'हर व्यक्ति तक पहुंचेगा टैक्स कटौती का फायदा, 40% GST स्लैब में सिर्फ एक फीसदी सामान', बोलीं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
GST दरों में कटौती पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि इसका सीधा लाभ आम जनता, खासकर मध्यम वर्ग और छोटे व्यापारियों तक पहुँचेगा. 22 सितंबर के बाद सरकार निगरानी शुरू करेगी ताकि टैक्स में राहत का फायदा पूरी तरह ट्रांसफर हो सके.
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जीएसटी दरों में कटौती के बाद देश के लोगों ने राहत की सांस ली है. इस फैसले को किसी एक्सपर्ट ने महंगाई से राहत की नई उम्मीद बताई है तो किसी ने बाजार और कारोबार के लिए ऑक्सीजन.
अब इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंडिया टुडे ग्रुप के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की. इस खास बातचीत में उन्होंने GST दरों में कटौती और उसकी निगरानी को लेकर कई अहम बातें कही हैं. उन्होंने स्पष्ट किया कि दरों में की गई कटौती का सीधा लाभ आम जनता, खासकर मीडिल क्लास और छोटे व्यापारियों तक पहुंचेगा.
वित्त मंत्री ने कहा, “22 सितंबर के बाद हमें बहुत बड़ा निगरानी कार्य करना है. हमारा मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि टैक्स कटौती का लाभ जनता को मिले.
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वित्त मत्री आगे कहती हैं GST सुधारों का मुख्य उद्देश आम आदमी के जरूरतों और उसकी आकांक्षाओं को पूरा करना है. यही कारण है कि 99 प्रतिशत वस्तुएं 5 प्रतिशत टैक्स कैटेगरी के अंतर्गत आती हैं, केवल 1% ही ऐसी वस्तुएं हैं जिनपर 40% टैक्स है.
शिक्षा पर स्पष्टता
वित्त मंत्री ने स्पष्ट किया कि शिक्षा पर कोई टैक्स नहीं है, लेकिन व्यावसायिक कोचिंग संस्थान शैक्षणिक संस्थानों के अंतर्गत नहीं आते, इसलिए उन पर टैक्स लागू होता है.
बिहार को मिला डबल धमाका
इस इंटरव्यू के दौरान जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से सवाल किया गया कि क्या GST कट बिहार चुनाव में बीजेपी का मैनिफेस्टो है? इसके जवाब में वो कहती हैं यह बिहार ही नहीं, भारत के 140 करोड़ लोगों का मैनिफिस्टो है. सरकार ने जीएसटी में बदलाव का फैसला काफी सोच-विचार कर लिया है.
उन्होंने कहा कि जीएसटी में बदलाव बहुत उम्मीद के साथ की गई है, जो नवरात्रि से ही लोगों को खरीदारी पर दिखने लगेगा. उदाहरण के तौर पर 100 रुपये में पहले जो एक समान मिलता था, उसमें अब डबल समान खरीद सकता है.
राज्य सरकारों और कंपनियों से सहयोग की अपेक्षा
सीतारमण कहती हैं कि, "पेट्रोल और डीजल को GST में शामिल करने का फैसला GST काउंसिल को लेना है. हम कानूनी रूप से तैयार हैं लेकिन पहल राज्यों की तरफ से होनी चाहिए.”
पब्लिक की कंपनियों से भी उन्होंने अपील की कि वे एक स्वर में कहें कि वे टैक्स कटौती का लाभ ग्राहकों को देंगे. “अगर कोई कंपनी इसके विरुद्ध कुछ कहती है, तो हम उनसे बात करेंगे.”
‘एक दर, एक राष्ट्र’ पर विचार करने का नहीं है उचित समय
उन्होंने आगे कहा कि ‘एक दर, एक राष्ट्र’ का विचार अभी उचित नहीं है. “क्या एक बेंज कार और हवाई चप्पल को एक समान टैक्स स्लैब में रखा जा सकता है? इससे अन्याय होगा.”
साधारण और व्यावसायिक वस्तुओं में अंतर
“पॉपकॉर्न अगर नमकीन है तो एक दर है, अगर चॉकलेट के साथ है तो अलग दर लगती है। इसी तरह, मीठा या नमकीन खाना एक दर में आता है, लेकिन अत्यधिक शुगर वाले पेय पर अलग दर है.”
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