ChatGPT, Gemini और Perplexity में भारत को लेकर क्यों छिड़ी जंग, फ्री प्लान के पीछे क्या है असली गेम?

Hisab Kitab: दुनिया की बड़ी एआई कंपनियां भारत में अपने प्रीमियम प्लान फ्री कर रही हैं ताकि करोड़ों भारतीय यूजर्स को जोड़ सकें और अपने एआई मॉडल को स्थानीय डेटा से ट्रेन कर सकें.

AI दे रहा है फ्री प्लान
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Hisab Kitab: दुनिया भर की सबसे बड़ी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कंपनियां भारत में इन दिनों एक अलग ही दौड़ में उतर गई हैं, और वो रेस है फ्री ऑफर की. गूगल का Gemini, ओपनएआई का ChatGPT और Perplexity जैसी कंपनियां अपने प्रीमियम प्लान भारतीय यूजर्स को मुफ्त में दे रही हैं. लेकिन इन तमाम फ्री ऑफर्स के बीच आपके मन में भी ये सवाल उठ रहा होगा कि अचानक इतनी बड़ी-बड़ी टेक कंपनियां भारत को लेकर इतनी उदार क्यों हो गईं? 

क्या ये केवल यूजर्स के लिए तोहफा है या इसके पीछे कोई बड़ा गणित छिपा है. इस रिपोर्ट में इंडिया टुडे ग्रुप के Tak चैनल्स के मैनेजिंग एडिटर मिलिंद खांडेकर से जानिए ऐसा इस सवाल का जवाब. 

दरअसल, भारत इस वक्त दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल बाजार बन चुका है. यहां 90 करोड़ से ज्यादा इंटरनेट यूजर्स हैं और इतनी बड़ी आबादी को कोई भी एआई कंपनी नजरअंदाज नहीं कर सकती. यही वजह है कि कंपनियां अब यूजर्स को अपने प्लेटफॉर्म की ओर खींचने के लिए फ्री एक्सेस दे रही हैं. 

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Perplexity ने एयरटेल के 36 करोड़ ग्राहकों को एक साल के लिए अपना प्रीमियम प्लान मुफ्त दिया है. गूगल का Gemini जियो यूजर्स को 18 महीने तक फ्री मिलेगा. वहीं, ChatGPT ने भारत में अपना Go प्लान, जिसकी कीमत 399 रुपये थी एक साल के लिए मुफ्त कर दिया है.

लेकिन ये सब सिर्फ यूजर बढ़ाने की कहानी नहीं है. एआई कंपनियां भारत से डेटा भी चाहती हैं. वो डेटा जो यहां की भाषाओं, बोलियों और सांस्कृतिक विविधता से भरा हुआ है. जब भारतीय यूजर एआई से सवाल पूछते हैं, अपनी भाषा में कुछ लिखते हैं या कोई टास्क करवाते हैं, तो मॉडल सिर्फ जवाब नहीं देता, बल्कि सीखता भी है.

इस सीख से उसका एआई मॉडल और बेहतर बनता जाता है. यानी फ्री प्लान के जरिए कंपनियां न सिर्फ यूजर्स बढ़ा रही हैं बल्कि अपने मॉडल को ट्रेन करने के लिए असली, विविध और विशाल डेटा भी इकट्ठा कर रही हैं.

कौन उठा रहा इनका खर्च 

अब सवाल उठता है कि जब ये सब मुफ्त में दिया जा रहा है तो इनका खर्च कौन उठा रहा है? असल में एआई का हर जवाब मुफ्त नहीं होता. किसी भी बड़े मॉडल को एक सवाल का जवाब देने में 30 पैसे से लेकर दो रुपये तक का खर्च आता है, क्योंकि उसे चलाने के लिए भारी-भरकम डेटा सेंटर और जीपीयू लगते हैं. इन सर्वरों को ठंडा रखने में बिजली और पानी दोनों की खपत होती है. 

इसलिए, जो फ्री ऑफर यूजर्स को दिख रहा है, उसका असली खर्च कंपनियां खुद उठा रही हैं, ताकि भविष्य में जब यूजर्स की आदत बन जाए, तब वे प्रीमियम सब्सक्रिप्शन के लिए पैसे देने में हिचकें नहीं. 

नेटफ्लिक्स अमेजन वाली फॉर्मूला

ये वही फॉर्मूला है जो पहले नेटफ्लिक्स, अमेज़न और रिलायंस जियो जैसी कंपनियां भारत में अपना चुकी हैं. पहले सस्ता या मुफ्त दो, फिर जब यूजर की आदत लग जाए तो कीमत बढ़ा दो. फर्क सिर्फ इतना है कि अब ये खेल डेटा और एआई के स्तर पर खेला जा रहा है.

वर्तमान में एआई कंपनियों के पास अरबों डॉलर का निवेश आ चुका है. एनवीडिया जैसी कंपनियों के शेयर आसमान छू रहे हैं और अमेरिकी बाजार में एआई सेक्टर की वजह से नई जान आ गई है. ऐसे माहौल में ओपनएआई, गूगल और अन्य कंपनियों के लिए फिलहाल मुनाफा कमाना प्राथमिकता नहीं है. इनका ध्यान है पहले मार्केट पर कब्जा करो, फिर कमाई अपने आप शुरू हो जाएगी. 

भारत में ये फ्री ऑफर आम यूज़र्स के लिए भी एक बड़ा मौका है. ये समय है एआई से जुड़ने, सीखने और उसे समझने का. एनवीडिया के सीईओ का कहना है, “नौकरी उसी की जाएगी जिसे एआई चलाना नहीं आता.” यानी अगर आने वाले वक्त में अपने करियर को सुरक्षित रखना है, तो एआई सीखना जरूरी है.

कंपनियों के लिए ये यूजर एक्विजिशन और डेटा ट्रेनिंग की स्ट्रेटेजी है, लेकिन लोगों के लिए ये सीखने का मौका है. जब तक ये ऑफर फ्री हैं, तब तक इन्हें इस्तेमाल कीजिए, प्रयोग कीजिए और समझिए कि एआई कैसे आपके काम को आसान बना सकता है.

आखिरकार, ये सिर्फ फ्री ऑफर का खेल नहीं है, बल्कि आने वाले डिजिटल युग की तैयारी भी है. आज जो कंपनियां फ्री में सीखने का मौका दे रही हैं, वही कल इस एआई दौड़ में सबसे आगे होंगी और शायद वही लोग आगे बढ़ पाएंगे, जिन्होंने इस वक्त को सिर्फ ऑफर नहीं, बल्कि अवसर के रूप में देखा.

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