ईडी की बड़ी कार्रवाई, कोल घोटाले में 570 करोड़ की अवैध वसूली, 10 अफसरों पर कार्रवाई की सिफारिश

छत्तीसगढ़ में कोल परमिट के दुरुपयोग से जुड़े 570 करोड़ रुपये के घोटाले में ईडी ने बड़ा खुलासा किया है. जांच के बाद 10 वरिष्ठ IAS और IPS अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के तहत कार्रवाई की सिफारिश की गई है.

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छत्तीसगढ़ में कोल लेवी घोटाले को लेकर ED ने एक बड़ा कदम उठाया है. दरअसल प्रवर्तन निदेशालय ने राज्य सरकार को एक पत्र भेजकर 10 वरिष्ठ IAS और IPS अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 के तहत कार्रवाई की सिफारिश की है. यह पत्र राज्य के मुख्य सचिव अमिताभ जैन और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) को भेजा गया है.

यह घोटाला लगभग 570 करोड़ रुपये का है, जिसमें आरोप है कि कोयला ट्रांसपोर्टेशन के लिए ऑनलाइन परमिट की जगह ऑफलाइन परमिट का इस्तेमाल कर अवैध तरीके से पैसे वसूले गए. ईडी की जांच के मुताबिक, यह पूरा मामला एक साजिश के तहत अंजाम दिया गया, जिसमें अधिकारियों और कोल व्यापारियों के बीच सीधा तालमेल था.

कैसे शुरू हुआ घोटाला?

15 जुलाई 2020 को उस समय के खनिज निदेशक IAS समीर विश्नोई ने एक आदेश जारी किया था, जिसमें ऑनलाइन कोल परमिट को ऑफलाइन करने की मंजूरी दी गई थी. इसके बाद ही कथित तौर पर कोल कारोबारियों से अवैध वसूली की शुरुआत हुई.

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इस घोटाले में प्रमुख आरोपी बिजनेसमैन सूर्यकांत तिवारी हैं. उनके साथ ही IAS अधिकारी समीर विश्नोई, रानू साहू और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की डिप्टी सेक्रेटरी रहीं सौम्या चौरसिया के नाम भी सामने आए हैं. इन सभी को जनवरी 2024 में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा FIR दर्ज कर गिरफ्तार किया गया था, हालांकि फिलहाल सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं.

ईडी की रिपोर्ट में क्या है?

ईडी की रिपोर्ट में कहा गया है कि यह घोटाला बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से चलाया गया। कोल परमिट का गलत इस्तेमाल करते हुए एक पूरा नेटवर्क तैयार किया गया, जो व्यापारियों और अधिकारियों के सहयोग से संचालित हो रहा था. इस नेटवर्क के जरिए करोड़ों रुपये की अवैध वसूली की गई.

कस्टम मिलिंग स्कैम में भी छापेमारी

उधर, ईडी ने एक और बड़े मामले में छापेमारी की है. कस्टम मिलिंग स्कैम को लेकर रायपुर, बिलासपुर और धमतरी में रहेजा और सुल्तानिया ग्रुप के ठिकानों पर तलाशी ली गई. इस दौरान कई जरूरी दस्तावेज और वित्तीय रिकॉर्ड जब्त किए गए हैं.

इस घोटाले में आरोप है कि चावल मिलर्स ने सरकारी योजनाओं के तहत धान की मिलिंग और चावल सप्लाई में धांधली की. ईडी को शक है कि इसमें भी बड़े पैमाने पर पैसों की हेराफेरी और अवैध ट्रांजैक्शन हुए हैं. जब्त दस्तावेजों की जांच के बाद मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ी और भी सच्चाइयां सामने आने की उम्मीद है.

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