मुकेश सहनी का बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल को खुली चुनौती, बोले- मांफी मांगे वरना भारी पड़ेगा
Bihar News: विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने बीजेपी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि निषाद समाज अब झोला उठाने वाला नहीं, नेतृत्व करने वाला बनेगा.
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Bihar News: विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख और बिहार सरकार के पूर्व मंत्री मुकेश सहनी ने बीजेपी पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि निषाद समाज अब झोला उठाने वाला नहीं, नेतृत्व करने वाला बनेगा. यह बयान उन्होंने उस वक्त दिया जब बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने उन्हें 'झोला उठाने वाला' कहकर संबोधित किया. इस पर नाराजगी जताते हुए सहनी ने कहा, कोई अपने समाज के अधिकार के लिए संघर्ष करता है तो वह झोला नहीं उठाता, बल्कि जिम्मेदारी निभाता है. यह मैं जीवनभर करता रहूंगा.
अपमानजनक टिप्पणी की माफी मांगे बीजेपी अध्यक्ष
मुकेश सहनी ने चेतावनी दी कि बीजेपी अध्यक्ष अपनी टिप्पणी वापस लें और सार्वजनिक रूप से माफी मांगें, वरना उन्हें निषाद समाज को 'झोला उठाने वाला' कहना भारी पड़ेगा. उन्होंने कहा कि यह टिप्पणी पूरे निषाद समाज और बिहार का अपमान है. प्रेस वार्ता में सहनी ने बीजेपी द्वारा निषाद आयोग के गठन की घोषणा को 'राजनीतिक झुनझुना' करार दिया. उन्होंने सवाल उठाया कि यदि बीजेपी को निषाद समाज की चिंता होती, तो बीते 20 वर्षों के शासन में इस मुद्दे पर ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए?
आरक्षण दो, तभी मिलेगा वोट
पूर्व मंत्री ने साफ कहा कि यदि बीजेपी को निषाद समाज का वोट चाहिए, तो उसे अन्य राज्यों की तरह बिहार में भी निषाद समाज को आरक्षण देना होगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि उनकी लड़ाई सिर्फ सत्ता की नहीं, समाज के हक की है और वे इससे पीछे नहीं हटेंगे. बीजेपी द्वारा निषाद महासम्मेलन आयोजित किए जाने पर तंज कसते हुए सहनी ने कहा कि इससे केवल भीड़ जुटाई जा सकती है, मतदाता नहीं. उन्होंने कहा कि निषाद समाज बीजेपी की मंशा समझ चुका है और अब उसके अधिकारों से कम पर समझौता नहीं करेगा.
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निषाद समाज अब सजग है
सहनी ने कहा कि बिहार के निषाद और अति पिछड़े वर्ग अब इतने कमजोर और भ्रमित नहीं हैं कि वे केवल झंडा उठाते रहें. उन्होंने कहा कि अब ये वर्ग नेतृत्व में भागीदारी चाहते हैं और अपने अधिकारों की लड़ाई खुद लड़ेंगे. मुकेश सहनी का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार की राजनीतिक फिजा गर्म है और विभिन्न दल जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश में जुटे हैं. निषाद समाज को लेकर बीजेपी और वीआईपी के बीच यह बयानबाज़ी आने वाले चुनावों में अहम भूमिका निभा सकती है.