सियासी किस्सा : तेजप्रताप नहीं तेजस्वी? जानिए लालू प्रसाद यादव ने छोटे बेटे को ही क्यों सौंपी राजनीतिक विरासत!
लालू प्रसाद यादव ने राजनीतिक विरासत के लिए बड़े बेटे तेज प्रताप को छोड़कर छोटे बेटे तेजस्वी को चुना. यह फैसला साल 2010 में ही ले लिया गया था, जिसके बाद संजय यादव ने तेजस्वी को राजनीति की बारीकियां सिखाईं और 2015 के चुनाव में वे एक परिपक्व नेता के तौर पर उभरे.
ADVERTISEMENT

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों ने अपनी-अपनी तैयारी तेज कर दी है. इस चुनावी गहमा-गहमी के बीच इंडियन एक्सप्रेस के सीनियर असिस्टेंट एडिटर संतोष सिंह से इंडिया टुडे ग्रुप के Tak चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर बातचीत कर बिहार और सियासत के नब्ज को टटोलने की कोशिश की. इस कड़ी में सबसे पहले उन्होंने तेजस्वी यादव की राजनीतिक यात्रा को लेकर अंदर का बात बता दी.
इस चर्चा में संतोष सिंह ने बताया कि कैसे लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप की जगह छोटे बेटे तेजस्वी को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी चुना, कैसे तेजस्वी यादव क्रिकेट से राजनीति में आए, संजय यादव के साथ उनकी ट्रेनिंग हुई. इतना ही नहीं संतोष सिंह ने साल 2015 के चुनाव से लेकर आज तक के तेजस्वी के सफर को विस्तार से बताया.
संतोष सिंह के अनुसार तेजस्वी यादव को उत्तराधिकारी बनाए जाने का फैसला साल 2010 में ही ले लिया गया था, जब लालू ने तेजस्वी को पहली बार मीडिया के सामने पेश किया.
तेज प्रताप क्यों नहीं?
'जेपी टू बीजेपी' जैसी शानदार किताब के लेखक संतोष सिंह अपने इसी इंटरव्यू में बताते हैं कि, लालू प्रसाद यादव ने यह फैसला इसलिए लिया क्योंकि तेज प्रताप यादव की तुलना में तेजस्वी कहीं ज्यादा गंभीर और जिम्मेदार थे.
यह भी पढ़ें...
दरअसल साल 2010 में, पटना के आरजेडी कार्यालय में एक साधारण सी घटना हुई, जिसने बिहार की राजनीति का भविष्य बदल दिया. उस दिन पहली बार तेजस्वी यादव ने माइक पर दो मिनट का संक्षिप्त भाषण दिया था, जिसमें उन्होंने अपने पिता के समाजवादी सिद्धांतों का जिक्र किया. उस वक्त तेजस्वी के भाषण में जो आत्मविश्वास और परिपक्वता थी, उसे देखकर लालू जी बेहद प्रभावित हुए.
संजय यादव की देखरेख में ट्रेनिंग
संतोष सिंह आगे कहते हैं कि तेजस्वी की राजनीतिक शिक्षा सिर्फ परिवार तक सीमित नहीं थी. साल 2013 में उनकी मुलाकात संजय यादव से हुई, संजय ने ही तेजस्वी को व्यवस्थित तरीके से राजनीति की बारीकियां सिखाईं थी.
संजय यादव ही वो व्यक्ति थे जिन्होंने तेजस्वी को जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया जैसे समाजवादी नेताओं के साहित्य को समझने में मदद की थी.
इस ट्रेनिंग का एक अहम हिस्सा यूट्यूब था, जहां तेजस्वी ने अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और जॉर्ज फर्नांडिस जैसे बड़े नेताओं के भाषण देखे और उनसे सीखा.
संतोष सिंह बताते हैं कि वाजपेयी के भाषणों से तेजस्वी ने सीखा कि कैसे बिना आक्रामक हुए विरोधियों पर प्रभावी ढंग से हमला किया जा सकता है. वहीं संजय यादव ने मॉक इंटरव्यू के जरिए तेजस्वी का आत्मविश्वास बढ़ाया, ताकि वो किसी भी विषय पर बिना झिझक के बोल सकें.
2015: एक नेता का उदय
2015 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी के राजनीतिक करियर का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ. गठबंधन की बातचीत में उन्हें शामिल किया जाना यह दर्शाता है कि उन्हें लालू के उत्तराधिकारी के रूप में स्वीकार कर लिया गया था. महागठबंधन की जीत के बाद, तेजस्वी उप मुख्यमंत्री बने और उन्होंने पथ निर्माण जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभालकर एक प्रशासक के रूप में अपनी क्षमता साबित की.
2017 में जब नीतीश कुमार ने गठबंधन छोड़ा तो तेजस्वी नेता प्रतिपक्ष बने. विधानसभा में उनका प्रभावशाली भाषण, जिसमें उन्होंने बीजेपी को 'बॉस' कहकर संबोधित किया, काफी चर्चा में रहा था.
इस भाषण के बाद ही लालू प्रसाद ने कहा था, "आज एक स्टार का जन्म हुआ है." ये वो पल था जब तेजस्वी ने न केवल लालू के बेटे के रूप में, बल्कि एक स्वतंत्र और सशक्त नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई थी.
2020 का चुनाव और भविष्य की चुनौतियां
इसके बाद आया साल 2020 का विधानसभा चुनाव. इस चुनाव तेजस्वी यादव ने कमाल कर दिया. उन्होंने अपने अभियान में "10 लाख नौकरी" जैसे मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया और युवाओं को बड़े पैमाने पर आकर्षित किया. हालांकि वे सरकार नहीं बना पाए, लेकिन आरजेडी को सबसे बड़ी पार्टी बनाकर प्रदेश और पार्टी दोनों में उन्होंने अपनी स्थिति मजबूत कर ली.
आज, तेजस्वी के सामने सबसे बड़ी चुनौती उनके द्वारा किए गए वादों को पूरा होते देखना है, क्योंकि मौजूदा सरकार भी उन्हीं मुद्दों पर काम कर रही है. उनका वोट बैंक (एम-वाई) बरकरार है, लेकिन उन्हें इसे और बढ़ाने की जरूरत है. बिहार में इस बार के विधानसभा चुनाव में प्रशांत किशोर जैसे नए खिलाड़ियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी.
संतोष सिंह ने जोर देकर कहा कि तेजस्वी ने एक लंबा सफर तय किया है और बिहार के राजनीतिक परिदृश्य में उनका भविष्य काफी उज्ज्वल है.
यहां देखें पूरा वीडियो
ये भी पढ़ें:Exclusive Interview: NDA बिहार में करने जा रहा बड़ा खेल? अशोक चौधरी ने क्यों