नीतीश कुमार का मुस्लिमों से हो गया मोह भंग? 3 पॉइंट में समझिए आखिर ऐसा क्यों हुआ ?

ऋचा शर्मा

वक्फ संशोधन के पास होते ही बिहार की सिसायत में काफी गहमा-गहमी मच गई. अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या नीतीश कुमार अब मुस्लिम वोटर्स पर पहले जैसा भरोसा नहीं करते? चलिए 3 पॉइंट में इस आर्टिकल से जानते है आखिर ऐसा क्यों हुआ...

ADVERTISEMENT

NewsTak
social share
google news

बिहार की सियासत में कई सवाल जोरों से गूंजने लगे हैं कि क्या संसद में वक्फ संशोधन बिल का समर्थन खुलकर करने का साइडइफेक्ट नीतीश कुमार को पार्टी के भीतर उठाना पड़ सकता है? क्या मुस्लिम वोट की जमीन बचाने के लिए अब तक बंटे हुए विपक्षी दल संसद में एक हो गए? यही वजह है कि वक्फ संशोधन बिल पर नीतीश कुमार की पार्टी के समर्थन के बाद मुस्लिम नेताओं में नाराजगी खुलकर सामने आई है.

क्या नीतीश कुमार का मुस्लिम वोटर्स से भरोसा उठ गया है? एक समय में 'सुशासन बाबू' के नाम से मशहूर नीतीश अब फिर से एनडीए के साथ हैं. सवाल उठता है कि आखिर क्यों? चलिए 3 पॉइंट में समझते हैं क्या है वो कारण जिनकी वजह से नीतीश कुमार का मुस्लिमों से हो गया मोहभंग.

ये खबर भी पढ़ें: वक्फ संशोधन बिल पर नीतीश कुमार ने क्यों दिया BJP का साथ, समझिए पूरा खेल 

1. काम किया, लेकिन साथ नहीं मिला

2013 में नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी का विरोध करते हुए NDA से 17 साल पुराना रिश्ता तोड़ दिया। 2014 का चुनाव उन्होंने अकेले लड़ा, तब उन्हें मुस्लिम वोट की उम्मीद की. लेकिन नतीजा निराशाजनक रहा. 38 में से सिर्फ 2 सीट मिलीं. पार्टी के भीतर तब से यह भावना बनी कि उन्होंने मुस्लिमों के लिए काम तो किया, लेकिन बदले में समर्थन नहीं मिला।

यह भी पढ़ें...

2. अब JDU मान चुकी है मुस्लिम वोट नहीं मिलेगा

JDU के वरिष्ठ नेता तक यह मानते हैं कि मुस्लिम वोट अब एकतरफा RJD-कांग्रेस के पाले में जा चुका है। 2020 के CSDS-लोकनीति सर्वे में भी यही सच सामने आया — 75% मुस्लिम वोट महागठबंधन को, जबकि NDA को सिर्फ 5% वोट मिले। ऐसे में पार्टी ने अब मुस्लिम वोट के बजाय अपने पुराने वोट बैंक और नए समीकरणों पर फोकस करना शुरू कर दिया है।

3. कमजोर नीतीश को चाहिए मजबूत साथी

2020 में JDU तीसरे नंबर की पार्टी बनी। दो बार पाला बदलने के बाद भी पार्टी की स्थिति डावांडोल है। वहीं, नीतीश कुमार की सेहत और सक्रियता को लेकर भी सवाल उठने लगे हैं। ऐसे में 2025 के चुनाव में बीजेपी जैसा अनुभवी और संगठित साथी ही जेडीयू को राजनीतिक संबल दे सकता है।


नीतीश कुमार का अगला कदम बिहार की राजनीति को किस दिशा में ले जाएगा. ये देखना दिलचस्प होगा. लेकिन एक बात तय है कि अब वो पुराने समीकरणों पर नहीं, बल्कि राजनीतिक व्यवहारिकता पर भरोसा कर रहे हैं.

इस मुद्दे से जुड़ी और खबरें:

'RSS सर्टिफाइड मुख्यमंत्री...' CM Nitish ने वक्फ बिल का किया समर्थन तो RJD ने दिया नया टाइटल!

 

 

    follow on google news
    follow on whatsapp