'डिलीवरी डेट बताओ, उठवा लेंगे', गर्भवती महिला लीला साहू ने सड़क की डिमांड की तो BJP सांसद के बिगड़े बोल, वीडियो वायरल

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Madhya Pradesh: लीला साहू ने एक साल पहले अपने गांव तक सड़क निर्माण की मांग को लेकर एक वीडियो बनाया था. तब प्रशासन ने जल्द सड़क बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन साल बीत जाने के बाद भी सड़क का निर्माण नहीं हुआ.

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Madhya Pradesh: मध्य प्रदेश के सीधी जिले में एक गर्भवती महिला लीला साहू की सड़क की मांग ने सोशल मीडिया पर तूल पकड़ लिया है. पिछले एक साल से अपने गांव तक सड़क बनवाने की गुहार लगा रही लीला साहू को न तो सड़क मिली और न ही उनकी समस्या का कोई ठोस समाधान. अब इस मामले में बीजेपी सांसद डॉ. राजेश मिश्रा और पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह के बयानों ने विवाद को और हवा दे दी है.

लीला साहू की मांग, सरकार का जवाब

लीला साहू ने एक साल पहले अपने गांव तक सड़क निर्माण की मांग को लेकर एक वीडियो बनाया था. तब प्रशासन ने जल्द सड़क बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन साल बीत जाने के बाद भी सड़क का निर्माण नहीं हुआ. हताश होकर लीला ने फिर से एक वीडियो बनाकर अपनी पीड़ा साझा की.

'डिलीवरी डेट बताओ': बीजेपी सांसद

इस बार उन्हें उम्मीद थी कि डबल इंजन की सरकार उनकी बात सुनेगी. लेकिन जवाब में बीजेपी सांसद डॉ. राजेश मिश्रा ने कहा, "चिंता की क्या बात है. हमारे पास एंबुलेंस है, अस्पताल है, आशा कार्यकर्ता है, हम व्यवस्था करेंगे. डिलिवरी की एक संभावित तिथि होती है, बताएं तो हम एक हफ्ते पहले उठा लेंगे, अस्पताल में भर्ती करवा देंगे."

सांसद ने यह भी कहा कि सड़क निर्माण का काम इंजीनियरों और ठेकेदारों का है, सांसद का नहीं. उन्होंने इस मुद्दे के लिए पूर्व जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि कांग्रेस ने इस दिशा में कुछ नहीं किया. हालांकि, सांसद शायद यह भूल गए कि पिछली बार भी सीधी से बीजेपी की ही रीति पाठक सांसद थीं.

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पीडब्ल्यूडी मंत्री का बयान

पीडब्ल्यूडी मंत्री राकेश सिंह ने भी इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि विभाग के पास हर सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर सड़क बनाने के लिए न तो बजट है और न ही ऐसी व्यवस्था. उन्होंने सवाल उठाया, "क्या कोई भी वीडियो बनाकर सड़क की मांग करेगा, तो हम सीमेंट-कंक्रीट लेकर वहां पहुंच जाएंगे?" मंत्री ने कहा कि सड़क निर्माण की प्रक्रिया और नियम तय हैं, और विभाग की अपनी सीमाएं हैं.

गांव की बदहाल स्थिति

लीला साहू ने सांसद और सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, "हमने आपको वोट दिया है. डबल इंजन की सरकार के बावजूद हमारे गांव में सड़क नहीं बनी." उन्होंने बताया कि गांव में करीब 10 किलोमीटर की सड़क की कमी है, जिसके कारण लोगों को पैदल चलने में भी मुश्किल होती है. वाहन अक्सर कीचड़ में फंस जाते हैं. लीला ने यह भी कहा कि गांव में छह गर्भवती महिलाएं हैं, और अगर समय पर एंबुलेंस नहीं मिली तो जिम्मेदारी सरकार और प्रशासन की होगी.

अंत्योदय योजना का लाभ नहीं

सीधी जिला मध्य प्रदेश के सुदूर इलाकों में बसा है. यहां सरकार की अंत्योदय योजना का लाभ अभी तक ग्रामीणों को नहीं मिल पाया है. सड़क की कमी के कारण न केवल रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित हो रही है, बल्कि गर्भवती महिलाओं और मरीजों को अस्पताल पहुंचने में भी भारी परेशानी हो रही है.

जनता की उम्मीदें और नेताओं की जिम्मेदारी

लीला साहू का कहना है कि सरकार को उनकी समस्या का समाधान करना चाहिए. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं हुई, तो वह और ग्रामीण अपनी आवाज को और बुलंद करेंगे. दूसरी ओर, सांसद और मंत्री के बयानों ने जनता के बीच नाराजगी को बढ़ा दिया है.

यह मामला अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बन चुका है. लोग सवाल उठा रहे हैं कि अगर जनता की मूलभूत जरूरतें पूरी नहीं होंगी, तो सरकार और जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी क्या है? इस मामले में प्रशासन और सरकार की ओर से कोई ठोस कदम उठाया जाएगा या यह मुद्दा सिर्फ बयानबाजी तक सीमित रहेगा, यह देखना बाकी है.

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