके आध्यात्मिक जीवन और गुरु के प्रति अटूट श्रद्धा का प्रतीक है.

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