Chhattisgarh: 2026 तक खत्म होगा नक्सलवाद! जानिए अमित शाह का वो ‘सीक्रेट ब्लूप्रिंट’, जो बदल देगा छत्तीसगढ़ की तस्वीर!

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Amit Shah Chhattisgarh Visit: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अपने छत्तीसगढ़ के दौरे के दौरान नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई की शुरुआत की है. रायपुर से दंतेवाड़ा तक सुरक्षा समीक्षा और विकास योजनाओं का खाका तैयार कर उन्होंने स्पष्ट किया कि 2026 तक नक्सल मुक्त प्रदेश सिर्फ लक्ष्य नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक बदलाव की ठोस योजना है.

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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का आज छत्तीसगढ़ में दूसरा दिन है. गृहमंत्री चार अप्रैल की रात प्रदेश की राजधानी रायपुर पहुंचे थे. इस दौरान माना एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उनका स्वागत किया. इस दौरान गृहमंत्री दौरान प्रदेश में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति का जायजा लिया और एक खास ब्लू प्रिंट तैयार करने की घोषणा की, जो नक्सलवाद के खिलाफ एक नई लड़ाई की शुरुआत है. बता दें कि गृह मंत्री यह दो दिवसीय दौरा न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था का जायज़ा लेने के लिए है, बल्कि यह उन लोगों के लिए भी उम्मीद की किरण है जो वर्षों से हिंसा और डर के साये में जी रहे थे.

आज यानी 5 अप्रैल को अमित शाह दंतेवाड़ा के दौरे पर रहेंगे, जहां वे सुरक्षा बलों के अधिकारियों से मिलकर माओवाद पर हो रहे अभियान की समीक्षा करेंगे. यह दौरा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर 2026 तक नक्सलवाद को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा हैं. यह कोई साधारण लक्ष्य नहीं, बल्कि एक ऐतिहासिक परिवर्तन की दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है.

गृह मंत्री का आज का कार्यक्रम

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 5 अप्रैल यानी आज दाेपहर 12 बजे दंतेवाड़ा स्थित बस्तर क्षेत्र की कुलदेवी माने जाने वाली मां दंतेश्वरी मंदिर में दर्शन करने के लिए जाएंगे. इसके बाद दोपहर 1 बजे पंडुम महोत्सव के समारोह में शिरकत करेंगे. वहीं, शाम 5 बजे गृह मंत्री होटल मेंफेयर रायपुर में विभागीय समीक्षा बैठक लेंगे.

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नक्सलवाद आखिरी सांसें गिन रहा है-अमित शाह

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ का बस्तर इलाका लंबे समय से नक्सलियों का गढ़ माना जाता रहा है. यहां जंगल, पहाड़ और दूर-दराज के गांवों में नक्सली गतिविधियां चरम पर थीं. इलाके स्कूल बंद थे, बाजार बंद थे, और लोग डर के साये में जीते थे. लेकिन पिछले 14 महीनों में राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संयुक्त प्रयासों से स्थिति में बड़ा बदलाव आया है. अमित शाह ने अपने दौरे में कहा, “नक्सलवाद अब अपनी आखिरी सांसें गिन रहा है. हमारा लक्ष्य है कि 2026 तक इस समस्या को पूरी तरह खत्म कर दें, ताकि बस्तर के लोग शांति और विकास की राह पर चल सकें.” बस्तर, अब विकास की नई राह पर चल पड़ा है. अमित शाह द्वारा तैयार किया गया यह विकास ब्लूप्रिंट अब किताबों, नेटवर्क, रोजगार और सेहत के रूप में बस्तरवासियों की जिंदगी में जगह बना चुका है.

नक्सल प्रभावित इलाकों में नए सुरक्षा कैंप

पिछले 14 महीनों में बस्तर में सुरक्षा बलों ने 307 नक्सलियों को मार गिराया है, 972 ने सरेंडर किया, और 1183 को गिरफ्तार किया गया. यह आंकड़े बताते हैं कि नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है. गृह मंत्री ने बताया कि नक्सल प्रभावित इलाकों में नए सुरक्षा कैंप बनाए जा रहे हैं, जो गांवों तक विकास की किरणें पहुंचाने में मदद करेंगे. साथ ही, ‘आपका अच्छा गांव’ योजना के तहत 96 गांवों में 53 योजनाओं और 31 सुविधाओं से विकास कार्य शुरू हो चुके हैं. सड़कें, पुल, सोलर लाइट्स और हाट-बाजार फिर से जीवंत हो रहे हैं.

आत्मसमर्पण और पुनर्वास की नई नीति

अमित शाह की अगुवाई में नक्सलियों के लिए एक खास पुनर्वास नीति भी लाई गई है. छत्तीसगढ़ नक्सलवादी आत्मसमर्पण/पीड़ित पुनर्वास नीति-2025 के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को प्रोत्साहन राशि दी जा रही है. अगर कोई नक्सली शस्त्रों के साथ आत्मसमर्पण करता है, तो उसे हथियार के आधार पर 2,000 से 5 लाख रुपये तक की राशि मिल सकती है. इसके अलावा, शादी के लिए 1 लाख रुपये, जमीन या 2 लाख रुपये का अनुदान, और नौकरी के लिए 40% तक की सहायता दी जा रही है. एक आत्मसमर्पित नक्सली ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “सरकार की इस योजना ने हमें नई जिंदगी दी. अब हम अपने परिवार के साथ सम्मान से जीना चाहते हैं.”

पर्यटकों के आने से मिल रहा है रोजगार

नक्सलवाद से प्रभावित क्षेत्रों में सिर्फ सुरक्षा ही नहीं, बल्कि विकास भी तेजी से बढ़ रहा है. बस्तर में 221 किलोमीटर लंबी 47 सड़कें और 5 पुल बनाए गए हैं. जगदलपुर के महारानी अस्पताल का जीर्णोद्धार हुआ, और मां दंतेश्वरी हवाई अड्डे पर सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं. इसके अलावा, धुरमरस गांव को संयुक्त राष्ट्र विश्व पर्यटन संगठन (UNWTO) ने अपने विशेष कार्यक्रम के तहत चुना है, जो बस्तर के पर्यटन को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा. एक स्थानीय निवासी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा, “पहले हम डरते थे, लेकिन अब पर्यटक आ रहे हैं और हमें रोजगार मिल रहा है.”

बंद पड़े स्कूल फिर खोले गए

नक्सल हिंसा की वजह से बंद पड़े 29 स्कूलों को फिर से खोला गया है. इनमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स की पढ़ाई भी शुरू की गई है. कटुलनार में ‘नो-वॉल्स स्कूल’ बच्चों के लिए उम्मीद की किरण बना, जहां वे पेड़ों के नीचे पढ़ाई कर रहे हैं. वहीं, दंतेवाड़ा के पोटाली उप स्वास्थ्य केंद्र ने 20 साल बाद फिर से काम शुरू किया, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सराहा. एक शिक्षक ने बताया, “बच्चे अब डर के बजाय किताबों की ओर बढ़ रहे हैं. यह बदलाव देखकर हमें गर्व हो रहा है.”

नई उद्योग नीति और रोजगार

छत्तीसगढ़ की नई औद्योगिक नीति में बस्तर और सरगुजा के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं. आत्मसमर्पित नक्सलियों और महिलाओं को उद्यम शुरू करने के लिए 45 लाख से 8 करोड़ रुपये तक का अनुदान दिया जा रहा है. नगरनार में 118 एकड़ का नया औद्योगिक क्षेत्र बनाया जा रहा है, जो रोजगार के नए अवसर लाएगा. साथ ही, कोंडागांव का काली मिर्च (MDBP-16) और बस्तर का ‘संजीवनी’ चावल, जो कैंसर कोशिकाओं को नष्ट कर सकता है, देश-विदेश में मशहूर हो रहे हैं.

भविष्य की राह

अमित शाह का यह ब्लू प्रिंट नक्सलवाद को खत्म करने के साथ-साथ बस्तर को विकास का केंद्र बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. रेल परियोजनाएं, 4G नेटवर्क, और पर्यटन को बढ़ावा देने की योजनाएं इस क्षेत्र को आधुनिकता की ओर ले जा रही हैं. एक सीआरपीएफ अधिकारी ने कहा, “हमारा मकसद सिर्फ नक्सलियों को खत्म करना नहीं, बल्कि लोगों को सशक्त बनाना है.” वहीं, एक ग्रामीण ने जोड़ा, “अब हमें उम्मीद है कि हमारे बच्चे डॉक्टर और इंजीनियर बन सकेंगे.”

गृह मंत्री अमित शाह का छत्तीसगढ़ दौरा और नक्सलवाद खत्म करने का ब्लू प्रिंट न सिर्फ सुरक्षा बलों के लिए, बल्कि आम लोगों के लिए भी एक नई सुबह की तरह है. बस्तर में बदलाव की ये कहानी अब तक के प्रयासों का नतीजा है, और आने वाले समय में यह पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकता है. क्या यह लक्ष्य 2026 तक हासिल हो पाएगा? यह तो वक्त बताएगा, लेकिन एक बात तय है कि बस्तर अब अंधेरे से उजाले की ओर बढ़ रहा है.

रिपोर्ट: जितेन्द्र बहादुर सिंह

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