Budget 2024: 1 लाख स्टैंडर्ड डिडक्शन करेगी सरकार! जानिए आखिर ये होता क्या है

Biz Tak Desk

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Budget 2024: 1 फरवरी नजदीक आ रही है. इस दिन जनवरी महीने की सैलरी तो आपके खाते में आएगी, साथ ही पूरे देश की नजरें एक और बड़े इवेंट पर होंगी. ये बड़ा इवेंट है आम बजट. वित्त मंत्री हर साल की तरह से 1 बजट को देश का बजट पेश करेंगी. और सबकी नजरें इस बात पर होंगी कि बजट 2024 में निर्मला सीतारमण आम लोगों को राहत और सहूलियत देने के लिए क्या कुछ बड़े ऐलान करने वाली हैं. अब चूंकि महंगाई इस दौर का सबसे बड़ा सिरदर्द रहा है. ऐसे में लोगों की सबसे बड़ी उम्मीद ये होती है कि बजट में टैक्स का कुछ बोझ सरकार कम कर दे.

क्या है स्टैंडर्ड डिडक्शन?

असल में सैलरीड लोगों को एक छूट मिलती है जिसे स्टैंडर्ड डिडक्शन कहा जाता है. स्टैंडर्ड डिडक्शन यानी आपको बिना कोई प्रूफ दिखाए टैक्स में सीधा फायदा मिल जाता है. वैसे तो इसे बढ़ाने की डिमांड बार-बार उठती रहती है. लेकिन, अब इस लिमिट को बढ़ाने की मांग जोरशोर से उठ रही है. वजह ये है कि पिछले साल न्यू टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन को भी शामिल कर लिया गया है. करीब 5 साल पहले 2019 में स्टैंडर्ड डिडक्शन को रिवाइज किया गया था. इस बार का बजट हालांकि, अंतरिम बजट है, लेकिन टैक्सपेयर्स और खासतौर पर मिडल-क्लास लोग बेसब्री से इस दफा वित्त मंत्री से कुछ टैक्स छूट दिए जाने की उम्मीद कर रहे हैं.

स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ेगी?

ब्योरे की बात करें तो अभी Standard Deduction की लिमिट 50,000 रुपए है. इसके लिए खर्चों का कोई प्रूफ नहीं देना पड़ता है. स्टैंडर्ड डिडक्शन पुरानी और नई टैक्स व्यवस्था दोनों में ही मिलता है. पहले स्टैंडर्ड डिडक्शन 40,000 रुपए था. लेकिन, 1 फरवरी 2019 को पेश बजट में इसे बढ़ाकर 50,000 रुपए कर दिया गया था. हालांकि, तब इसे केवल पुरानी टैक्स व्यवस्था के लिए ही रखा गया था. हालांकि, नई टैक्स व्यवस्था को और अट्रैक्टिव बनाने के लिए सरकार ने पिछले साल बजट में न्यू टैक्स रिजीम में भी स्टैंडर्ड डिडक्शन को लागू कर दिया.खैर, अब मांग ये हो रही है कि स्टैंडर्ड डिडक्शन को 50,000 रुपए से बढ़ाकर 1 लाख रुपए किया जाए.

महंगाई से जनता त्रस्त

इसकी एक बड़ी वजह महंगाई है. बीते 2-3 साल से महंगाई जिस तरह से बढ़ रही है उसमें लोगों के लिए अपने खर्चों को पूरा करना ही मुश्किल हो रहा है. और ऐसे में उन्हें ज्यादा टैक्स छूट मिलनी चाहिए. दूसरी वजह है कोविड का असर. कोविड ने कारोबार से लेकर आम लोगों तक हर जगह बड़ा असर पड़ा है. इस दौरान कारोबार-धंधे चलाना मुश्किल हुए हैं और लोगों की नौकरियों पर भी मुश्किल रही है. इन वजहों के चलते आम लोगों की डिमांड है कि सरकार को स्टैंडर्ड डिडक्शन को बढ़ाना चाहिए.

टैक्स लाइबिलिटी पर इसका क्या असर?

अब यहां आपको ये बताते हैं कि अगर स्टैंडर्ड डिडक्शन बढ़ाकर 1 लाख रुपए किया जाता है तो आपकी टैक्स लाइबिलिटी पर इसका असर क्या होगा. पहले देखते हैं कि मौजूदा स्टैंडर्ड डिडक्शन का कैलकुलेशन क्या है. मान लेते हैं कि आपकी सालाना सैलरी 10 लाख रुपए है. अभी स्टैंडर्ड डिडक्शन है 50,000 रुपए. 10 लाख में से इसे घटाया तो आपकी टैक्सेबल सैलरी हुई 9,50,000 रुपए. तो पुरानी टैक्स रिजीम के हिसाब से अब इस पर आपका टैक्स बनेगा 1,06,600 रुपए. अब अगर इसे बढ़ाकर 1 लाख रुपए किया जाता है तो क्या होगा. आपकी ग्रॉस सैलरी 10 लाख रुपए है. अब इसमें से 1 लाख रुपए स्टैंडर्ड डिडक्शन के चले गए. यानी टैक्सेबल सैलरी हुई 9 लाख रुपए. अब इस तरह से आपकी टैक्स लाइबिलिटी हुई 96,200 रुपए.

स्टैंडर्ड डिडक्शन में इजाफा, इकॉनमी को फायदा

स्टैंडर्ड डिडक्शन में इजाफा करने का फायदा इकॉनमी पर भी दिखाई दे सकता है. इससे लोगों के पास डिस्पोजेबल इनकम बढ़ेगी यानी खर्च योग्य आय बढ़ेगी. इससे लोग ज्यादा खर्च कर पाएंगे और कुल मिलाकर इकॉनमिक ग्रोथ को रफ्तार मिलेगी. अब देखना ये होगा कि क्या सरकार इस बार मिडल क्लास को स्टैंडर्ड डिडक्शन में बढ़ोतरी की सौगात देती है या नहीं.

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