Bihar Election Ground report: बिहार में आखिरी पारी खेल रहे नीतीश कुमार या महिलाएं कराएंगी वापसी?

बिहार चुनाव में नीतीश कुमार की महिला वोटर्स के जरिए फिर वापसी...? बेगूसराय और दरभंगा की सभाओं में दिखा महिला वोटरों का रुझान. क्या एक बार फिर महिला वोटर NDA को जीत दिलाएंगी? पढ़िए बिहार ग्राउंड रिपोर्ट.

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महिलाएं लगाएंगी नीतीश कुमार की नैया पार?
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बेगूसराय जिले के मटिहानी ब्लॉक में नीतीश कुमार की सभा थी. पुरुषों से ज़्यादा महिलाओं की भीड़ थी, कुछ तो बच्चों को लेकर आईं थीं. पूछने पर कहा गया कि जीविका दीदी की भीड़ ज़बरदस्ती जुटाई गई है लेकिन जब नीतीश कुमार मंच पर पहुंचे तो जिस गर्मजोशी से उनका स्वागत हुआ उससे साफ था कि ये नीतीश कुमार की वोटर हैं. उत्तर भारत में आम तौर पर इतनी महिलाएं राजनीतिक सभाओं में नहीं आती हैं. इसका प्रमाण एक दिन पहले ही दरभंगा में देखने मिला था जब राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की सभा थी. वहां बहुत कम महिलाएं थीं. वो भी तेजस्वी का भाषण सुनने के बाद जाने लगी थीं, राहुल गांधी के भाषण के लिए उन्हें रोका गया. 

बिहार में महिला वोटरों पर फिर से सबकी नज़र है. पिछले चुनाव में NDA को सिर्फ़ 12 हज़ार वोटों की बढ़त थी. सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलपिंग सोसाइटीज (CSDS) के मुताबिक़ ज़्यादातर पुरुषों ने महागठबंधन को वोट डाला जबकि महिलाओं ने NDA को.

बिहार में 100 में से 53 वोटर पुरुष हैं जबकि 47 महिलाएं. संख्या में महिलाएं कम होने के बावजूद उनकी वोटिंग ज़्यादा होती है. पलायन के कारण पुरुषों का वोट कम पड़ता है. जब कुल मतदान होता है तो महिला और पुरुष का वोट लगभग बराबर हो जाता है. महिलाओं में लीड NDA को चुनाव जीता देती है. 

महिला वोटरों को लेकर नीतीश कुमार ने इस बार कोई चांस नहीं लिया है. 3.60 करोड़ महिला मतदाताओं में 1.21 करोड़ महिलाओं को मुख्यमंत्री रोज़गार योजना के तहत 10-10 हज़ार रुपए दिए गए हैं. रोज़गार खड़ा होने पर दो लाख रुपए देने का वादा भी किया गया है. विपक्ष ने हर महीने माई बहिन योजना के तहत ढाई हज़ार रुपए देने का वादा किया है. तेजस्वी का आरोप है कि एनडीए ने उनके वादों को कॉपी किया है. कैश देकर वोट खरीदने की कोशिश की जा रही है. तेजस्वी का दावा है कि ये पैंतरे चुनाव में काम नहीं आएंगे. 

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महागठबंधन में शामिल CPI ML के महासचिव दीपांकर भट्टाचार्य कहते हैं कि नीतीश कुमार यह स्कीम अपनी महिला वोटरों को बनाए रखने के लिए लानी पड़ी है. वो बताते हैं कि महिलाएं माइक्रो फ़ाइनेंस कंपनियों के क़र्ज़ के जाल में फंसी हुई हैं. ये रकम क़र्ज़ चुकाने में चली जाएगी.

बिहार में जातीय सर्वे से यह पता चला था कि 94 लाख परिवारों की मासिक आमदनी 6 हज़ार रुपये है. उनके लिए एकमुश्त 10 हजार रुपये मिलना बहुत बड़ी बात है. 

 

मटिहानी के रचैया गांव में चाय की दुकान चलाने वाली दयावती देवी ने कहा कि दस हज़ार रुपये से महिलाओं बाल बच्चों को पढ़ा लेंगी, कपड़ा दिला देंगी. सरकार ने पैसा रोज़गार के नाम पर दिया है लेकिन ज़रूरी नहीं कि इस्तेमाल रोज़गार के लिए ही हो रहा हो.

सभा में आईं महिलाओं की शिकायतें भी थीं, जैसे महंगाई. सिर्फ़ खाने पीने की चीज़ों की महंगाई नहीं, महंगा सोना भी मुद्दा है. उन्होंने कहा कि हम अपनी बेटी की शादी के लिए सोना ख़रीदने का सोच भी नहीं सकते. एक लाख तीस हज़ार रुपये दाम हो गया है. फिर भी ज़्यादातर महिलाओं का कहना था कि वोट नीतीश कुमार को जाएगा. 

नीतीश की सभा में मिलीं वोकल महिलाएं

 

 

महिलाओं का समर्थन नीतीश कुमार ने 20 साल में जुटाया है. वो अपने भाषण में यह सब गिनाते हैं. पंचायत और  निकायों में महिलाओं को 50% को आरक्षण दिया है. महिलाओं को पुलिस में 35% आरक्षण दिया गया है. रैली में भी जगह जगह महिला पुलिस कर्मी दिखाई देती हैं. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देश में सबसे ज़्यादा महिला पुलिसकर्मी अनुपात बिहार में है. 

इंडियन एक्सप्रेस की Contributing Editor नीरजा चौधरी ने हाल में न्यूज Tak पर हमारे वीकली शो 'साप्ताहिक सभा' में बातचीत के दौरान कहा था कि पुलिस बनने से लड़कियों का आत्मविश्वास बढ़ा है. लड़कियां पहले घर से बाहर निकलने से डरतीं थीं, अब वो कानून व्यवस्था संभाल रही हैं.

नीतीश कुमार भी अपने हर भाषण में यह बताने से नहीं चूकते हैं कि, 'लालू प्रसाद यादव के राज में महिलाएं शाम को निकल नहीं पाती थीं . महिलाओं के लिए उन्होंने कुछ नहीं किया. अपनी पत्नी को ही मुख्यमंत्री बना दिया.'

नीतीश कुमार 20 साल से मुख्यमंत्री है. 2014 में कुछ महीने छोड़ दें जब उन्होंने जीतन राम मांझी को लोकसभा चुनाव में हार के बाद मुख्यमंत्री बना दिया था . तब जनता दल यूनाईटेड बीजेपी से अलग होकर चुनाव लड़ा था. इसके बाद नीतीश कुमार ने कुर्सी नहीं छोड़ी. कभी राष्ट्रीय जनता दल तो कभी बीजेपी के साथ मिलकर सरकार में बने रहे. 2005 के बाद हर विधानसभा चुनाव में वही गठबंधन जीता है जिसमें नीतीश कुमार साथ थे.

इंडियन एक्सप्रेस के सीनियर असिस्टेंट एडिटर संतोष सिंह कहते हैं कि जैसे भीष्म पितामह को महाभारत में इच्छा मृत्यु का वरदान मिला था वैसा ही वरदान इच्छा शासन का नीतीश कुमार को मिला हुआ है. जब तक वो चाहते हैं सरकार में बने हुए हैं.

सवाल है कि 2025 में क्या होगा?

(बिहार विधानसभा चुनाव पर News Tak की इस स्पेशल ग्राउंड रिपोर्ट सिरीज की अगली किस्त में जानिए कि इस चुनाव में क्या होगा तेजस्वी यादव का? तबतक बिहारी की सारी सियासी खबरें पढ़ते रहिए www.newstak.in/elections/assembly-chunav/bihar पर और बने रहिए हमारे साथ).

 

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