भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर ब्रेक, 18 महीने के निचले स्तर पर आई GDP ग्रोथ
भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार में थोड़ी मंदी देखी जा रही है. वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारतीय अर्थव्यवस्था की गति घटकर 18 महीने के न्यूनतम स्तर पर आ गई है.
ADVERTISEMENT
भारत की अर्थव्यवस्था की रफ्तार में थोड़ी मंदी देखी जा रही है. वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भारतीय अर्थव्यवस्था की गति घटकर 18 महीने के न्यूनतम स्तर पर आ गई है. इस दौरान GDP वृद्धि दर 5.4% रही है. शुक्रवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली.
यह आंकड़ा रॉयटर्स पोल के अनुमानित 6.5% से कम है और पिछले तिमाही के 6.7% तथा पिछले वर्ष की समान अवधि के 8.1% के मुकाबले काफी गिरावट को दर्शाता है. ग्रॉस वैल्यू एडेड (GVA), जो विभिन्न क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों का मापन करता है, इसमें 5.6% की वृद्धि देखी गई, जो कि पूर्वानुमान से भी कम है.
मुख्य सेक्टर्स का प्रदर्शन
- कृषि क्षेत्र: इस तिमाही में कृषि क्षेत्र ने 3.5% की ग्रोथ दर्ज की, जो पिछले तिमाही के 2% और सालाना आधार पर 1.7% से बेहतर है.
- खनन क्षेत्र: इस क्षेत्र की स्थिति खराब रही, जिसमें -0.1% की गिरावट दर्ज की गई. पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 11.1% था.
- मैन्युफैक्चरिंग: विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि केवल 2.2% रही, जबकि पिछले साल यह 14.3% थी.
- बिजली क्षेत्र: ग्रोथ 3.3% रही, जो पिछले साल की 10.5% से काफी कम है.
- कंस्ट्रक्शन क्षेत्र: इस क्षेत्र ने 7.7% की ग्रोथ दर्ज की, जो प्रभावी तो है लेकिन पिछले साल की 13.6% से काफी कम है.
सुधार के संकेत
- ट्रांसपोर्ट और होटल: इस क्षेत्र में 6% की ग्रोथ दर्ज हुई, जो पिछले साल की 4.5% से बेहतर है.
- वित्तीय और रियल एस्टेट सेवाएं: इसमें 6.7% की वृद्धि हुई, जो पिछले साल की तुलना में थोड़ी बेहतर है लेकिन पिछली तिमाही के 7.1% से कम है.
- सार्वजनिक प्रशासन: इस क्षेत्र में 9.2% की वृद्धि हुई, जो पिछले साल के 7.7% से बेहतर है.
GDP क्या है?
GDP (सकल घरेलू उत्पाद) एक देश में एक निश्चित अवधि के दौरान उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं के कुल मौद्रिक मूल्य का मापन है. यह किसी भी देश की आर्थिक गतिविधि का प्रमुख पैमाना है. इसकी गणना तिमाही और वार्षिक आधार पर की जाती है.
ADVERTISEMENT