कुलपति की जान बचाने के लिए जज की कार छीनने वाले छात्रों के साथ कोर्ट ने क्या किया?

सर्वेश पुरोहित

Gwalior News: ग्वालियर ट्रेन में सवार बीमार कुलपति की मदद के लिए जज की कार छीनने के बाद मुसीबत में फंसे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दो छात्रों को को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने उन्हें डकैती के मामले में जमानत दे दी है. इससे पहले जिला न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. इस मामले ने बेहद तूल पकड़ लिया था.

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Gwalior News: ग्वालियर ट्रेन में सवार बीमार कुलपति की मदद के लिए जज की कार छीनने के बाद मुसीबत में फंसे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दो छात्रों को को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने उन्हें डकैती के मामले में जमानत दे दी है. इससे पहले जिला न्यायालय ने उनकी जमानत याचिका को खारिज कर दिया था. इस मामले ने बेहद तूल पकड़ लिया था. इसे लेकर पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर छात्रों को छूट देने का आग्रह किया था. इसके बाद सीएम मोहन यादव ने मामले की जांच के आदेश दिए थे. आगे जानिए उस दिन क्या हुआ था…?

बता दें कि दिल्ली से 10 दिसंबर को अखिल विद्यार्थी परिषद के राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होकर दक्षिण एक्सप्रेस ट्रेन से वापस लौट रहे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को दक्षिण एक्सप्रेस ट्रेन के स्लीपर कोच एस3 में सफर करते वक्त शिवपुरी के एक निजी विश्वविद्यालय के कुलपति रणजीत सिंह यादव की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें ग्वालियर रेलवे स्टेशन पहुंचने पर रेलवे स्टेशन के बाहर खड़ी हाईकोर्ट के जज की कार के ड्राइवर से गाड़ी छीनकर अस्पताल भिजवा दिया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने बीमार व्यक्ति की मदद के नाम पर जबरन ग्वालियर हाईकोर्ट के जज की गाड़ी छीन ली. हालांकि बाद में जज की मौत हो गई थी.

इसके बाद उनके विरुद्ध जीआरपी और हाईकोर्ट जज के ड्राइवर की शिकायत पर ग्वालियर के पड़ाव थाना में डकैती की धाराओं में एफआईआर दर्ज की गई थी. पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने पूरे प्रदेश में छात्रों की रिहाई के लिए आंदोलन छेड़ दिया था. खुद मुख्यमंत्री ने इस मामले में संज्ञान लिया और पूरे मामले की जांच के आदेश दिए थे.

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मानवीय संवेदना के आधार पर दी जमानत

इस घटना के बाद से ही छात्रों की रिहाई के लिए लगातार मूवमेंट चल रहा था. सोमवार को इस मामले में ग्वालियर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. डकैती की धाराओं में जेल में बंद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के दो पदाधिकारी हिमांशु श्रोत्रिय और सुकृत शर्मा दोनों को हाईकोर्ट से मानवीय संवेदनाओं के आधार पर जमानत मिल गई है. उनकी तरफ से इस केस की पैरवी हाईकोर्ट के वकील बीपीएस चौहान ने की. हाईकोर्ट के इस फैसले पर जेल में बंद अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के महानगर मंत्री हिमांशु के पिता ने भी हाईकोर्ट के फैसले पर राहत की सांस ली है. उन्होंने मीडिया का भी आभार व्यक्त किया है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से उन्हें सबका साथ मिला, आज उसी की बदौलत हाईकोर्ट ने उनके बच्चे की जमानत याचिका स्वीकार करते हुए उन्हें जमानत दे दी है.

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छात्रों का कोई क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं

दूसरी तरफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के भी सभी कार्यकर्ताओं ने राहत की सांस ली है. खास बात यह है कि दोनों ही छात्रों के विरुद्ध कोई भी क्रिमिनल रिकॉर्ड नहीं है. हाई कोर्ट में उनके वकील ने न्यायालय के समक्ष यह बात रखी कि दोनों ही छात्रों की मंशा अपराध की नहीं थी. इसलिए न्यायालय ने उन्हें जमानत दे दी है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने इसे न्याय की जीत बताया है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता छात्रों पर दर्ज किए गए डकैती के केस को वापस लिए जाने के लिए लगातार प्रयास करते रहेंगे

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