छत्तीसगढ़ में दो बड़े सियासी कैंप, एक ही दिन… बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने!
छत्तीसगढ़ में 7 जुलाई को बीजेपी का मैनपाट में तीन दिवसीय रणनीति शिविर और कांग्रेस की रायपुर में बड़ी किसान-जनसभा दोनों एक साथ होंगी, जिससे राज्य की राजनीति में सियासी टकराव तेज हो जाएगा.
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7 जुलाई 2025 से छत्तीसगढ़ की राजनीति में हलचल तेज होने वाली है. एक तरफ भारतीय जनता पार्टी अपनी रणनीति को धार देने के लिए सरगुजा के मैनपाट में तीन दिवसीय चिंतन शिविर लगाने जा रही है, तो दूसरी ओर कांग्रेस उसी दिन रायपुर में किसानों और जवानों से जुड़े मुद्दों को लेकर बड़ी जनसभा करने वाली है. दोनों ही कार्यक्रम एक ही दिन शुरू हो रहे हैं, जिससे राज्य की राजनीति में सीधा टकराव देखने को मिलेगा.
बीजेपी का तीन दिन का मंथन शिविर
मैनपाट में 7 जुलाई से शुरू होने वाले इस चिंतन शिविर में बीजेपी का लोकसभा चुनावों पर फोकस करने वाले हैं. इस शिविर में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह समेत 150 से ज्यादा दिग्गज नेता शामिल हो रहे हैं. सांसदों, विधायकों, मंत्रियों और संगठन के अहम पदाधिकारियों की मौजूदगी इस बैठक को बेहद खास बना रही है.
बीजेपी इस बैठक में संगठन को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की रणनीति बनाएगी. इसके साथ ही नक्सलवाद, धार्मिक रूपांतरण और राज्य की प्रशासनिक चुनौतियों पर भी चर्चा होगी. मैनपाट में सुरक्षा के सख्त इंतजाम किए गए हैं और आम लोगों की एंट्री पर रोक लगा दी गई है. समापन सत्र में अमित शाह खुद कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे.
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कांग्रेस का जनजुटाव का ऐलान
वहीं दूसरी तरफ इसी दिन कांग्रेस भी 7 रायपुर में अपनी ताकत दिखाने की तैयारी में जुटी है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई में साइंस कॉलेज मैदान में “किसान, जवान, संविधान जनसभा” आयोजित की जाएगी. इस रैली में लगबग 25,000 से ज्यादा लोगों के जुटने की संभावना है, जिनमें किसान, पूर्व सैनिक और पार्टी कार्यकर्ता शामिल होंगे.
कांग्रेस इस रैली के जरिए केंद्र और राज्य की बीजेपी सरकार पर हमला बोलने जा रही है. पार्टी का कहना है कि किसानों की समस्याएं, खाद की कमी, ग्रामीण स्कूलों का बंद होना और संविधान से जुड़े मुद्दों पर सरकार नाकाम रही है. कांग्रेस इस जनसभा को आने वाले जनआंदोलन की शुरुआत बता रही है. खड़गे के साथ-साथ केसी वेणुगोपाल और सचिन पायलट जैसे नेता भी मंच साझा करेंगे.
दो बड़े कार्यक्रम, एक दिन सियासी लड़ाई तेज
दोनों पार्टियों के कार्यक्रम भले ही अलग-अलग जगह पर हो रहे हों, लेकिन तारीख एक होने की वजह से इसे राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है. बीजेपी जहां आने वाले चुनावों की रणनीति गढ़ेगी, वहीं कांग्रेस जनता से जुड़कर सरकार को घेरने की कोशिश करेगी. यह सियासी भिड़ंत आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ की राजनीति की दिशा तय कर सकती है.